Hanuman Humbled Arjuna’s Pride: महाभारत में अर्जुन को अपने धनुर्विद्या कौशल पर अत्यधिक गर्व था। अर्जुन का घमंड (Arjuna’s pride) इतना बढ़ गया था कि उन्होंने स्वयं को सबसे श्रेष्ठ धनुर्धर मान लिया था। यह अहंकार तब चकनाचूर हुआ जब हनुमान ने अर्जुन को चुनौती दी (Hanuman challenged Arjuna) और बताया कि मेघनाद जैसा योद्धा धनुर्विद्या में उनसे कई गुना श्रेष्ठ था। यह कहानी महाभारत और रामायण के महान योद्धाओं की तुलना और उनके नैतिक पाठ की गहरी समझ देती है।
अर्जुन का अहंकार और श्रीकृष्ण की चिंता
महाभारत के युद्ध के समय अर्जुन अपने श्रेष्ठता बोध से घिर गए थे। उन्होंने श्रीकृष्ण से कहा कि उनसे अधिक कुशल धनुर्धर कोई नहीं हुआ। यह बात कृष्ण को खटक गई। वे जानते थे कि अहंकार किसी भी योद्धा को पतन की ओर ले जाता है। अर्जुन का अहंकार तोड़ने के लिए कृष्ण ने हनुमान से सहायता मांगी, जिनकी विनम्रता और शक्ति जगजाहिर थी।
हनुमान की परीक्षा और अर्जुन की हार
हनुमान ने अर्जुन को चुनौती दी कि वे उड़ते हुए उन पर तीर चलाएं। अर्जुन ने यह चुनौती स्वीकार की लेकिन पूरे दिन के प्रयास के बाद भी वे हनुमान को नहीं छू सके। तब हनुमान ने कहा, “तुम महान हो, लेकिन मेघनाद जैसा धनुर्धर नहीं हो सकते। वह ऐसा योद्धा था जिसने मुझे भी परास्त किया था।” अर्जुन यह सुनकर लज्जित हो गए और उनका घमंड टूट गया।
मेघनाद: सबसे शक्तिशाली योद्धा
रामायण में मेघनाद को इंद्रजीत कहा जाता है क्योंकि उन्होंने इंद्र को भी बंदी बनाया था। वे रावण के पुत्र थे और शक्तियों के स्वामी थे। उनकी मृत्यु भी लक्ष्मण ने यज्ञ विधि को भंग करने के बाद ही कर पाई थी।
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