Indian Army’s Robotic Dogs: भारत ने 76वें गणतंत्र दिवस (Republic Day 2025) के मौके पर अपनी सैन्य ताकत का शानदार प्रदर्शन किया। इस बार का परेड खास इसलिए भी था क्योंकि इसमें पहली बार रोबोटिक कुत्ते (Robotic Dogs) शामिल हुए। इन रोबोट्स ने सबका ध्यान खींचा। इन्हें सेना ने भारतीय सेना का म्यूल (Indian Army MULE) नाम दिया है। यह उपकरण बेहद अनोखे और उपयोगी हैं। आइए जानते हैं, ये म्यूल भारतीय सेना के लिए कितने खास हैं।
म्यूल क्या है?
म्यूल का पूरा नाम है “मल्टी यूटिलिटी लेगी इक्विपमेंट” (Multi Utility Legged Equipment)। दिखने में यह बिल्कुल कुत्ते जैसे लगते हैं, लेकिन असल में ये एक रोबोट हैं। इन्हें खासतौर पर भारतीय सेना की मदद के लिए डिजाइन किया गया है। ऐसे इलाकों में, जहां इंसान के लिए जाना मुश्किल हो या जहां पारंपरिक तरीकों से काम करना संभव न हो, वहां म्यूल बेहद कारगर साबित हो सकते हैं।
Indian Army’s Robotic Dogs: क्यों बनाए गए रोबोटिक कुत्ते?
भारतीय सेना लंबे समय से कठिन भूभागों पर सामान ले जाने के लिए खच्चरों का इस्तेमाल कर रही थी। खच्चर जैसे जानवर पर्वतीय इलाकों में मददगार तो हैं, लेकिन उनकी सीमाएं भी हैं। उदाहरण के लिए, खच्चर बीमार हो सकते हैं, घायल हो सकते हैं, और उनकी कार्यक्षमता मौसम पर निर्भर करती है।
अब रोबोटिक कुत्ते (Robotic Dogs) इस कमी को पूरा करेंगे। ये रोबोट इंसानों और जानवरों की तरह आसानी से थकते नहीं हैं, बीमार नहीं होते, और बेहद कठोर मौसम में भी काम कर सकते हैं। इन्हें उन इलाकों में इस्तेमाल किया जा सकता है, जहां -40 डिग्री से लेकर 55 डिग्री तक का तापमान हो।
क्या कर सकते हैं रोबोटिक कुत्ते?
म्यूल का सबसे बड़ा उपयोग सामान ढोने के लिए किया जा रहा है। ये 15 किलो तक का सामान ले जा सकते हैं। चाहे वह राशन हो, हथियार हों, या दवाएं—ये हर चीज को दुर्गम पहाड़ी इलाकों तक पहुंचाने में मदद करेंगे।
इसके अलावा, म्यूल का उपयोग निगरानी (Surveillance), खतरनाक इलाकों की स्कैनिंग, और विस्फोटक खोजने जैसे कार्यों में भी किया जा सकता है। इनकी खासियत यह है कि इन्हें रिमोट से भी कंट्रोल किया जा सकता है और ऑटोमैटिक मोड पर भी चलाया जा सकता है।
भारतीय सेना के लिए क्यों जरूरी है म्यूल?
आज के समय में सीमाओं की सुरक्षा और दुर्गम इलाकों में ऑपरेशन्स के लिए ऐसी तकनीक बेहद जरूरी हो गई है। म्यूल को इसीलिए डिजाइन किया गया है ताकि भारतीय सेना को कठिन इलाकों में मदद मिल सके।
सेना के अनुसार, ये उपकरण रसायनिक, जैविक और परमाणु युद्ध जैसे हालातों में भी उपयोगी साबित हो सकते हैं। इनके साथ भारत अब उन देशों की श्रेणी में आ गया है, जिनके पास ऐसे आधुनिक उपकरण हैं। उदाहरण के लिए, अमेरिका और चीन ने पहले ही अपनी सेनाओं में रोबोटिक कुत्तों का उपयोग शुरू कर दिया है।
कैसे काम करता है म्यूल?
म्यूल को दिल्ली की एरोआर्क कंपनी ने तैयार किया है। यह एक बार चार्ज होने पर 20 घंटे तक लगातार काम कर सकता है। इसमें NVIDIA के ग्राफिक्स कार्ड का इस्तेमाल किया गया है, जो इसे स्मार्ट बनाता है।
यह खड़ी चढ़ाई, सीढ़ियां, और पत्थरों से भरे रास्तों को आसानी से पार कर सकता है। इसके अलावा, यह कठिन से कठिन बाधाओं को पार करने में सक्षम है।
म्यूल बनाम खच्चर
म्यूल का नाम भले ही खच्चर पर आधारित है, लेकिन यह कई मामलों में खच्चरों से बेहतर है। यह न केवल खराब मौसम में बेहतर प्रदर्शन करता है, बल्कि इसे रिमोट से ऑपरेट किया जा सकता है। हालांकि, एक रोबोट के रूप में यह खच्चरों जितना भारी सामान नहीं उठा सकता, लेकिन इसकी बहुमुखी क्षमताएं इसे बेहद उपयोगी बनाती हैं।
भारतीय सेना का म्यूल (Indian Army MULE) न केवल हमारी सेना को मजबूत बना रहा है, बल्कि यह तकनीक के क्षेत्र में भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहा है। ये रोबोटिक कुत्ते न केवल भारतीय सैनिकों का काम आसान करेंगे, बल्कि दुर्गम इलाकों में ऑपरेशन्स को भी सुरक्षित बनाएंगे। म्यूल का उपयोग भविष्य में अन्य क्षेत्रों में भी किया जा सकता है, जैसे आपदा प्रबंधन और बचाव कार्य।
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