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Hum Bharat Ke Log: ‘हम भारत के लोग’ मुंबई से शुरू हुआ संवैधानिक मूल्यों का आंदोलन

Hum Bharat Ke Log: 'हम भारत के लोग' मुंबई से शुरू हुआ संवैधानिक मूल्यों का आंदोलन

Hum Bharat Ke Log: मुंबई, जो भारत की आर्थिक राजधानी के रूप में जानी जाती है, एक बार फिर इतिहास के पन्नों में अपनी जगह बना रही है। इस बार यह शहर एक ऐसे आंदोलन का गवाह बना, जो देश के संवैधानिक मूल्यों को बचाने और सामाजिक एकता को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। 19 अप्रैल 2025 को, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मुंबई में एक दिन की बैठक की, जिसके बाद ‘हम भारत के लोग’ (Hum Bharat Ke Log) नामक एक राष्ट्रीय संगठन की स्थापना की घोषणा की गई। यह संगठन संवैधानिक मूल्य (Constitutional Values) और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। इस लेख में हम इस संगठन की शुरुआत, इसके उद्देश्यों और इसके महत्व को समझेंगे।

‘हम भारत के लोग’ की स्थापना का विचार तब जन्मा, जब देश में सांप्रदायिक और जातिगत विभाजन की घटनाएं बढ़ने लगीं। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने महसूस किया कि देश की संवैधानिक लोकतंत्र (Constitutional Democracy) पर खतरा मंडरा रहा है। इस संगठन के पीछे गांधीवादी मूल्यों की प्रेरणा है, और इसे स्वतंत्रता सेनानी डॉ. जी. जी. परिख, जो सौ वर्ष से अधिक उम्र के हैं, और महात्मा गांधी के पौत्र तुषार गांधी के नेतृत्व में शुरू किया गया है। तुषार गांधी, शरद कदम, फिरोज मिथिबोरवाला, गुड्डी और संतोष अंबेकर जैसे कार्यकर्ताओं ने एक बयान में कहा कि यह संगठन देश में बढ़ती सांप्रदायिकता और नफरत को खत्म करने के लिए काम करेगा।

इस संगठन का गठन एक दिन की बैठक का परिणाम नहीं है। इसके पीछे कई महीनों की गहन चर्चाएं और विचार-विमर्श हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने महसूस किया कि देश में एक ऐसी शक्ति की जरूरत है, जो संविधान के मूल्यों को न केवल बचाए, बल्कि उन्हें जन-जन तक पहुंचाए। 19 अप्रैल को मुंबई में हुई बैठक में महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों से आए कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। इस बैठक में यह तय किया गया कि ‘हम भारत के लोग’ एक ऐसा मंच होगा, जो सामाजिक न्याय, समानता, बंधुत्व और स्वतंत्रता जैसे मूल्यों को बढ़ावा देगा। यह संगठन भारत की विविधता और बहुलता का सम्मान करते हुए, नफरत की दीवारों को तोड़ने का काम करेगा।

‘हम भारत के लोग’ का कहना है कि आज देश एक ‘अघोषित आपातकाल’ का सामना कर रहा है। संगठन के मुताबिक, लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन हो रहा है, और संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर किया जा रहा है। उन्होंने इसे एक गंभीर संकट बताया, जिसका मुकाबला करने के लिए स्वतंत्रता संग्राम की भावना को फिर से जीवित करने की जरूरत है। संगठन का मानना है कि देश को विभाजनकारी और नफरत से भरी विचारधारा से मुक्त करने की आवश्यकता है। इसके लिए वे अहिंसक तरीकों से संघर्ष करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

इस संगठन का एक प्रमुख उद्देश्य है देश के लोगों को एकजुट करना। भारत, जो अपनी सांस्कृतिक और सामाजिक विविधता के लिए जाना जाता है, आज नफरत और विभाजन के खतरे का सामना कर रहा है। ‘हम भारत के लोग’ इस विभाजन को खत्म करने और एक समावेशी समाज बनाने की दिशा में काम करना चाहता है। संगठन का कहना है कि वे एक ऐसा समाज बनाना चाहते हैं, जो धर्मनिरपेक्ष, शांतिपूर्ण और करुणामय हो। इसके लिए वे संविधान में निहित मूल्यों—न्याय, समानता और बंधुत्व—को अपनी प्रेरणा मानते हैं।

‘हम भारत के लोग’ की स्थापना का समय भी अपने आप में महत्वपूर्ण है। देश में पिछले कुछ वर्षों में सांप्रदायिक तनाव और सामाजिक असमानता की घटनाएं बढ़ी हैं। ऐसे में यह संगठन एक नई उम्मीद की तरह उभरा है। यह संगठन न केवल सामाजिक कार्यकर्ताओं को एक मंच प्रदान करता है, बल्कि नई पीढ़ी को भी प्रेरित करता है कि वे अपने देश के संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए आगे आएं। खासकर युवा, जो सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपनी आवाज बुलंद करते हैं, इस संगठन के माध्यम से सामाजिक बदलाव का हिस्सा बन सकते हैं।

इस संगठन की शुरुआत को स्वतंत्रता संग्राम से जोड़ा जा रहा है। संगठन का कहना है कि भारत का संविधान स्वतंत्रता संग्राम के प्रगतिशील मूल्यों से प्रेरित है। महात्मा गांधी, डॉ. बी. आर. अंबेडकर और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों ने जिस भारत का सपना देखा था, वह एक ऐसा देश था, जहां हर नागरिक को बराबरी का हक हो। ‘हम भारत के लोग’ उसी सपने को साकार करने की कोशिश है। यह संगठन नई पीढ़ी को याद दिलाता है कि संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह देश की आत्मा है, जो हमें एकजुट रखती है।

मुंबई में इस संगठन की शुरुआत ने कई लोगों का ध्यान खींचा है। सोशल मीडिया पर इसकी चर्चा हो रही है, और लोग इसकी विचारधारा से जुड़ रहे हैं। खासकर युवा पीढ़ी, जो सामाजिक बदलाव और लोकतंत्र की रक्षा में रुचि रखती है, इस संगठन को एक नई दिशा के रूप में देख रही है। यह संगठन न केवल सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए, बल्कि हर उस नागरिक के लिए एक मंच है, जो अपने देश को एक बेहतर और समावेशी जगह बनाना चाहता है।

‘हम भारत के लोग’ ने यह भी साफ किया है कि उनका संघर्ष अहिंसक होगा। गांधीवादी मूल्यों से प्रेरित यह संगठन हिंसा और नफरत के खिलाफ शांति और एकता के रास्ते पर चलना चाहता है। यह संगठन देश के हर हिस्से में अपनी पहुंच बढ़ाने की योजना बना रहा है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस आंदोलन का हिस्सा बन सकें। यह एक ऐसी पहल है, जो न केवल आज के समय में प्रासंगिक है, बल्कि भविष्य में भी देश के लोकतंत्र को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

यह संगठन हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हम अपने देश के लिए क्या कर सकते हैं। संविधान के मूल्यों को बचाने और सामाजिक एकता को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी केवल कुछ लोगों की नहीं, बल्कि हर नागरिक की है। ‘हम भारत के लोग’ इस जिम्मेदारी को निभाने का एक प्रयास है, जो हमें एकजुट होने और अपने देश के सपनों को साकार करने की प्रेरणा देता है।

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