मुंबई के फुटपाथों पर तो पैदल चलने वाले भी ठीक से नहीं चल पाते, दिव्यांगों का क्या हाल होगा! इसी बात पर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की क्लास ले ली है। कोर्ट ने पूछा है कि मुंबई में फुटपाथों को दिव्यांगों के लिए सुविधाजनक बनाने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं।
मामला तब शुरू हुआ जब एक व्हीलचेयर पर रहने वाले शख्स, करण शाह, ने हाई कोर्ट को ईमेल लिखा। उन्होंने कोर्ट को बताया कि मुंबई में फुटपाथ आम लोगों के लिए भी ठीक नहीं हैं, और व्हीलचेयर वाले तो सोच भी नहीं सकते! जगह-जगह लगाए गए खंभों (bollards) के बीच से जाना लगभग नामुमकिन है।
इसके बाद, हाई कोर्ट ने खुद ही इस मामले का संज्ञान लिया। BMC के वकील ने कोर्ट को बताया कि ये खंभे हटाने का काम चल रहा है, पर कोर्ट ने BMC को फटकार लगाई । अब कोर्ट ने साफ कह दिया है कि सरकार को ये बताना होगा कि और क्या-क्या बदलाव वह दिव्यांग लोगों के लिए फुटपाथों पर करने जा रही है।
सरकार के वकील ने बताया कि विकलांग लोगों की समस्याओं को देखने के लिए एक बोर्ड बनाया गया है। कोर्ट ने इस बोर्ड का पूरा ब्यौरा मांगा है, और साथ ही कहा है कि ये काम कोई आम अफसर नहीं, बल्कि बड़े अधिकारी के हाथ में होना चाहिए।
देखते हैं अब सरकार क्या करती है! कोर्ट की तरफ से सख्ती दिखाई जा रही है। साथ ही, कोर्ट ने बस स्टॉप, बस टर्मिनल वगैरह को विकलांगों के लिए सुविधाजनक बनाने की बात भी उठाई है। अब सरकार बच नहीं पाएगी, कुछ तो करना ही होगा!