मुंबई पुलिस ने एक सनसनीखेज और ऐतिहासिक कदम उठाया है, जो शहर की कानून व्यवस्था में बड़े बदलाव का संकेत दे रहा है। हमेशा विवादों में घिरी रहने वाली सोशल सिक्योरिटी ब्रांच (SS Branch) को अब पूरी तरह बंद करने का फैसला लिया गया है। इसकी जगह अब क्राइम अगेंस्ट वुमन यूनिट बनाई जाएगी, जो महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों पर विशेष ध्यान देगी। इस बदलाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और जल्द ही सरकार की ओर से आधिकारिक आदेश जारी होने की उम्मीद है।
SS ब्रांच: विवादों का दूसरा नाम
SS ब्रांच का नाम सुनते ही एक समय में डांस बार और रेस्टोरेंट्स पर छापेमारी की तस्वीरें जेहन में आती थीं। खासकर तत्कालीन ACP वसंत ढोबले के दौर में ये ब्रांच हर दिन सुर्खियों में रहती थी। लेकिन समय के साथ इसकी छवि दागदार होती गई। भ्रष्टाचार और जबरन वसूली के आरोपों ने इस शाखा को कठघरे में खड़ा कर दिया। सूत्रों के मुताबिक, SS ब्रांच की स्थापना 1981 में ह्यूमन ट्रैफिकिंग और सामाजिक समस्याओं से निपटने के लिए की गई थी। इसका मकसद था पड़ोस के झगड़े सुलझाना, घरेलू विवादों में मध्यस्थता करना, लव अफेयर से जुड़ी गलतफहमियां दूर करना और धमकी या अपहरण जैसे मामलों में त्वरित कार्रवाई करना।
लेकिन धीरे-धीरे इसका फोकस बदल गया। छापेमारी और रेड ही इसका मुख्य काम बन गया, जिसके चलते इसकी मंशा पर सवाल उठने लगे।
होटल-बार से वसूली का गंभीर आरोप
SS ब्रांच पर सबसे बड़ा विवाद तब खड़ा हुआ, जब पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने तत्कालीन मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर सनसनीखेज खुलासा किया। उन्होंने आरोप लगाया कि गृह मंत्री अनिल देशमुख इस ब्रांच के जरिए हर महीने 100 करोड़ रुपये की वसूली का दबाव डालते थे। इस खुलासे ने महाराष्ट्र की सियासत में तूफान ला दिया और SS ब्रांच की विश्वसनीयता पर गहरा सवाल खड़ा हो गया। होटल और बार से पैसे वसूलने के लिए इस शाखा के दुरुपयोग के आरोपों ने इसकी साख को और ठेस पहुंचाई।
नई शुरुआत: क्राइम अगेंस्ट वुमन यूनिट
मुंबई के नए पुलिस कमिश्नर देवेन भारती ने पद संभालते ही SS ब्रांच को बंद करने का सख्त फैसला लिया। सूत्र बताते हैं कि भारती इस ब्रांच के कामकाज और उस पर लगने वाले आरोपों से लंबे समय से नाखुश थे। अब इसकी जगह क्राइम अगेंस्ट वुमन यूनिट की स्थापना की जा रही है, जो महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों जैसे यौन उत्पीड़न, घरेलू हिंसा और अन्य गंभीर मामलों की जांच पर फोकस करेगी।
ये यूनिट न केवल महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देगी, बल्कि समाज में पुलिस की छवि को सुधारने में भी मददगार साबित होगी।
समाज में क्या होगा असर?
ये फैसला न सिर्फ पुलिस विभाग के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक बड़ा कदम है। SS ब्रांच के बंद होने से उन लोगों को राहत मिलेगी, जो इसके गलत इस्तेमाल का शिकार हुए। साथ ही, क्राइम अगेंस्ट वुमन यूनिट के गठन से महिलाओं को न्याय मिलने की प्रक्रिया तेज होगी। ये कदम मुंबई पुलिस के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ने जा रहा है।
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