धर्म की दुनिया में बड़ी और अच्छी खबर! पहली बार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के चार संतों को महामंडलेश्वर की उपाधि मिली है। हिंदू समाज में समानता लाने के लिए ये ऐतिहासिक कदम उठाया गया है।
संतों में ऊंच-नीच का भेदभाव सदियों से चला आ रहा है। महामंडलेश्वर बनने के लिए भी कुछ खास जातियों में पैदा होना ज़रूरी माना जाताता रहा है। लेकिन अब अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने संत समाज की इस पुरानी सोच को बदलने की कोशिश की है।
कहां हुआ ये आयोजन?
गुजरात के अहमदाबाद में इस खास कार्यक्रम में गुजरात के ही चार संतों को महामंडलेश्वर बनाया गया। पूजा-पाठ और कई रीति-रिवाजों के बाद इन संतों को ये पदवी दी गई।
कौन हैं ये नए महामंडलेश्वर?
ये चारों संत गुजरात के अलग-अलग हिस्सों से हैं। भावनगर से दो, राजकोट से एक, और सुरेंद्रनगर से एक संत को ये सम्मान मिला है।
आयोजकों की अहम बात
कार्यक्रम के आयोजकों के मुताबिक, पिछले 1300 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है। उनका लक्ष्य है अगले कुछ सालों में 100 एससी-एसटी संतों को महामंडलेश्वर बनाना। इससे हिंदू समाज में फैली जाति-व्यवस्था को तोड़ने में मदद मिलेगी।
संत समाज में भी बदलाव की लहर आ रही है। ये एक बहुत अच्छी पहल है जिससे समाज में समानता बढ़ेगी। हालांकि, ये देखना होगा कि क्या इस कदम से ज़मीन पर वाकई में बड़ा बदलाव देखने को मिलता है।
कार्यक्रम में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के बड़े पदाधिकारियों के अलावा स्वामीनारायण समाज के महंत भी शामिल हुए थे।