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हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024: जाट वोटरों पर सबकी नजर, कौन मारेगा बाजी?

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024: जाट वोटरों पर सबकी नजर, कौन मारेगा बाजी?
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024: हरियाणा में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। राज्य की 90 सीटों के लिए सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीतियाँ बना रहे हैं। आइए जानते हैं कि इस चुनावी समर में कौन किसके साथ है और क्या है किसकी रणनीति।

भाजपा की चुनौती और रणनीति

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए इस बार चुनौती बड़ी है। पिछले लोकसभा चुनाव में उसे करारा झटका लगा था। 10 में से सिर्फ 5 सीटें जीत पाई थी। अब पार्टी अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने की कोशिश में है।

भाजपा की रणनीति में शामिल है:

  1. राष्ट्रीय लोकदल (RLD) से गठबंधन की कोशिश
  2. जाट वोटरों को लुभाने का प्रयास
  3. नए चेहरों को मौका देना
  4. बड़े नेताओं और उनके बच्चों को टिकट देने की योजना

RLD से बातचीत चल रही है। RLD चार सीटें मांग रही है, लेकिन भाजपा एक या दो सीटें देने को तैयार है। पार्टी के अंदर से खबर आ रही है कि करीब 30% सिटिंग विधायकों के टिकट कट सकते हैं।

कांग्रेस का दांव: अकेले चलने की चुनौती

कांग्रेस ने अभी तक किसी दल से गठबंधन नहीं किया है। पार्टी का मानना है कि जाट और मुस्लिम वोटरों का समर्थन उसे मिलेगा। भूपेंद्र सिंह हुड्डा जाट समुदाय को एकजुट करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।

कांग्रेस की रणनीति:

  1. जाट और मुस्लिम वोटरों पर फोकस
  2. किसान आंदोलन और महिला पहलवानों के मुद्दे को उठाना
  3. सत्ता विरोधी लहर का फायदा उठाना

पार्टी को उम्मीद है कि अकेले चुनाव लड़कर वह सत्ता में वापसी कर सकती है।

जेजेपी और आजाद समाज पार्टी का गठबंधन

जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) और चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने गठबंधन का ऐलान किया है। इस गठबंधन में जेजेपी 70 सीटों पर और आजाद समाज पार्टी 20 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

जेजेपी की रणनीति:

  1. दलित और पिछड़े वर्ग के वोटों को लुभाना
  2. युवा नेतृत्व पर जोर
  3. 2 सितंबर को उम्मीदवारों की घोषणा और घोषणा पत्र जारी करना

इनेलो और बसपा का गठजोड़

इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ गठबंधन किया है। यह गठबंधन सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ेगा। बसपा ने पहले ही 4 उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए हैं।

इस गठबंधन की रणनीति:

  1. दलित और पिछड़े वर्ग के वोटों को साधना
  2. ग्रामीण क्षेत्रों में पकड़ मजबूत करना
  3. भाजपा और कांग्रेस के खिलाफ तीसरे विकल्प के रूप में खुद को पेश करना

आम आदमी पार्टी का अकेले चलने का फैसला

आम आदमी पार्टी (आप) ने भी अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। पार्टी दिल्ली और पंजाब के मॉडल को हरियाणा में दोहराने की कोशिश करेगी।

आप की रणनीति:

  1. शिक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दों पर फोकस
  2. भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम
  3. युवा और शहरी मतदाताओं को लुभाना

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 का विश्लेषण

हरियाणा का यह चुनाव कई मायनों में दिलचस्प होने वाला है। जहाँ एक ओर भाजपा सत्ता बचाने की जुगत में है, वहीं कांग्रेस वापसी की उम्मीद लगाए बैठी है। जेजेपी-आजाद समाज पार्टी और इनेलो-बसपा गठबंधन त्रिकोणीय मुकाबले को चौकोणीय बनाने की कोशिश में हैं।

चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाने वाले कारक:

  1. जाट वोट बैंक का रुख
  2. दलित और पिछड़े वर्ग के मतदाताओं का समीकरण
  3. किसानों का मूड
  4. शहरी vs ग्रामीण मतदाताओं की प्राथमिकताएँ
  5. युवा वोटरों की पसंद

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में कई दिलचस्प मोड़ आने की संभावना है। गठबंधनों का खेल और अकेले चलने की चुनौती, दोनों ही इस चुनाव को रोचक बनाएंगे। जाट वोटरों का रुख और सत्ता विरोधी लहर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। आने वाले दिनों में पार्टियों की रणनीतियाँ और स्पष्ट होंगी, जिससे चुनावी तस्वीर और साफ होगी। हरियाणा की जनता किस दल या गठबंधन को चुनती है, यह देखना दिलचस्प होगा।

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