Great Wall of China: क्या आपने कभी नूरिस्तान का नाम सुना? ये अफगानिस्तान का वो रहस्यमयी इलाका है, जिसे पहले काफिरिस्तान कहते थे। भारतीय पुराण बताते हैं कि राजा ययाति के दो बेटों, तुर्वसु और अनु, को शाप मिला था। उनके वंशजों ने कुत्ते, बिल्ली और सांप जैसे मांस खाना शुरू किया। ये लोग धीरे-धीरे उत्तर की ओर बढ़े और गोबी रेगिस्तान में बस गए, जिसे अब मंगोलिया कहते हैं। नूरिस्तान काफिरिस्तान विरासत की ये कहानी सदियों पुरानी है।
चीनी किताबों में लिखा है कि ईसा पूर्व की सदियों में उत्तर-पश्चिम में मंगोल जैसी जनजातियां रहती थीं। ये मंगोल आक्रमणकारी दक्षिण में चीन पर धावा बोलते, गांव लूटते। इनसे बचने के लिए 500 ईसा पूर्व में चीन ने दुनिया की सबसे बड़ी दीवार बनाई। चीन की महान दीवार मंगोल आक्रमण रक्षा के लिए खड़ी की गई थी। ये दीवार आज भी दुनिया को हैरान करती है।
ईसा पूर्व 330 में सिकंदर महान भारत आए। वे बालिक क्षेत्र से गुजरे, जहां ययाति के वंशज रहते थे। चीन की दीवार बनने से ये लोग वहां आ बसे थे। सिकंदर ने यूनानी परिवार बसाए और इसे बैक्ट्रिया नाम दिया। उनकी गोरी त्वचा और नीली आंखों की वजह से इसे नूरिस्तान, यानी प्रकाश का देश, कहा गया। मौर्य सम्राट अशोक के समय बौद्ध भिक्षु आए। उन्होंने बामियान घाटी में हजारों बुद्ध मूर्तियां बनवाईं।
गुप्त काल में होन लड़ाकों ने भारत पर हमला किया। उन्होंने बौद्धों पर जुल्म किए, फिर वैष्णव धर्म फिर से उभरा। 10वीं सदी में तुर्कों ने इस इलाके में अपने राज्य बनाए। उनके साथ इस्लाम आया, लेकिन स्थानीय लोग इसे लंबे समय तक नहीं माने। अरबों ने इसे काफिरिस्तान कहा, यानी गैर-मुसलमानों का देश। 1895 में अमीर अब्दुर रहमान खान ने कब्जा किया और जबरन इस्लाम कबुलवाया। नाम बदलकर नूरिस्तान रखा।
इतिहासकार कहते हैं कि ये इलाका मंगोल, तुर्क और यूनानी संस्कृतियों का अनोखा मेल है। सिकंदर से लेकर मौर्य, गुप्त और तुर्क शासकों तक, नूरिस्तान ने भारत और मध्य एशिया के इतिहास को जोड़ा। मंगोल आक्रमण रक्षा की दीवार और ययाति के वंशजों की कहानी हर किसी को चौंकाती है।
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