Economic Reformer and PM Manmohan Singh Passes Away: भारत ने अपने एक सबसे सादगीपूर्ण और प्रतिष्ठित नेताओं में से एक, डॉ. मनमोहन सिंह को खो दिया। 26 दिसंबर 2024 को 92 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया। बताया जा रहा है कि 26 दिसंबर 2024 की शाम को वो अचानक बेहोश हो गए थे, जिसके तुरंत बाद करीब 8 बजकर 6 मिनट पर उन्हें दिल्ली के एम्स अस्पताल में ले जाया गया, काफी कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका और रात को करीब 9 बजकर 51 मिनट पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
जानकारी हो कि वे लंबे समय तक उम्र से संबंधित बीमारियों से जूझ रहे थे। मिली जानकारी के अनुसार मनमोहन सिंह को रेस्पिरेटरी डिजीज, यानी की सांस लेने से जुड़ी समस्या थी। यही नहीं वो लंबे समय से हार्ट से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित थे। साल 1990 में पहली बार उन्हें बाईपास सर्जरी करवानी पड़ी थी। इसके बाद साल 2004 में उनके हार्ट में स्टेंट लगाया गया था। इतना ही नहीं उसके बाद साल 2009 में फिर से उनकी बाईपास सर्जरी हुई थी। अब उनके निधन के साथ ही एक ऐसा अध्याय समाप्त हुआ, जिसने भारत की आर्थिक और राजनीतिक दिशा को गहराई से प्रभावित किया।
Dr. Manmohan Singh: जन्म और प्रारंभिक जीवन
डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत (अब पाकिस्तान में) के गाह गांव में हुआ। विभाजन के समय उनका परिवार भारत आ गया। बचपन से ही वे पढ़ाई में बेहद होनहार थे। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की और आगे की पढ़ाई के लिए कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड जैसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों का रुख किया।
आर्थिक क्षेत्र में योगदान
डॉ. सिंह ने 1950 के दशक में अपना करियर एक आर्थिक शोधकर्ता के रूप में शुरू किया। उनकी प्रतिभा के कारण 1971 में उन्हें भारत सरकार में आर्थिक सलाहकार नियुक्त किया गया। वे भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर और योजना आयोग के उपाध्यक्ष जैसे अहम पदों पर भी रहे। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में अहम भूमिका निभाई।
उदारीकरण के जनक (Liberalization Architect)
1991 में जब भारत एक गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा था, डॉ. मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री बनाया गया। उन्होंने अपने साहसिक निर्णयों से देश को आर्थिक उदारीकरण (Economic Liberalization) की ओर अग्रसर किया। उनके प्रयासों ने विदेशी निवेश के दरवाजे खोले और भारतीय बाजार को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाया।
प्रधानमंत्री के रूप में योगदान
डॉ. सिंह 2004 से 2014 तक लगातार दो कार्यकालों के लिए प्रधानमंत्री रहे। वे पहले ऐसे प्रधानमंत्री थे, जो लोकसभा सदस्य नहीं थे, बल्कि राज्यसभा के माध्यम से इस पद पर पहुंचे। उनके कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण योजनाएं जैसे मनरेगा और शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू किए गए। उन्होंने देश के आर्थिक और सामाजिक विकास पर विशेष ध्यान दिया।
व्यक्तिगत जीवन और सादगी
डॉ. मनमोहन सिंह एक सादगीपूर्ण जीवन जीते थे। उनकी पत्नी गुरशरण कौर और तीन बेटियां हैं। वे साहित्य, संगीत और अध्यात्म में गहरी रुचि रखते थे। जीवनभर वे अपनी ईमानदारी और विनम्रता के लिए जाने गए।
उनके निधन से उपजा शून्य
डॉ. मनमोहन सिंह के निधन की खबर से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “डॉ. मनमोहन सिंह एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री और एक समर्पित नेता थे। उनके कार्यकाल में देश ने अभूतपूर्व प्रगति देखी।” कांग्रेस पार्टी और अन्य राजनीतिक दलों ने भी उनके योगदान को याद किया।
डॉ. मनमोहन सिंह न केवल एक नेता थे, बल्कि वे भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के महानायक थे। उनकी ईमानदारी, सादगी और सेवा को हमेशा याद किया जाएगा।
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