Gorai Mangrove Park Mumbai: मुंबई की हलचल भरी जिंदगी के बीच प्रकृति का एक अनमोल तोहफा जल्द ही शहरवासियों के लिए खुलने वाला है। गोराई में बन रहा देश का पहला मैंग्रोव पार्क (India’s first mangrove park) अगले दो महीनों में, यानी 15 अगस्त 2025 से पहले, आम लोगों के लिए खोल दिया जाएगा। यह पार्क न केवल प्रकृति प्रेमियों के लिए एक नया ठिकाना होगा, बल्कि यह मुंबई की जैव विविधता और मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र के महत्व को समझने का एक अनूठा अवसर भी देगा। इस पार्क की खासियत यह है कि इसे पूरी तरह पर्यावरण के अनुकूल बनाया गया है, और इसमें प्रवेश के लिए टिकट शुल्क (entry fee proposal) लिया जाएगा।
गोराई गाँव में 8 हेक्टेयर में फैला यह मैंग्रोव पार्क 33.43 करोड़ रुपये की लागत से महाराष्ट्र सरकार की मैंग्रोव सेल द्वारा बनाया जा रहा है। 2021 में शुरू हुआ यह प्रोजेक्ट अब अपने अंतिम चरण में है। पार्क का निर्माण ऐसा किया गया है कि मैंग्रोव के पेड़ों को कोई नुकसान न पहुंचे। इसकी सबसे खास विशेषता है 750 मीटर लंबा लकड़ी का बोर्डवॉक, जो मैंग्रोव के जंगलों से होकर गुजरता है। इस रास्ते पर चलते हुए आप प्रकृति के करीब होंगे और गोराई खाड़ी के मनमोहक दृश्यों का आनंद ले सकेंगे। बोर्डवॉक के अंत में एक व्यूइंग डेक है, जहां से खाड़ी का खूबसूरत नजारा दिखता है। यह बोर्डवॉक मालाबार हिल्स के नए नेचर ट्रेल की तरह ही बनाया गया है, जिसमें पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचाए ऊंचे रास्ते का इस्तेमाल किया गया है।
पार्क में एक 18 मीटर ऊंचा वॉच टावर भी बनाया गया है, जो पक्षी प्रेमियों के लिए किसी खजाने से कम नहीं। इस टावर से आप मैंग्रोव जंगलों और खाड़ी के विस्तृत दृश्यों के साथ-साथ विभिन्न पक्षियों को देख सकते हैं। कोमन किंगफिशर की चमक, लिटिल एग्रेट की शालीनता, और ब्लैक-विंग्ड स्टिल्ट की अनोखी आवाजें इस पार्क को जीवंत बनाती हैं। यह टावर पक्षी निरीक्षण के लिए एक शानदार जगह है, जो वन्यजीव फोटोग्राफरों और शोधकर्ताओं को भी आकर्षित करेगा।
गोराई मैंग्रोव पार्क (India’s first mangrove park) का एक और आकर्षण है इसका दो मंजिला नेचर इंटरप्रिटेशन सेंटर। यह केंद्र मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र के बारे में जानकारी देने का एक शैक्षिक हब है। यहां सूचनात्मक बोर्ड, पैनल, और पुस्तकालय में किताबें उपलब्ध होंगी, जो मैंग्रोव की जैव विविधता को समझने में मदद करेंगी। इस केंद्र में एक रूफटॉप रेस्तरां और प्रकृति थीम वाला गिफ्ट शॉप भी होगा, जहां आगंतुक खाने का लुत्फ उठा सकेंगे और स्मृति चिन्ह खरीद सकेंगे। इस केंद्र का निर्माण भी पर्यावरण को ध्यान में रखकर किया गया है, और यह 1517 वर्ग मीटर में फैला हुआ है।
पार्क के रखरखाव के लिए सरकार ने प्रवेश शुल्क (entry fee proposal) का प्रस्ताव रखा है। एक वरिष्ठ वन विभाग अधिकारी ने बताया कि इस शुल्क से होने वाली आय का उपयोग पार्क की देखभाल और संरक्षण के लिए किया जाएगा। अभी यह प्रस्ताव सरकार के पास मंजूरी के लिए लंबित है, और जल्द ही टिकट की कीमतें तय की जाएंगी। पार्क में अंतिम निर्माण कार्य जैसे सतह की पॉलिशिंग, पेंटिंग, और लाइटिंग का काम चल रहा है, जो अगले एक महीने में पूरा हो जाएगा।
इस पार्क का निर्माण पूरी तरह पर्यावरण के अनुकूल है। इसमें सौर ऊर्जा से चलने वाले 120 किलोवाट के रूफटॉप सोलर पैनल लगाए गए हैं, जो नेचर इंटरप्रिटेशन सेंटर की 80 प्रतिशत से ज्यादा ऊर्जा जरूरतों को पूरा करेंगे। साथ ही, एक स्व-निहित सीवेज सिस्टम और स्टील कैंटिलीवर संरचना का उपयोग करके कंक्रीट का इस्तेमाल कम किया गया है। निर्माण के दौरान एक भी मैंग्रोव पेड़ नहीं काटा गया, जो इस प्रोजेक्ट की पर्यावरण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
मुंबई जैसे महानगर में मैंग्रोव का महत्व बहुत ज्यादा है। 2005 की बाढ़ ने शहरवासियों को मैंग्रोव की अहमियत समझाई, जब इन जंगलों ने तटीय क्षेत्रों को बाढ़ से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लेकिन तेजी से बढ़ते शहरीकरण, प्रदूषण, और अतिक्रमण ने मुंबई के मैंग्रोव कवर को 1991 से 2001 के बीच 40 प्रतिशत तक कम कर दिया। गोराई मैंग्रोव पार्क इस नुकसान को रोकने और लोगों में जागरूकता फैलाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह पार्क न केवल एक पर्यटक स्थल है, बल्कि एक जीवंत प्रयोगशाला भी है, जहां लोग प्रकृति के साथ जुड़ सकते हैं।
पार्क में स्थानीय समुदाय के लोगों को गाइड और पार्क रेंजर के रूप में शामिल किया जाएगा, जो आगंतुकों को मैंग्रोव के पौधों और जीवों के बारे में बताएंगे। बोर्डवॉक पर सूचनात्मक प्लाक लगाए जाएंगे, जो पार्क के फ्लोरा और फॉना की जानकारी देंगे। इसके अलावा, एक कयाक ट्रेल की भी योजना है, जिससे आगंतुक गोराई खाड़ी को पार करके पास के दहिसर मैंग्रोव पार्क तक जा सकेंगे। यह पार्क रोजाना 500 लोगों को मैंग्रोव ट्रेल और 400 लोगों को नेचर इंटरप्रिटेशन सेंटर में स्वागत करने के लिए तैयार है।
शिवसेना (यूबीटी) के विधायक और पूर्व पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने इस परियोजना को अपनी पहल बताया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि इस पार्क की शुरुआत अक्टूबर 2021 में उनकी सरकार के दौरान हुई थी। उन्होंने मालाबार हिल्स के ट्री टॉप वॉक और मारोल के अर्बन फॉरेस्ट जैसी अन्य पर्यावरणीय परियोजनाओं का भी जिक्र किया, जो उनकी सरकार की उपलब्धियां हैं। यह पार्क मुंबई की प्राकृतिक धरोहर को संजोने और इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए बचाने का एक प्रयास है।






























