रियो डी जनेरियो की खूबसूरत वादियों में आयोजित जी20 का ऐतिहासिक सम्मेलन (G20 Summit 2024) ने इस बार कई रोचक मोड़ लिए। आइए जानते हैं कि कैसे दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों के नेताओं ने मिलकर वैश्विक समस्याओं के समाधान की नई राह तैयार की। जी20 का ऐतिहासिक सम्मेलन (G20 Summit 2024) में इस बार कुछ ऐसा हुआ, जिसने सभी को चौंका दिया।
जलवायु परिवर्तन की चुनौती
क्या आप जानते हैं कि इस बार जलवायु परिवर्तन पर चर्चा कुछ अलग रंग में रंगी थी? दरअसल, वैश्विक नेताओं ने जलवायु वित्त पोषण को अरबों से खरबों तक बढ़ाने की बात तो की, लेकिन यह पैसा आएगा कहां से? यह सवाल अनुत्तरित रह गया। मजेदार बात यह है कि पिछले साल दुबई में हुए COP28 में जीवाश्म ईंधन से दूरी बनाने की जो प्रतिबद्धता जताई गई थी, वह इस बार गायब रही। क्या यह सिर्फ संयोग है या कुछ और? पर्यावरण विशेषज्ञ मिक शेल्ड्रिक का कहना है कि नेताओं ने इस बार अपनी जिम्मेदारियों से थोड़ा पीछे हटने का रास्ता चुना।
यूक्रेन-रूस विवाद: नई उम्मीदों की किरण यूक्रेन-रूस विवाद पर इस बार की चर्चा में एक नया मोड़ आया। क्या आपको पता है कि चीन और ब्राजील ने मिलकर एक ऐसा प्रस्ताव रखा, जिसने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया? राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि युद्ध का समाधान बातचीत से ही निकल सकता है। लेकिन क्या यह इतना आसान है? अमेरिका द्वारा यूक्रेन को लंबी दूरी की मिसाइलों के इस्तेमाल की हरी झंडी ने माहौल को थोड़ा तनावपूर्ण बना दिया है। वैश्विक चुनौतियों पर महत्वपूर्ण फैसले (Crucial Decisions on Global Challenges) में यह मुद्दा सबसे ज्यादा चर्चा में रहा।
गाजा-लेबनान संकट: एक नई पहल क्या आप जानते हैं कि गाजा और लेबनान में चल रहे संघर्ष पर जी20 ने एक अनूठी पहल की है? इस बार की बैठक में एक ऐसा प्रस्ताव पास किया गया, जिसमें दोनों क्षेत्रों में तत्काल युद्धविराम की मांग की गई है। यह देखना दिलचस्प है कि कैसे अमेरिका और अर्जेंटीना जैसे इज़राइल समर्थक देश, तुर्की जैसे फिलिस्तीनी समर्थक देश के साथ एक मंच पर आ गए। क्या यह कूटनीतिक सफलता नहीं है?
अमीरों पर टैक्स: एक नया प्रयोग टैक्स को लेकर इस बार का प्रस्ताव बेहद दिलचस्प है। क्या आप जानते हैं कि पहली बार जी20 ने अमीर वर्ग पर प्रभावी कराधान का ठोस खाका तैयार किया है? अर्थशास्त्री गेब्रियल जुकमैन के अनुसार, यह फैसला वैश्विक आर्थिक असमानता को कम करने में मील का पत्थर साबित हो सकता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या सभी देश इस पर सहमत होंगे? टैक्स संप्रभुता का मुद्दा अभी भी चर्चा में है।
भूख से जंग: एक नया अध्याय ब्राजील के राष्ट्रपति लूला की पहल पर शुरू हुआ भूख विरोधी अभियान कितना प्रभावी होगा? 82 देशों के साथ मिलकर शुरू किया गया यह अभियान दशक के अंत तक आधा अरब लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य रखता है। क्या आप जानते हैं कि लूला खुद गरीबी में पले-बढ़े हैं? शायद इसीलिए वे इस मुद्दे को इतनी गंभीरता से उठा रहे हैं।
वैश्विक वित्तीय सुधार
क्या आपने कभी सोचा है कि विश्व बैंक और IMF जैसी संस्थाएं कैसे काम करती हैं? इस बार जी20 में इन संस्थाओं में बड़े सुधारों की मांग उठी। विकासशील देशों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए वैश्विक वित्तीय ढांचे में बदलाव की जरूरत पर जोर दिया गया। क्या यह बदलाव वाकई में होगा?
डिजिटल अर्थव्यवस्था का भविष्य
एक नया मुद्दा जो इस बार सामने आया, वह है डिजिटल अर्थव्यवस्था का। क्या आप जानते हैं कि जी20 देशों ने डिजिटल मुद्राओं और फिनटेक को लेकर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं? साइबर सुरक्षा से लेकर डिजिटल भुगतान तक, कई मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श हुआ।
इस तरह, रियो डी जनेरियो में हुआ यह जी20 सम्मेलन कई मायनों में खास रहा। वैश्विक समस्याओं के समाधान की दिशा में कुछ ठोस कदम उठाए गए, हालांकि कुछ मुद्दे अभी भी अधूरे हैं। क्या आने वाले समय में इन चुनौतियों का समाधान निकल पाएगा? यह तो समय ही बताएगा।