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HC Orders PMC on Jewish Cemetery Encroachments: बॉम्बे हाई कोर्ट ने PMC को दिया 200 साल पुराने यहूदी कब्रिस्तान से अतिक्रमण हटाने का निर्देश

HC Orders PMC on Jewish Cemetery Encroachments: बॉम्बे हाई कोर्ट ने PMC को दिया 200 साल पुराने यहूदी कब्रिस्तान से अतिक्रमण हटाने का निर्देश

HC Orders PMC on Jewish Cemetery Encroachments: पनवेल, जो नवी मुंबई के पास अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता है, एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार मामला 200 साल पुराने यहूदी कब्रिस्तान (Jewish Cemetery, यहूदी कब्रिस्तान) से जुड़ा है, जहां अवैध अतिक्रमण (Illegal Encroachments, अवैध अतिक्रमण) की शिकायतों ने बॉम्बे हाई कोर्ट का ध्यान खींचा है। 16 जून 2025 को, बॉम्बे हाई कोर्ट ने पनवेल नगर निगम (PMC) को इस कब्रिस्तान की जमीन पर हुए कथित अवैध निर्माणों और अतिक्रमणों की वैधानिकता की जांच करने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया। यह कब्रिस्तान, जो पनवेल, नवी मुंबई, करजत, और खोपोली की यहूदी समुदायों के लिए धार्मिक महत्व रखता है, अब गंभीर खतरे का सामना कर रहा है। कोर्ट का यह फैसला न केवल इस ऐतिहासिक स्थल की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह शहर की सांस्कृतिक धरोहर को बचाने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।

यह मामला तब सामने आया, जब ज्यूइश हेरिटेज ट्रस्ट ने कोर्ट में याचिका दायर की। इस याचिका में दावा किया गया कि 15,000 वर्ग मीटर में फैले इस कब्रिस्तान की जमीन पर कुछ निर्माण कंपनियों ने बिना अनुमति के होर्डिंग्स और संरचनाएं खड़ी की हैं। इसके अलावा, कब्रिस्तान में मौजूद पवित्र इजरायल झील, जिसका उपयोग यहूदी समुदाय अंतिम संस्कार से पहले शवों को शुद्ध करने के लिए करता है, को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है। याचिका के अनुसार, इस झील में अतिक्रमणकारियों द्वारा गंदा पानी और कचरा डाला जा रहा है, और यहां तक कि एक अवैध बूचड़खाना भी संचालित हो रहा है। सबसे दुखद बात यह है कि कब्रिस्तान में कई कब्रों को इन निर्माणों के लिए नष्ट कर दिया गया। यहूदी समुदाय के लिए यह स्थान न केवल धार्मिक, बल्कि भावनात्मक महत्व भी रखता है, और इस तरह की गतिविधियां उनकी आस्था पर गहरा आघात हैं।

बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और जस्टिस संदीप मार्ने की बेंच ने इस मामले को गंभीरता से लिया। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र क्षेत्रीय नगर नियोजन अधिनियम और महाराष्ट्र नगर निगम अधिनियम के तहत पनवेल नगर निगम की यह कानूनी जिम्मेदारी है कि वह अतिक्रमण हटाए और जल निकायों को स्वच्छ रखे। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह तय करना कि यह जमीन सुभान शाह दरगाह की है या ज्यूइश हेरिटेज ट्रस्ट की, एक तथ्यात्मक सवाल है, जिसे संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत तय नहीं किया जा सकता। इसलिए, कोर्ट ने पनवेल नगर निगम के वार्ड अधिकारी को निर्देश दिया कि वह उन लोगों को सुनवाई का मौका दे, जिन पर अतिक्रमण का आरोप है। अगर यह पाया गया कि कोई व्यक्ति या समूह अवैध रूप से जमीन पर कब्जा किए हुए है या अनधिकृत निर्माण किया है, तो निगम को कानून के अनुसार कार्रवाई करनी होगी।

कोर्ट ने इस पूरी प्रक्रिया को तीन महीने के भीतर पूरा करने का आदेश दिया है। यह समयसीमा न केवल इस मामले की गंभीरता को दर्शाती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करती है कि पीड़ित पक्ष को जल्द से जल्द न्याय मिले। याचिका में यह भी बताया गया कि इस मामले को लेकर पहले से ही कई कानूनी मंचों पर सुनवाई चल रही है, जैसे कि रायगढ़ सत्र न्यायालय और पनवेल के मजिस्ट्रेट कोर्ट। इसके बावजूद, पनवेल नगर निगम ने अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया। ज्यूइश हेरिटेज ट्रस्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता ए.एस. खांडेपरकर ने कोर्ट में तर्क दिया कि निगम ने अतिक्रमणकारियों को चिह्नित करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की, जो उनकी जिम्मेदारी में कमी को दर्शाता है। यह स्थिति न केवल कानूनी व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों की रक्षा के लिए प्रशासन को और सक्रिय होना होगा।

यह कब्रिस्तान दो सदी से भी ज्यादा समय से यहूदी समुदाय के लिए एक पवित्र स्थल रहा है। पनवेल और आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले यहूदी परिवारों के लिए यह कब्रिस्तान उनकी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान का हिस्सा है। इजरायल झील, जो इस कब्रिस्तान का एक अभिन्न हिस्सा है, यहूदी रीति-रिवाजों में विशेष महत्व रखती है। इस झील का उपयोग अंतिम संस्कार से पहले शवों को शुद्ध करने के लिए किया जाता है, और इसका दुरुपयोग न केवल धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाता है, बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाता है। याचिका में यह भी उल्लेख किया गया कि अतिक्रमणकारियों ने इस क्षेत्र में अवैध बूचड़खाना संचालित किया, जिससे कब्रिस्तान की पवित्रता और साफ-सफाई पर और बुरा असर पड़ा।

पनवेल नगर निगम की ओर से इस मामले में पहले की निष्क्रियता ने कई सवाल खड़े किए हैं। निगम ने हाल के वर्षों में कई बार अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाए हैं, जैसे कि नावदे उप-मंडल में अवैध गोदामों को ध्वस्त करना और तपल नाका में सड़क चौड़ीकरण के लिए अतिक्रमण हटाना। लेकिन इस कब्रिस्तान के मामले में उनकी चुप्पी समझ से परे है। कोर्ट का यह आदेश निगम के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों की रक्षा उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी है। यह मामला न केवल यहूदी समुदाय के लिए, बल्कि पनवेल के हर उस नागरिक के लिए महत्वपूर्ण है, जो अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित देखना चाहता है।

इस मामले ने पनवेल में अतिक्रमण की व्यापक समस्या को भी उजागर किया है। नवी मुंबई और पनवेल जैसे तेजी से विकसित हो रहे क्षेत्रों में अवैध निर्माण और अतिक्रमण कोई नई बात नहीं है। हाल ही में, निगम ने कलमबोली और खारघर में अवैध संरचनाओं के खिलाफ कार्रवाई की थी, जिसमें अवैध होटल, दुकानें, और गैरेज बोर्ड हटाए गए। लेकिन इस तरह के अभियान अक्सर सीमित दायरे में रह जाते हैं, और धार्मिक या ऐतिहासिक स्थलों जैसे संवेदनशील मामलों में कार्रवाई में देरी होती है। यहूदी कब्रिस्तान का मामला इस बात का सबूत है कि प्रशासन को अपनी प्राथमिकताओं को और स्पष्ट करना होगा।

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