मुंबई के विरार में चोरी करने वाले गिरोह को पुलिस ने ‘गुजराती गैंग’ का नाम दे दिया। इस नाम से गुजराती समुदाय के लोगों में नाराज़गी फैल गई है और उन्होंने पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
भारत में, अलग-अलग धर्मों और जातियों के प्रति पूर्वाग्रह मौजूद हैं। अक्सर, अपराधियों को किसी एक समुदाय से जोड़कर देखा जाता है, जो नुकसानदेह रूढ़ियों (stereotypes) को बढ़ावा देता है।
मुंबई के विरार इलाके में पुलिस ने घरों में चोरी करने वाले एक गिरोह को गिरफ्तार किया है। लेकिन पुलिस द्वारा इस गिरोह को ‘गुजराती गैंग’ का नाम देने से विवाद खड़ा हो गया है। गुजराती समुदाय ने पुलिस के इस बयान की कड़ी निंदा करते हुए इसे पूरे समुदाय को बदनाम करने वाला बताया है। उनका कहना है कि किसी भी अपराधी समूह को किसी एक जाति या राज्य से जोड़ना गलत है। इससे समाज में गलत संदेश जाता है।
पुलिस का कहना है कि गिरफ्तार किए गए ज्यादातर चोर गुजरात के रहने वाले थे, इसलिए गिरोह को यह नाम दिया गया। हालांकि, गुजराती समुदाय के कई संगठनों और नेताओं ने इस स्पष्टीकरण को खारिज करते हुए पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
भाजपा नेता मनोज बारोट ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह भी गुजराती हैं। ऐसे में किसी एक गिरोह को ‘गुजराती गैंग’ कहना पूरे समुदाय का अपमान है। अपराधियों का किसी एक धर्म या समुदाय से कोई लेना-देना नहीं होता।”
बढ़ते विवाद के बाद वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने इस मामले में सफाई जारी की, उन्होंने ‘गुजराती गैंग’ नाम को छपाई की गलती बताया और उसके लिए माफ़ी मांगी।
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भारत में अक्सर ऐसे मामले सामने आते हैं जहां अपराधियों को धर्म, जाति, या क्षेत्र के नाम के साथ जोड़ा जाता है। इससे समाज में मौजूद गलत धारणाएं और पूर्वाग्रह और बढ़ जाते हैं। ऐसे में पुलिस और अन्य सरकारी अधिकारियों को अपने शब्दों के चयन के प्रति अधिक सतर्क रहने की ज़रूरत है।