मुंबई, जिसे पहले बॉम्बे कहा जाता था, आज विश्व का सातवां सबसे बड़ा शहर और महाराष्ट्र की राजधानी है। ये शहर न केवल भारत की आर्थिक राजधानी है, बल्कि पर्यटकों के लिए भी प्रमुख आकर्षण का केंद्र है। पर क्या आप जानते हैं कि इस शहर का नाम कैसे पड़ा और इसका इतिहास कितना प्राचीन है?
मुंबा देवी और नाम का उद्गम
मुंबई शब्द का मूल स्रोत मुंबा देवी हैं, जो कोली जनजाति की कुलदेवी हैं। कोली लोग, जो इस क्षेत्र में पुराने समय से रहते थे, अपनी देवी के सम्मान में बस्ती को “मुंबा” कहते थे। समय के साथ इस नाम का रूपांतर होकर बंबई और बॉम्बे हुआ।
मुंबा देवी, हिंदू देवी दुर्गा के स्वरूप में मानी जाती हैं। मराठी में मां को ‘अंबा’ कहा जाता है। इसलिए नाम हुआ – मुंबा + अंबा = मुंबई। यही कारण है कि शहर का नाम देवी मां के नाम से जुड़ा हुआ है और उनका मंदिर आज भी एक प्रमुख धार्मिक स्थल है।
बॉम्बे नाम का इतिहास
सोलहवीं शताब्दी में जब पुर्तगालियों का यहां आना हुआ, तो उन्होंने इस शहर को अलग-अलग नामों से पुकारा, और धीरे-धीरे ये बॉम्बे के नाम से फेमस हो गया। 17वीं शताब्दी में ब्रिटिश शासन के दौरान भी इसे बॉम्बे ही कहा गया।
अब जहां तक बात मुंबई नाम की है, तो आधिकारिक तौर पर शहर का नाम 1995 में मुंबई कर दिया गया। बता दें कि बॉम्बे नाम पुर्तगाली शब्द से निकला था, जिसका अर्थ “अच्छी खाड़ी” होता है।
प्राचीन इतिहास और पर्यटन
मुंबई केवल आधुनिक शहर ही नहीं है, बल्कि इसका इतिहास बहुत पुराना है। उत्तरी मुंबई के कांदिवली क्षेत्र में मिले प्राचीन अवशेष ये बताते हैं कि ये द्वीप समूह पाषाण युग से बसा हुआ है।
मुंबई को ‘सपनों की नगरी’ भी कहा जाता है। शहर का शहरी क्षेत्र प्रायद्वीप पर फैला है और इसे आइलैंड सिटी के नाम से भी जाना जाता है।
मुंबा देवी का मंदिर इस शहर का धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र है। देश-विदेश से लोग इस मंदिर की सुंदर वास्तुकला और देवी की प्रतिमा देखने आते हैं, जो चांदी के मुकुट और सोने के हार से सजाई गई है। यही मंदिर और देवी मां के सम्मान ने इस महानगर को मुंबई का नाम दिया।
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