मुंबई

Heritage Wall Cracks Near Gateway: कोलाबा जेटी ड्रिलिंग से गेटवे ऑफ इंडिया की दीवार को खतरा, निवासी मांग रहे ऑडिट

Heritage Wall Cracks Near Gateway: कोलाबा जेटी ड्रिलिंग से गेटवे ऑफ इंडिया की दीवार को खतरा, निवासी मांग रहे ऑडिट

Heritage Wall Cracks Near Gateway: मुंबई की ऐतिहासिक धरोहर, गेटवे ऑफ इंडिया के पास स्थित हेरिटेज वॉल (heritage wall) में हाल ही में दरारें देखी गई हैं। यह खबर कोलाबा और कफ परेड के निवासियों के लिए चिंता का विषय बन गई है। इन दरारों का कारण महाराष्ट्र मैरीटाइम बोर्ड (MMB) द्वारा कोलाबा जेटी (Colaba jetty) के निर्माण के लिए की जा रही ड्रिलिंग को बताया जा रहा है। इस घटना ने न केवल स्थानीय लोगों का ध्यान खींचा है, बल्कि इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में याचिकाएं दायर की गई हैं। निवासियों ने मांग की है कि आसपास की इमारतों का स्ट्रक्चरल ऑडिट (structural audit) किया जाए और कंपन की निगरानी (vibration monitoring) के लिए उपकरण लगाए जाएं। आइए, इस मुद्दे को और गहराई से समझते हैं।

कोलाबा, मुंबई का एक ऐसा इलाका है जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर के लिए जाना जाता है। गेटवे ऑफ इंडिया, जो भारत का एक प्रतिष्ठित स्मारक है, इस क्षेत्र का गौरव है। लेकिन हाल ही में, इस स्मारक के पास की हेरिटेज वॉल में दरारें (cracks in heritage wall) देखने को मिलीं। स्थानीय निवासी वंदना कृपलानी ने बताया कि उनके घर के सामने वाली दीवार में साफ-साफ दरारें दिखाई दे रही हैं। उनके अनुसार, ये दरारें ड्रिलिंग से उत्पन्न होने वाली तेज कंपन (high-frequency vibrations) और मिट्टी के अस्थिर होने (soil destabilization) का परिणाम हैं। यह ड्रिलिंग कोलाबा जेटी के निर्माण के लिए की जा रही है, जिसका उद्देश्य एक नया यात्री टर्मिनल बनाना है।

निवासियों का कहना है कि यह जेटी परियोजना (Colaba jetty project) न केवल ऐतिहासिक धरोहर को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि आसपास की इमारतों की नींव को भी कमजोर कर रही है। कफ परेड निवासी संगठन की अध्यक्ष लॉरा डिसूजा ने गुस्से में कहा कि दीवार के टुकड़े गिरना सिर्फ दरार नहीं, बल्कि कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है। उन्होंने सरकार पर जल्दबाजी में इस परियोजना को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया। उनका मानना है कि इससे न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि नागरिकों की सुरक्षा को भी खतरा है।

यह विवाद नया नहीं है। मार्च में, जब मत्स्य पालन और बंदरगाह विकास मंत्री नितेश राणे ने इस जेटी के लिए आधारशिला रखी थी, तभी से कोलाबा और कफ परेड के निवासियों ने इसका विरोध शुरू कर दिया था। उनका कहना है कि यह परियोजना, जिसकी लागत 229 करोड़ रुपये बताई जा रही है, न केवल गेटवे ऑफ इंडिया की हेरिटेज वॉल (heritage wall) को नुकसान पहुंचाएगी, बल्कि इलाके में ट्रैफिक जाम और भीड़भाड़ को भी बढ़ाएगी। निवासियों ने इस मुद्दे को बॉम्बे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक ले जाया है। सुप्रीम कोर्ट अगले सप्ताह इस मामले की सुनवाई करने वाला है।

निवासियों की मांग साफ है। वे चाहते हैं कि ड्रिलिंग का काम तुरंत रोका जाए और एक स्वतंत्र स्ट्रक्चरल ऑडिट (structural audit) कराया जाए। इसके अलावा, वे कंपन निगरानी उपकरण (vibration monitoring instruments) लगाने और पर्यावरणीय प्रभाव के आकलन को सार्वजनिक करने की मांग कर रहे हैं। एक निवासी, जिन्होंने अपना नाम गुप्त रखने की इच्छा जताई, ने बताया कि ड्रिलिंग मशीनों की आवाज ने पूरी रात उन्हें और उनके परिवार को परेशान किया। खासकर, बुजुर्ग नागरिकों के लिए यह स्थिति असहनीय हो गई थी। पुलिस ने शुक्रवार सुबह शिकायत के बाद काम रोक दिया, लेकिन कुछ ही समय बाद काम फिर से शुरू हो गया।

इस घटना ने कोलाबा के निवासियों को एकजुट कर दिया है। साउथ मुंबई रेजिडेंट्स यूनाइटेड के बैनर तले, लोगों ने मोमबत्ती मार्च निकाला और नीले टी-शर्ट पहनकर नारे लगाए, जैसे “जेटी हटाओ, कोलाबा बचाओ”। उनका कहना है कि यह जेटी केवल वीआईपी के लिए बनाई जा रही है, जिसका कोई सार्वजनिक लाभ नहीं है। इसके उलट, यह परियोजना ऐतिहासिक स्मारक और समुद्री पारिस्थितिकी (marine ecology) को नुकसान पहुंचा रही है।

महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट में दावा किया कि यह जेटी सभी के लिए होगी, न कि केवल वीआईपी के लिए। सरकार का कहना है कि यह परियोजना गेटवे ऑफ इंडिया के पास मौजूदा नावों की अव्यवस्थित आवाजाही को सुधारने के लिए है। लेकिन निवासियों का तर्क है कि परियोजना को शुरू करने से पहले उचित पर्यावरणीय और संरचनात्मक आकलन (environmental and structural assessments) नहीं किए गए। उनका यह भी कहना है कि महाराष्ट्र तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण (MCZMA) और हेरिटेज संरक्षण समिति ने बिना उचित प्रक्रिया के अनुमति दी।

यह मामला सिर्फ एक दीवार की दरारों तक सीमित नहीं है। यह मुंबई की सांस्कृतिक धरोहर, पर्यावरण और नागरिकों की सुरक्षा का सवाल है। कोलाबा के निवासियों का मानना है कि गेटवे ऑफ इंडिया न केवल एक स्मारक है, बल्कि मुंबई की पहचान है। इसकी रक्षा करना हर नागरिक का कर्तव्य है। जैसे-जैसे यह मामला कोर्ट में आगे बढ़ रहा है, निवासियों की उम्मीदें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं। वे चाहते हैं कि उनकी आवाज सुनी जाए और उनकी धरोहर को बचाया जाए।

#MumbaiNews #HeritageWall #ColabaJetty #GatewayOfIndia #StructuralAudit

ये भी पढ़ें: 23 मई 2025 का राशिफल: जानें अपनी राशि के लिए शुभ रंग, अंक और मंत्र

You may also like