हाल ही में मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को लेकर चल रहे विवाद के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रायगढ़ किले का दौरा किया। ये दौरा न केवल ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण था, बल्कि छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रेरणादायी विरासत को याद करने का भी एक अवसर था। इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे कि अमित शाह के इस दौरे की खास बातें क्या थीं और क्यों शिवाजी महाराज की विरासत आज भी हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
रायगढ़ किला: शिवाजी महाराज की गौरव गाथा का प्रतीक
रायगढ़ किला छत्रपति शिवाजी महाराज की वीरता और स्वराज्य की स्थापना का एक जीवंत प्रतीक है। अमित शाह ने इस किले पर पहुंचकर सबसे पहले शिवाजी महाराज को नमन किया। उन्होंने कहा, “शिवाजी महाराज को केवल महाराष्ट्र तक सीमित न करें। उनकी विरासत पूरे भारत के लिए प्रेरणा का स्रोत है।” शाह ने यह भी उल्लेख किया कि औरंगजेब, जो खुद को ‘आलमगीर’ कहता था, महाराष्ट्र में पराजित हुआ और यहीं उसकी समाधि बनी। यह बयान शिवाजी महाराज की शौर्य गाथा को और भी उजागर करता है।
जीजाबाई को नमन: एक माँ की प्रेरणा
अमित शाह ने रायगढ़ किले पर शिवाजी महाराज की माता जीजाबाई को भी श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि जब शिवाजी महाराज का जन्म हुआ, तब देश अंधकार में डूबा था। उस समय स्वराज्य की कल्पना करना भी असंभव था। लेकिन जीजाबाई ने अपने संस्कारों से शिवाजी को प्रेरित किया। मात्र 12 साल की उम्र में शिवाजी ने सिंधु से कन्याकुमारी तक भगवा लहराने की शपथ ली थी। शाह ने जीजाबाई के योगदान को एक वटवृक्ष के रूप में बताया, जिसने शिवाजी की विरासत को और भी मजबूत किया।
शिवाजी महाराज की विरासत: एक प्रेरणादायी कहानी
अमित शाह ने अपने भाषण में शिवाजी महाराज के संघर्षों को याद किया। उन्होंने बताया कि देवगिरि के पतन के बाद दक्षिण भारत में अंधकार छा गया था। लेकिन शिवाजी ने असंभव को संभव कर दिखाया। उनके बाद संभाजी महाराज, रानी लक्ष्मीबाई और अन्य वीरों ने भी औरंगजेब के खिलाफ संघर्ष जारी रखा। शाह ने कहा कि शिवाजी का चरित्र हर भारतीय बच्चे को पढ़ाया और सिखाया जाना चाहिए, ताकि वे उनकी वीरता और स्वराज्य के मूल्यों से प्रेरणा ले सकें।
अमित शाह का संदेश: प्रेरणा लेने का अवसर
अमित शाह ने स्पष्ट किया कि वे रायगढ़ किले पर कोई राजनीति करने नहीं आए हैं। उन्होंने कहा, “कल्पना कीजिए जब शिवाजी महाराज भगवा ध्वज लेकर इस किले पर आए होंगे, तब देश का माहौल कैसा रहा होगा। मैं यहां प्रेरणा लेने आया हूं।” यह बयान उनके इस दौरे के उद्देश्य को स्पष्ट करता है। शाह ने शिवाजी महाराज और धर्मवीर संभाजी महाराज की जय-जयकार के साथ अपने भाषण की शुरुआत की, जो इस दौरे के भावनात्मक महत्व को दर्शाता है।
आगे का कार्यक्रम
रायगढ़ किले के बाद अमित शाह सुतारवाड़ी गए, जहां वे एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष और रायगढ़ के सांसद सुनील तटकरे के आवास पर दोपहर के भोजन के लिए रुके। तटकरे ने व्यक्तिगत रूप से उन्हें यह निमंत्रण दिया था, जिसे शाह ने स्वीकार किया। तटकरे ने स्पष्ट किया कि इस भोजन के दौरान कोई राजनीतिक चर्चा नहीं होगी। हालांकि, राजनीतिक हलकों में यह चर्चा है कि शाह के इस दौरे के दौरान कुछ स्थानीय मुद्दे, जैसे पालक मंत्री का विवाद, सुलझ सकता है।
अमित शाह का रायगढ़ किला दौरा न केवल शिवाजी महाराज की गौरवशाली विरासत को याद करने का अवसर था, बल्कि यह भी संदेश देता है कि उनकी शिक्षाएं और मूल्य आज भी प्रासंगिक हैं। शिवाजी महाराज ने स्वराज्य की स्थापना कर यह दिखाया कि दृढ़ संकल्प और साहस से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। यह दौरा हमें प्रेरित करता है कि हम अपनी जड़ों को याद रखें और इतिहास से सीख लेकर एक मजबूत भविष्य की ओर बढ़ें।
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