मुंबई

जीएसटी का आयातकों पर शिकंजा, मुंबई की मंडियों में महंगाई की आशंका

जीएसटी का आयातकों पर शिकंजा, मुंबई की मंडियों में महंगाई की आशंका

मुंबई के मसाला बाज़ार, सूखे मेवे की दुकानें, आप इन्हें शहर की पहचान समझ लीजिए। लेकिन क्या होगा अगर इनकी रौनक फीकी पड़ने लगे? जीएसटी विभाग की ताज़ा कार्रवाई से ऐसा ही कुछ होने की आशंका है। 50 से अधिक आयातकों पर ₹1000 करोड़ के अतिरिक्त कर का नोटिस थमाया गया है, और इसका असर आम खरीदार की जेब पर पड़ सकता है।

आयातित खाद्य पदार्थ मुंबई के बाज़ारों की जान हैं। मसालों से लेकर प्रोसेस्ड फ़ूड तक, विदेशों से आने वाले उत्पाद ग्राहकों को लुभाते हैं।  जीएसटी के नियमों के अनुसार, जिस जगह सामान की ‘सप्लाई’ की जाती है, उसका पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) करवाना होता है। सामान अक्सर बंदरगाह के समीप के गोदामों में रखा जाता है, पर कई आयातक इस बात का सही ब्यौरा देने से बचते रहे हैं।

जीएसटी अधिकारियों का आरोप है कि आयातकों ने टैक्स बचाने के लिए गड़बड़झाला किया है।  भंडारण (warehousing) संबंधी नियमों के उल्लंघन ने सरकार को भारी राजस्व का नुकसान पहुंचाया है।  विभाग ने ना सिर्फ भारी-भरकम जुर्माना लगाया है, बल्कि रजिस्ट्रेशन रद्द होने की चेतावनी भी दी है।

आयातकों पर यह कार्रवाई दोधारी तलवार जैसी है। एक तरफ, इससे जीएसटी के नियमों का पालन सुनिश्चित होगा, और सरकार को उचित कर मिलेगा। लेकिन, इसका दूसरा पहलू उपभोक्ताओं के लिए चिंताजनक है। लागत बढ़ने के कारण आयातित सामान की कीमतों में उछाल आ सकता है, जिससे महंगाई बढ़ेगी। मुंबई की मंडियों में विदेशी मसालों और उत्पादों की उपलब्धता भी कम हो सकती है।

बाज़ार के जानकारों का मानना है कि अगर यह मामला जल्द नहीं सुलझा, तो आम आदमी की रसोई का बजट बिगड़ सकता है। आयातक संघ इस कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं, उनका कहना है कि नियमों की व्याख्या को लेकर भ्रम की स्थिति है।

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