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HC Acts on Illegal Constructions in Thane: ठाणे में अनधिकृत निर्माण पर हाई कोर्ट की सख्ती, टीएमसी को कड़ा आदेश

HC Acts on Illegal Constructions in Thane: ठाणे में अनधिकृत निर्माण पर हाई कोर्ट की सख्ती, टीएमसी को कड़ा आदेश

HC Acts on Illegal Constructions in Thane: मुंबई और इसके आसपास के इलाकों में अनधिकृत निर्माण (Illegal Constructions) की समस्या लंबे समय से चर्चा का विषय रही है। यह न केवल शहर की सुंदरता और नियोजित विकास को प्रभावित करती है, बल्कि पर्यावरण और नागरिकों की सुरक्षा के लिए भी खतरा बन चुकी है। 19 जून 2025 को, बॉम्बे हाई कोर्ट ने ठाणे में इस समस्या पर सख्त रुख अपनाते हुए ठाणे नगर निगम (टीएमसी) को कड़ा निर्देश दिया। कोर्ट ने टीएमसी आयुक्त सौरभ राव को उन अधिकारियों के खिलाफ “निर्मम” कार्रवाई करने को कहा, जो अनधिकृत निर्माण को बढ़ावा देते हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि ठाणे का यह “ठाणे पैटर्न” (Thane Pattern) पूरे महाराष्ट्र के लिए एक उदाहरण बनना चाहिए। यह फैसला न केवल ठाणे बल्कि पूरे राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

यह मामला तब सुर्खियों में आया जब एक वरिष्ठ नागरिक महिला ने शील गांव के पास अपनी साढ़े पांच एकड़ जमीन पर 17 अनधिकृत इमारतों के निर्माण की शिकायत की। इन इमारतों को “लैंड माफिया” द्वारा बनाया गया था, बिना किसी वैध अनुमति के। कोर्ट ने 12 जून को इन इमारतों को ढहाने का आदेश दिया था, और सुप्रीम कोर्ट ने भी इस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। टीएमसी ने कोर्ट को बताया कि 17 में से 10 इमारतें पूरी तरह ढहा दी गई हैं, दो इमारतें 80 प्रतिशत तक तोड़ी जा चुकी हैं, और बाकी पांच का काम चल रहा है। लेकिन कोर्ट का मानना है कि यह सिर्फ शुरुआत है। अनधिकृत निर्माण की समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए और सख्त कदम उठाने की जरूरत है।

कोर्ट ने इस मामले में एक गहरी चिंता जताई। जस्टिस गिरीश कुलकर्णी और जस्टिस आरिफ डॉक्टर की पीठ ने कहा कि ये अनधिकृत निर्माण सरकारी और नगर निगम के अधिकारियों की “मिलीभगत” के बिना संभव नहीं हो सकते। कोर्ट ने इसे एक “सिंडिकेट” करार दिया, जिसमें लैंड माफिया, बिल्डर और कुछ भ्रष्ट अधिकारी शामिल हैं। उदाहरण के लिए, शील गांव में बनी इन इमारतों में कोई भी मालिक तब सामने नहीं आया, जब इन्हें तोड़ा जा रहा था। यह हैरान करने वाला है कि इतने बड़े पैमाने पर निर्माण हुआ, लेकिन कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं। कोर्ट ने इसे “कानून के शासन” के लिए खतरा बताया और कहा कि अगर ऐसी गतिविधियों पर रोक नहीं लगी, तो ठाणे में अराजकता फैल सकती है।

टीएमसी ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि उन्होंने नौ टीमें बनाई हैं, जो ग्रीन जोन और नो-डेवलपमेंट जोन में अनधिकृत निर्माण (Illegal Constructions) की जांच करेंगी। आयुक्त सौरभ राव ने कहा कि वे हर हफ्ते वार्ड-स्तर पर बैठकें करेंगे, ताकि ऐसी गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। कोर्ट ने इस कदम की सराहना की, लेकिन साथ ही चेतावनी दी कि अगर टीएमसी ने समय पर कार्रवाई नहीं की, तो महाराष्ट्र नगर निगम अधिनियम के तहत एक “वैकल्पिक प्रशासनिक व्यवस्था” लागू की जा सकती है। इसका मतलब है कि टीएमसी का नियंत्रण किसी और के हाथ में जा सकता है।

इस मामले की गंभीरता को समझने के लिए एक और बात पर ध्यान देना जरूरी है। कोर्ट ने पाया कि इन अनधिकृत इमारतों से पर्यावरण को भी भारी नुकसान हुआ है। ग्रीन जोन में बने ये निर्माण न केवल अवैध हैं, बल्कि शहर के पर्यावरणीय संतुलन को भी बिगाड़ रहे हैं। उदाहरण के लिए, शील गांव के पास की जमीन पर 17 इमारतों के अलावा और 21 ऐसी इमारतें पाई गईं, जो बिना अनुमति के बनी थीं। इनका निर्माण न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी हानिकारक है। कोर्ट ने टीएमसी को इन सभी इमारतों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने का निर्देश दिया।

कोर्ट ने यह भी कहा कि टीएमसी का पहले का रिकॉर्ड अच्छा रहा है। पहले दोषी अधिकारियों को निलंबित किया जाता था और अनधिकृत निर्माण पर सख्ती बरती जाती थी। लेकिन अब हालात बदल गए हैं। जस्टिस कुलकर्णी ने सवाल उठाया कि “अब क्या हो गया?” उन्होंने आयुक्त से कहा कि वे उन अधिकारियों को निलंबित करें, जो ऐसे निर्माण को “संरक्षण” दे रहे हैं। कोर्ट का मानना है कि अगर टीएमसी इस मामले में सख्ती दिखाए, तो यह पूरे महाराष्ट्र के लिए एक मिसाल बन सकता है। ठाणे पैटर्न (Thane Pattern) न केवल अनधिकृत निर्माण को रोकने में मदद करेगा, बल्कि अन्य नगर निगमों को भी प्रेरित करेगा।

इस मामले में एक और दिलचस्प बात सामने आई। कोर्ट ने पाया कि जो लोग इन अनधिकृत इमारतों में फ्लैट खरीदते हैं, वे अक्सर “लालची खरीदार” होते हैं। ये लोग बिना दस्तावेजों की जांच किए सस्ते दामों पर फ्लैट खरीद लेते हैं, और बाद में कानूनी अधिकार का दावा करते हैं। कोर्ट ने साफ कहा कि ऐसे लोगों को कोई सहानुभूति नहीं दी जाएगी। उदाहरण के लिए, शील गांव की इमारतों में फ्लैट खरीदने वाले एक व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन कोर्ट ने उनकी अपील खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने भी बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया और कहा कि अवैध निर्माण को किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

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