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Government Approval Process in PMLA Cases: सुप्रीम कोर्ट का अहम निर्णय, PMLA के तहत सरकारी कर्मियों पर केस से पहले लेनी होगी अनुमति

Government Approval Process in PMLA Cases
Prevention of Money Laundering Act (PMLA)
भारत में वित्तीय अपराधों से निपटने के लिए विशेष कानून PMLA (Prevention of Money Laundering Act) का उपयोग किया जाता है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि PMLA के तहत सरकारी कर्मियों पर मुकदमे की मंजूरी (Government Approval Process in PMLA Cases) अनिवार्य होगी।

इस निर्णय का उद्देश्य सरकारी अधिकारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, ताकि उनके कर्तव्यों के निर्वहन में किसी भी गलती के कारण तुरंत कानूनी कार्रवाई न की जाए।

क्या है PMLA और CrPC की धारा-197 की नई व्याख्या?

PMLA कानून के तहत सरकारी अधिकारियों पर कार्रवाई करने से पहले सरकार से मंजूरी लेने की आवश्यकता होगी, जैसा कि CrPC (Criminal Procedure Code) की धारा 197 में पहले से प्रावधानित है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जैसे अन्य कानूनी मामलों में सरकारी अनुमति आवश्यक होती है, वैसे ही PMLA मामले में सरकारी अनुमति प्रक्रिया (Government Approval Process in PMLA Cases) भी लागू होगी।

अदालत ने यह फैसला आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी से जुड़े एक मनी लॉन्ड्रिंग केस में सुनाया, जहां पूर्व IAS अधिकारी बिभु प्रसाद आचार्य पर आरोप थे कि उन्होंने सरकारी पद का दुरुपयोग किया और निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाया।

क्यों जरूरी है सरकारी कर्मियों की सुरक्षा?

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के पीछे तर्क यह है कि सरकारी अधिकारी कई बार कठोर निर्णय लेने के लिए बाध्य होते हैं, जिसमें उनके निर्णयों पर मुकदमा चलाए जाने का खतरा होता है। इसलिए, यह सुनिश्चित करने के लिए कि एक ईमानदार अधिकारी पर गलत तरीके से मुकदमा न किया जाए, PMLA के तहत सरकारी कर्मियों पर मुकदमे की मंजूरी (Government Approval for Public Servants in PMLA Cases) को अनिवार्य कर दिया गया है।

कोर्ट का मानना है कि CrPC की धारा 197 का विस्तार PMLA मामलों तक होने से निष्पक्षता बनी रहेगी और यह सार्वजनिक सेवा में अधिकारियों की भूमिका को मजबूती देगा।

न्यायपालिका की प्रतिक्रिया और सरकार की भूमिका

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि सरकारी कर्मियों की सुरक्षा का मतलब यह नहीं है कि कोई भी सरकारी अधिकारी अनियमितताओं में लिप्त रह सकता है। यह सुरक्षा ईमानदार अधिकारियों के लिए है, लेकिन कोई अधिकारी यदि अपने पद का दुरुपयोग करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सरकार की पूर्व मंजूरी ली जा सकती है।

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि PMLA मामले में सरकारी अनुमति प्रक्रिया (Government Approval Process in PMLA Cases) की जरूरत PMLA की धारा 44 (1) (बी) के तहत होती है, जिसमें इस प्रकार के मामले दर्ज किए जाते हैं।

इस फैसले से यह भी साफ हो गया है कि PMLA के तहत सभी कार्यवाहियों पर CrPC के प्रावधान लागू होते हैं, बशर्ते कि वे PMLA के प्रावधानों से असंगत न हों।

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