Questions on Ladki Bahin scheme: महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया तूफान आया है, और इस बार यह तूफान किसी विरोधी दल से नहीं, बल्कि सत्ताधारी पार्टी के ही एक वरिष्ठ नेता की ओर से आया है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने अपनी ही पार्टी की सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना पर सवाल उठाए हैं। यह योजना है महाराष्ट्र सरकार की लाडकी बहिन योजना, जिसका उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करना है। गडकरी का विरोध (Gadkari’s criticism) इस योजना के वित्तीय प्रभावों को लेकर है।
गडकरी का विरोध (Gadkari’s criticism) इतना महत्वपूर्ण क्यों है? इसका जवाब है महाराष्ट्र में आने वाले विधानसभा चुनाव। दिवाली के बाद होने वाले इन चुनावों से पहले, गडकरी के बयान ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा है कि इस योजना के कारण अन्य क्षेत्रों में सब्सिडी के समय पर भुगतान में बाधा आ सकती है।
गडकरी ने नागपुर में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में अपनी चिंताएं व्यक्त कीं। उन्होंने कहा, “क्या निवेशकों को समय पर सब्सिडी मिलेगी? कौन जानता है? हमें लाडकी बहिन योजना के लिए भी धन जुटाना है!” दूसरे शब्दों में, उनका मानना है कि पहले से अन्य सब्सिडी के लिए निर्धारित धन अब इस नई योजना की ओर मोड़ दिया जाएगा।
लाडकी बहिन योजना: क्या है यह?
आइए समझते हैं कि यह लाडकी बहिन योजना क्या है जिस पर इतना बवाल मचा हुआ है। इस योजना के तहत, 21 से 65 वर्ष की आयु की महिलाओं को, चाहे उनकी वैवाहिक स्थिति कुछ भी हो, हर महीने 1,500 रुपये की राशि दी जाएगी। हालांकि, इसके लिए एक शर्त है – उनकी पारिवारिक आय 2.5 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए। यह योजना राज्य के खजाने पर भारी पड़ने वाली है, जिसका अनुमानित खर्च 46,000 करोड़ रुपये है।
गडकरी ने इस योजना को लेकर एक रोचक टिप्पणी की। उन्होंने कहा, “मेरी राय है कि चाहे किसी भी पार्टी की सरकार हो, सरकार से दूर रहें। सरकार एक ‘विषकन्या’ की तरह है; जो भी इसके साथ जाएगा, वह खुद को बर्बाद कर लेगा।” हालांकि उन्होंने यह बात हल्के-फुल्के अंदाज में कही, लेकिन इसके पीछे का संदेश गंभीर था।
विरोधी दलों की प्रतिक्रिया
जैसा कि अपेक्षित था, विपक्षी दलों ने गडकरी के बयान को हथियार बना लिया है। कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी), और शिवसेना (यूबीटी) ने इस मौके का पूरा फायदा उठाया है। उनका कहना है कि अगर सत्ता में बैठे लोग ही राज्य की अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता जता रहे हैं, तो शायद हम सभी को चिंतित होना चाहिए।
कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि यह लाडकी बहिन योजना राज्य की आर्थिक समस्याओं से ध्यान भटकाने के लिए एक निराशाजनक चुनावी चाल लगती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री अब सार्वजनिक रूप से महाराष्ट्र की वित्तीय समस्याओं को स्वीकार कर रहे हैं, जो एक सोप ओपेरा के मोड़ के लायक है।
रमेश ने भाजपा की “कठपुतली” सरकार द्वारा किए गए “वित्तीय विनाश” पर प्रकाश डाला। उन्होंने कुछ उदाहरण दिए जो राज्य की खराब वित्तीय स्थिति को दर्शाते हैं। जैसे, आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवारों के लिए सहायता को “आपातकालीन कोष की कमी” के कारण रद्द करना – और फिर विपक्ष के विरोध के बाद इसे फिर से शुरू करना। उन्होंने 400 से अधिक ठेकेदारों का भी जिक्र किया जिन्हें 15 महीनों से भुगतान नहीं मिला है।
लाडकी बहिन योजना पर सवाल (Questions on Ladki Bahin scheme) उठाते हुए, रमेश ने राज्य के वित्तीय संकट की ओर इशारा किया। उन्होंने बताया कि राज्य का राजकोषीय घाटा 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है, जबकि राज्य का कुल कर्ज अब 7 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है, जो राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 20% है।
इन आंकड़ों को देखकर यह स्पष्ट है कि महाराष्ट्र की वित्तीय स्थिति वाकई में चिंताजनक है। ऐसे में, एक नई और महंगी योजना शुरू करना कितना उचित है, यह एक बड़ा सवाल है। गडकरी के बयान ने इस मुद्दे को और भी प्रमुखता से उठाया है।
गडकरी के बयान और विपक्ष की प्रतिक्रिया ने महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। यह स्पष्ट है कि आने वाले विधानसभा चुनावों में यह मुद्दा प्रमुख भूमिका निभाएगा। वोटरों के सामने अब यह सवाल होगा कि क्या वे एक ऐसी सरकार को चुनेंगे जो बड़ी-बड़ी योजनाएं तो लाती है, लेकिन जिसके पास उन्हें लागू करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं।
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि भारतीय राजनीति में कुछ भी अप्रत्याशित हो सकता है। एक ही पार्टी के वरिष्ठ नेता अपनी ही सरकार की नीतियों पर सवाल उठा सकते हैं, और इस तरह के बयान चुनावी माहौल को पूरी तरह से बदल सकते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर क्या-क्या मोड़ आते हैं और यह महाराष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य को कैसे प्रभावित करता है।