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Haryana Election: हरियाणा की सत्ता का कौन बनेगा मालिक? महाभारत के ‘चौसर’ पर दांव पर लगी राजनीति!

Haryana Election

Haryana Election 2024: एक दिलचस्प राजनीतिक मुकाबला होने जा रहा है, जिसमें बड़े-बड़े राजनीतिक घरानों और पार्टियों की साख दांव पर लगी है। इस चुनाव को लेकर हरियाणा के सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में हलचल मची हुई है। चाहे बीजेपी हो, कांग्रेस हो या क्षेत्रीय पार्टियाँ, हर कोई अपनी रणनीति के साथ मैदान में है। इस चुनाव की तुलना महाभारत से इसलिए की जा रही है क्योंकि इसमें कई पक्ष, गठबंधन, और विवादित समीकरण एक साथ जुड़े हुए हैं, जो अंत में किसको जीत की ओर ले जाएगा, यह देखना दिलचस्प होगा।

तीन बड़े राजनीतिक गठबंधन: “महाभारत का युद्ध”

हरियाणा में इस बार तीन प्रमुख गठबंधन उभर कर सामने आए हैं। भाजपा (BJP) अपने दम पर सभी सीटों पर चुनाव लड़ रही है, वहीं कांग्रेस ने सीपीएम (CPM) के साथ गठबंधन किया है और भिवानी सीट को सीपीएम के लिए छोड़ दिया है। तीसरा गठबंधन इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) और बहुजन समाज पार्टी (BSP) के बीच है। INLD 53 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और BSP 37 सीटों पर। इसके अलावा, जन नायक जनता पार्टी (JJP) ने आज़ाद समाज पार्टी (ASP) के साथ हाथ मिलाया है।

मुख्य मुकाबला भले ही कांग्रेस और भाजपा के बीच माना जा रहा हो, लेकिन आप (AAP), निर्दलीय उम्मीदवार, और अन्य क्षेत्रीय पार्टियों का भी असर नकारा नहीं जा सकता। इस बार चुनावी समीकरणों में किसका पलड़ा भारी होगा, इसका फैसला तो नतीजे ही करेंगे, लेकिन वोटों का बंटवारा इस बार बड़ा मुद्दा बनने वाला है।

Haryana Election में किसका क्या दांव पर?

भाजपा के लिए यह चुनाव साख की लड़ाई है। अगर भाजपा इस चुनाव में हार गई तो इसका संदेश देशभर में जाएगा कि भाजपा का स्वर्णिम दौर अब खत्म हो रहा है। इससे विपक्ष को बल मिलेगा और भाजपा के सहयोगी दल उससे दूरी बना सकते हैं।

कांग्रेस के लिए भी यह चुनाव भविष्य की राजनीति तय करेगा। यदि कांग्रेस जीतती है तो विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ को एक नई ताकत मिलेगी। पर अगर कांग्रेस हार गई तो भूपेंद्र सिंह हुड्डा जैसे वरिष्ठ नेताओं के लिए यह राजनीतिक संन्यास की ओर बढ़ने का संकेत हो सकता है। इस चुनाव का परिणाम कांग्रेस के राष्ट्रीय भविष्य को भी प्रभावित करेगा।

चौटाला परिवार का भविष्य: राजनीति की परीक्षा

हरियाणा में चौटाला परिवार हमेशा से राजनीति का एक प्रमुख केंद्र रहा है। दुष्यंत चौटाला और अभय सिंह चौटाला के लिए यह चुनाव करो या मरो की तरह है। अगर जन नायक जनता पार्टी (JJP) अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई, तो दुष्यंत चौटाला का राजनीतिक करियर खतरे में आ सकता है। इसी तरह, अभय चौटाला की पार्टी इनेलो (INLD) भी इस बार जीत के लिए संघर्ष कर रही है। यदि इन दोनों में से किसी की पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया, तो हरियाणा की राजनीति में चौटाला परिवार की पकड़ कमजोर पड़ सकती है।

हरियाणा चुनाव में महिलाओं और युवाओं की भूमिका

इस बार के हरियाणा चुनाव (Haryana Election) में महिलाओं और युवाओं की भूमिका बेहद अहम होगी। हरियाणा के समाज में धीरे-धीरे महिला मतदाताओं की संख्या बढ़ी है, और वो अपने मतों से चुनावी समीकरण बदलने की ताकत रखती हैं। युवा वर्ग भी बदलाव के लिए तैयार है और अपने भविष्य के लिए नए नेताओं और नए वादों पर ध्यान दे रहा है।

जातीय समीकरण: हरियाणा की राजनीति की नींव

हरियाणा की राजनीति में जातीय समीकरण हमेशा से प्रभावशाली रहे हैं। यहां जाट, गुर्जर, यादव, दलित, और अन्य जातियां अपने-अपने समुदायों के हितों की बात करती हैं। इस चुनाव में सभी राजनीतिक दल जातीय समीकरणों को साधने की कोशिश कर रहे हैं। जातीय ध्रुवीकरण के चलते चुनाव का परिणाम किसी भी दिशा में जा सकता है।

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