महाराष्ट्र

India 2nd Largest Fish Producer: महाराष्ट्र के मछुआरों की मेहनत से भारत बना मछली उत्पादन का सिरमौर

India 2nd Largest Fish Producer: महाराष्ट्र के मछुआरों की मेहनत से भारत बना मछली उत्पादन का सिरमौर

India 2nd Largest Fish Producer: भारत ने मछली उत्पादन में एक नया कीर्तिमान रच दिया है। आज देश विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश (Second-Largest Fish Producer) बन चुका है, जो वैश्विक मछली उत्पादन का लगभग 8 प्रतिशत हिस्सा अपने नाम कर रहा है। इस उपलब्धि में महाराष्ट्र का योगदान भी कम नहीं है। समुद्री मछली उत्पादन (Marine Fish Production) में राज्य ने न केवल उल्लेखनीय प्रगति की है, बल्कि यह देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में भी अहम भूमिका निभा रहा है। नई पीढ़ी के लिए यह खबर न केवल गर्व की बात है, बल्कि यह मछली पालन के क्षेत्र में करियर की संभावनाओं को भी उजागर करती है।

वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत ने 17,81,602 मीट्रिक टन समुद्री भोजन का निर्यात किया, जिसकी कीमत 60,523.89 करोड़ रुपये रही। यह आंकड़ा न केवल मछली पालन क्षेत्र की आर्थिक ताकत को दर्शाता है, बल्कि सरकार की नीतियों की सफलता को भी रेखांकित करता है। केंद्र सरकार ने मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनमें मछुआरों को आधुनिक तकनीक, बेहतर बुनियादी ढांचा और वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना शामिल है। इन प्रयासों ने भारत को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दी है, और आज देश मछली उत्पादन में केवल चीन से पीछे है।

महाराष्ट्र ने इस राष्ट्रीय उपलब्धि में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मत्स्य पालन मंत्री नितेश राणे के नेतृत्व में राज्य ने समुद्री मछली उत्पादन (Marine Fish Production) में शानदार प्रदर्शन किया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में महाराष्ट्र का समुद्री मछली उत्पादन 4,34,574 मीट्रिक टन था, जो 2024-25 में बढ़कर 4,63,758 मीट्रिक टन हो गया। यह 29,184 मीट्रिक टन की वृद्धि दर्शाता है कि राज्य मछली पालन के क्षेत्र में कितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है। यह प्रगति न केवल मछुआरों की मेहनत का नतीजा है, बल्कि सरकार की नीतियों और तकनीकी सहायता का भी परिणाम है।

महाराष्ट्र की तटीय रेखा मछली पालन के लिए अनुकूल है, और राज्य ने इस प्राकृतिक संसाधन का भरपूर उपयोग किया है। महाराष्ट्र मरीन फिशिंग रेगुलेशन एक्ट, 1981 (संशोधन-2021) को प्रभावी ढंग से लागू करने से अवैध मछली पकड़ने पर काफी हद तक रोक लगी है। इसके अलावा, ड्रोन निगरानी जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग भी इस क्षेत्र में क्रांति ला रहा है। ये उपाय न केवल मछली संसाधनों की रक्षा कर रहे हैं, बल्कि मछुआरों को सुरक्षित और टिकाऊ मछली पकड़ने का मौका भी दे रहे हैं। यह नई पीढ़ी के लिए एक उदाहरण है कि कैसे तकनीक और परंपरा का मेल नए अवसर पैदा कर सकता है।

मछली पालन क्षेत्र महाराष्ट्र के लाखों मछुआरों के लिए आजीविका का एक प्रमुख स्रोत है। यह न केवल स्थानीय स्तर पर रोजगार पैदा करता है, बल्कि निर्यात के जरिए विदेशी मुद्रा भी अर्जित करता है। मछुआरों को सशक्त बनाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं, जैसे मछली पकड़ने की नावों को आधुनिक बनाने के लिए सब्सिडी, मछली बाजारों का विकास और मछुआरों के लिए बीमा योजनाएं। इन प्रयासों से न केवल मछुआरों का जीवन स्तर सुधरा है, बल्कि मछली पालन क्षेत्र भी अधिक संगठित और लाभकारी बन गया है।

महाराष्ट्र के मछली पालन क्षेत्र की यह प्रगति नई पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा है। आज के युवा पर्यावरण और टिकाऊ विकास के प्रति जागरूक हैं, और मछली पालन ऐसा क्षेत्र है जो दोनों को जोड़ता है। यह क्षेत्र न केवल आर्थिक अवसर प्रदान करता है, बल्कि समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण में भी योगदान देता है। ड्रोन और अन्य तकनीकों का उपयोग न केवल उत्पादन बढ़ाता है, बल्कि यह पर्यावरण के अनुकूल मछली पकड़ने को भी बढ़ावा देता है। यह दिखाता है कि कैसे आधुनिक तकनीक पारंपरिक व्यवसायों को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकती है।

भारत का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश (Second-Largest Fish Producer) बनना और महाराष्ट्र का इसमें योगदान न केवल आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर पर भी गर्व की बात है। मछुआरा समुदाय, जो वर्षों से समुद्र के साथ जीता है, अब वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बना रहा है। यह कहानी न केवल मछली पालन की है, बल्कि मेहनत, नीति और तकनीक के सामंजस्य की भी है।

#FisheriesSector #MaharashtraMarine #FishProduction #IndiaFisheries #NiteshRane

ये भी पढ़ें: Shiv Sena Foundation Day: शिंदे और उद्धव गुटों का ताकत का प्रदर्शन, मुंबई में शिवसेना की 59वां स्थापना दिवस की जंग

You may also like