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गोंडा रेल हादसा: जानें कैसे एक पल में बदल गई सैकड़ों लोगों की जिंदगी और अब क्या हो रहा है वहां

गोंडा रेल हादसा

गोंडा रेल हादसा: गोंडा शहर में हुए भीषण रेल हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस दुर्घटना ने न केवल यात्रियों के जीवन को प्रभावित किया है, बल्कि रेल सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आइए इस घटना के बारे में विस्तार से जानें और देखें कि अब स्थिति कैसी है:

गुरुवार की दोपहर, ठीक 2:35 बजे, एक ऐसी घटना घटी जिसने सभी को हिलाकर रख दिया। चंडीगढ़ से डिब्रूगढ़ जा रही एक्सप्रेस ट्रेन के कई डिब्बे अचानक पटरी से उतर गए। यह हादसा उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में हुआ। इस दुर्घटना में तीन लोगों की मौके पर ही मृत्यु हो गई। 32 यात्री घायल हो गए, जिनमें से छह की स्थिति गंभीर बताई जा रही है। ट्रेन के कुल 22 डिब्बों में से लगभग 20 डिब्बे पटरी से उतर गए, जो इस हादसे की भयावहता को दर्शाता है।

तत्काल राहत कार्य:

हादसे की खबर फैलते ही स्थानीय लोगों और प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई शुरू की। आसपास के गांवों के लोग तुरंत मदद के लिए दौड़ पड़े। उन्होंने बिना किसी डर के फंसे हुए यात्रियों को बाहर निकालने में मदद की। स्थानीय प्रशासन और पुलिस बल भी जल्द ही मौके पर पहुंच गए। उन्होंने बचाव कार्य को व्यवस्थित तरीके से संचालित किया।

एंबुलेंस और चिकित्सा टीमों को तुरंत बुलाया गया। घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया। रेलवे के आपातकालीन दल ने भी तेजी से कार्रवाई की और यात्रियों की मदद के लिए पहुंच गए।

यात्रियों की सहायता:

रेलवे ने यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। सभी फंसे हुए यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। इस काम में स्थानीय लोगों की मदद बेहद कारगर साबित हुई। 600 से अधिक यात्रियों के लिए एक विशेष ट्रेन की व्यवस्था की गई, जो उन्हें उनके गंतव्य, डिब्रूगढ़ तक ले जाएगी।

यात्रियों को बसों द्वारा मनकापुर स्टेशन तक पहुंचाया गया, जहां से विशेष ट्रेन चलाई गई। स्टेशन पर यात्रियों के लिए चाय, पानी और भोजन की व्यवस्था की गई। उनकी हर संभव सुविधा का ध्यान रखा गया। रात 8:50 बजे यह विशेष ट्रेन मनकापुर से डिब्रूगढ़ के लिए रवाना हुई, जिससे यात्री अपने गंतव्य तक पहुंच सकें।

मुआवजे की घोषणा:

रेलवे ने पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना दिखाते हुए मुआवजे की घोषणा की। मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। गंभीर रूप से घायल यात्रियों को 2.50-2.50 लाख रुपये दिए जाएंगे। सामान्य चोटों वाले यात्रियों को 50-50 हजार रुपये की सहायता राशि दी जाएगी।

ट्रैक मरम्मत का कार्य:

हादसे के बाद ट्रैक की मरम्मत का काम युद्ध स्तर पर शुरू किया गया। सबसे पहले जेसीबी मशीनों की मदद से ट्रैक से क्षतिग्रस्त बोगियों को हटाया गया। अपलिंक वाले ट्रैक को प्राथमिकता के आधार पर ठीक किया गया है और यह यातायात के लिए तैयार है।

डाउन लिंक पर अभी भी मरम्मत का काम जारी है। यहां काम थोड़ा जटिल है और इसमें अधिक समय लग रहा है। टूटी हुई पटरियों की जगह पर अस्थायी तौर पर सीमेंटेड ट्रैक बिछाया गया है। नई पटरी बिछाने का काम तेजी से चल रहा है। विशेषज्ञों की एक टीम इस काम की निगरानी कर रही है।

इलेक्ट्रिक तारों और सिग्नलिंग सिस्टम की भी मरम्मत की जा रही है। इसे सुनिश्चित किया जा रहा है कि सभी सुरक्षा मानक पूरे हों।

अनुमानित समय-सीमा:

रेलवे अधिकारियों ने बताया कि उम्मीद है कि दोपहर तक अपलिंक ट्रैक पर यातायात शुरू हो जाएगा। इससे कुछ ट्रेनों का संचालन शुरू हो सकेगा। डाउनलिंक ट्रैक की मरम्मत में थोड़ा और समय लग सकता है। इसके लिए अतिरिक्त सावधानी बरती जा रही है।

जांच की मांग:

इस घटना ने रेल सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। इस घटना की गहन और निष्पक्ष जांच की मांग उठ रही है। रेल मंत्रालय ने एक उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया है। ट्रैक की नियमित जांच और रखरखाव की प्रक्रिया की समीक्षा की जा रही है। भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए नए सुरक्षा उपायों पर विचार किया जा रहा है।

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