हनुमान जी के बारे में आपने कई पौराणिक कथाएं सुनी होंगी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक बार उन्होंने अपना वानर रूप छोड़कर शेर का रूप धारण किया था? इस अद्भुत घटना के पीछे एक गहरी कहानी छिपी है। हनुमान जी का शेर रूप (Hanuman Ji’s Lion Form) उनके बल, भक्ति और निष्ठा का एक अद्वितीय प्रतीक है। आइए, जानते हैं यह कहानी कैसे जुड़ी है वृंदावन के गोविंद देव जी मंदिर से।
गोविंद देव मंदिर का इतिहास
राजस्थान के जयपुर में स्थित गोविंद देव जी का मंदिर पहले वृंदावन में था। यह मंदिर अपने समय का एक अद्भुत वास्तुकला का नमूना था, जो सात मंजिल ऊंचा था। मंदिर की छत पर सात मन घी से जलने वाला दीपक हमेशा प्रज्वलित रहता था। कहते हैं कि मुगल शासक औरंगजेब ने इस मंदिर को देख अपनी नाराजगी जाहिर की थी।
एक रात जब औरंगजेब ने मंदिर में जलते हुए दीपक को देखा, तो उसे लगा कि यह चांद है। लेकिन जब उसे सच्चाई पता चली कि यह गोविंद देव जी के मंदिर का दीपक है, तो उसने क्रोध में आकर इस भव्य मंदिर की चार मंजिलें तोड़ दीं।
हनुमान जी का शेर रूप और मंदिर की रक्षा
जब औरंगजेब ने मंदिर को नुकसान पहुंचाना शुरू किया, तो ब्रजवासी भयभीत हो गए और उन्होंने गोविंद देव जी से मंदिर की रक्षा की प्रार्थना की। कहते हैं, इस प्रार्थना के जवाब में हनुमान जी शेर के रूप में प्रकट हुए। गोविंद देव मंदिर की रक्षा (Protection of Govind Dev Temple) के लिए उन्होंने औरंगजेब को चेतावनी दी कि अगर वह मंदिर से नहीं हटे, तो उसकी सात पीढ़ियां नष्ट हो जाएंगी।
हनुमान जी के इस रूप को देखकर औरंगजेब डर गया और वह पीछे हट गया। आज भी वृंदावन के उस स्थान पर जहां यह घटना हुई थी, हनुमान जी के शेर रूप का मंदिर बना हुआ है।
नरसिंह अवतार और हनुमान जी का संबंध
हनुमान जी का यह शेर रूप भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार से प्रेरित माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, हनुमान जी भगवान नरसिंह की भक्ति करते थे। उनकी शक्ति और प्रेरणा से उन्होंने यह रूप धारण किया। दक्षिण भारत के कई मंदिरों में हनुमान जी को नरसिंह हनुमान के रूप में पूजा जाता है, जिसमें वे शेर के चेहरे और मानव शरीर के साथ दिखते हैं। यह रूप उनकी भक्ति और अद्वितीय शक्ति का प्रतीक है।
हनुमान जी की भक्ति और शक्ति
हनुमान जी को भगवान विष्णु और उनके अवतारों के प्रति गहरी भक्ति के लिए जाना जाता है। उनका शेर रूप उनकी अपार शक्ति और अपने भक्तों की रक्षा के संकल्प को दर्शाता है। यह कथा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से प्रेरणादायक है, बल्कि यह यह भी बताती है कि सच्ची भक्ति और निष्ठा से कोई भी मुश्किल स्थिति संभाली जा सकती है।
हनुमान जी का यह शेर रूप उनकी अनंत भक्ति और साहस का एक अद्भुत उदाहरण है। उनकी यह कहानी आज भी लाखों भक्तों के दिलों में उनकी निष्ठा को और मजबूत करती है।
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