हाल ही में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (IIT Madras) को 228 करोड़ रुपये का एक ऐतिहासिक दान प्राप्त हुआ है। ये दान प्रतिष्ठित पूर्व छात्र डॉ. कृष्णा चिवुकुला द्वारा किया गया है। डॉ. कृष्णा ने 1970 में आईआईटी मद्रास से एमटेक की डिग्री प्राप्त की थी और वर्तमान में वे इंडो-एमआईएम के संस्थापक और सीईओ हैं।
जानकारी हो कि डॉ. कृष्णा चिवुकुला ने 1997 में भारत में ‘मेटल इंजेक्शन मोल्डिंग (एमआईएम)’ नामक अत्याधुनिक इंजीनियरिंग तकनीक का आगाज़ किया। उस समय ये तकनीक अमेरिका में भी नई थी। आज उनकी कंपनी एमआईएम तकनीक में विश्व स्तर पर नंबर एक है। उनके इस उल्लेखनीय योगदान और तकनीकी उत्कृष्टता के लिए, आईआईटी मद्रास ने उनके नाम पर एक शैक्षणिक ब्लॉक ‘कृष्ण चिवुकुला ब्लॉक’ का नाम रखा है।
कहां होगा दान की राशि का उपयोग
डॉ. कृष्णा चिवुकुला द्वारा दी गई राशि का उपयोग कई महत्वपूर्ण उद्देश्यों के लिए किया जाएगा:
- अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए छात्रवृत्ति: संस्थान में पढ़ाई करने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी।
- रिसर्च एक्सीलेंस ग्रैंट प्रोग्राम: शोध कार्यों के लिए अनुदान प्रदान किया जाएगा।
- यूजी फेलोशिप कार्यक्रम: नए छात्रों के लिए फेलोशिप उपलब्ध कराई जाएगी।
- स्पोर्ट्स स्कॉलर प्रोग्राम: खेल में उत्कृष्टता के लिए छात्रवृत्ति दी जाएगी।
- शास्त्र पत्रिका विकास: शैक्षणिक पत्रिकाओं के विकास के लिए निधि प्रदान की जाएगी।
- कृष्ण चिवुकुला ब्लॉक का मेंटेनेंस: नए शैक्षणिक ब्लॉक के रखरखाव के लिए खर्च किया जाएगा।
ये दान आईआईटी मद्रास के इंस्टिट्यूट एडवांसमेंट की एक पहल के माध्यम से संभव हुआ है, जो आईआईटी मद्रास पूर्व छात्र चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा संचालित है। संस्थान के सीईओ कविराज नायर ने कहा, “डॉ. कृष्णा का योगदान शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए उनके समर्पण का प्रमाण है। यह न केवल हमारे संस्थान को ऊंचाई पर ले जाता है बल्कि यह हमारे पूर्व छात्र समुदाय के लिए एक प्रेरणा भी है।”
आईआईटी मद्रास की दान राशि की वृद्धि
आईआईटी मद्रास (IIT Madras) ने 100 करोड़ रुपये का ऐतिहासिक उच्च धन जुटाया है। 2023-24 के दौरान कुल 513 करोड़ रुपये जुटाए जाएंगे, जो पिछले वित्तीय वर्ष से 135% अधिक है। इसमें 48 दानदाता शामिल हैं जिन्होंने 1 करोड़ रुपये से अधिक का दान दिया है (16 पूर्व छात्र और 32 कॉर्पोरेट भागीदार)। पूर्व छात्रों के माध्यम से जुटाई गई कुल राशि 367 करोड़ रुपये है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 282% अधिक है।
गौरतलब है कि ये दान भारत में किसी पूर्व छात्र द्वारा किसी शैक्षणिक संस्थान को दिया गया सबसे बड़ा दान है। पिछले साल, इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणी ने आईआईटी बॉम्बे को 315 करोड़ रुपये का दान दिया था, जो अब तक का सबसे बड़ा दान था।
IIT Madras का ये दान न केवल संस्थान की शैक्षणिक और अनुसंधान गतिविधियों को समृद्ध करेगा बल्कि भारतीय शिक्षा क्षेत्र में एक नई मिसाल भी कायम करेगा।