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India’s role in Bangladesh: ‘बांग्लादेश का क्या करना है, यह PM मोदी पर छोड़ता हूं’, डोनाल्ड ट्रंप के एलान से सकते में यूनुस!

India's role in Bangladesh: 'बांग्लादेश का क्या करना है, यह PM मोदी पर छोड़ता हूं', डोनाल्ड ट्रंप के एलान से सकते में यूनुस!

India’s role in Bangladesh: बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ती जा रही है, और अब इस मुद्दे पर भारत की भूमिका भी अहम हो गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में कहा कि “बांग्लादेश का क्या करना है, यह पीएम मोदी पर छोड़ता हूं।” उनके इस बयान ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है। भारत के लिए यह एक महत्वपूर्ण क्षण है क्योंकि बांग्लादेश का स्थायित्व न केवल उसकी सीमाओं के लिए बल्कि पूरे दक्षिण एशिया की स्थिरता के लिए आवश्यक है।

बांग्लादेश में क्या हो रहा है?

पिछले साल बांग्लादेश में हालात अचानक बिगड़ गए जब छात्रों के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। शुरुआत में यह प्रदर्शन शांतिपूर्ण थे, लेकिन जैसे-जैसे सरकार का दमन बढ़ा, प्रदर्शन उग्र हो गए। अगस्त के पहले हफ्ते में हालात इतने खराब हो गए कि प्रधानमंत्री शेख हसीना को बांग्लादेश छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी।

इस समय बांग्लादेश में एक अंतरिम सरकार काम कर रही है, लेकिन वहां कानून-व्यवस्था की स्थिति नियंत्रण से बाहर होती जा रही है। कट्टरपंथी गुट अल्पसंख्यकों को निशाना बना रहे हैं, और देश में अस्थिरता का माहौल है। बांग्लादेश की आबादी का लगभग आठ प्रतिशत हिस्सा हिंदू समुदाय से आता है, लेकिन हाल के महीनों में उन पर हमले बढ़ गए हैं।

भारत की चिंता और पीएम मोदी का रुख

भारत और बांग्लादेश के बीच लंबे समय से मजबूत संबंध रहे हैं। दोनों देशों का इतिहास, संस्कृति और व्यापारिक रिश्ते गहराई से जुड़े हुए हैं। ऐसे में जब बांग्लादेश में संकट गहराया, तो भारत के लिए यह एक गंभीर चिंता का विषय बन गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात के दौरान बांग्लादेश की स्थिति को लेकर चर्चा की।

विदेश सचिव विक्रम मिसरी के अनुसार, मोदी ने ट्रंप के सामने भारत की चिंताओं को स्पष्ट रूप से रखा। उन्होंने यह भी बताया कि भारत इस स्थिति को बहुत करीब से देख रहा है और इसे हल करने के लिए कूटनीतिक कदम उठा सकता है।

डोनाल्ड ट्रंप का जवाब और अमेरिका की भूमिका

जब पीएम मोदी ने बांग्लादेश संकट को लेकर अपनी बात रखी, तो डोनाल्ड ट्रंप ने इस पर स्पष्ट रूप से कहा कि अमेरिका इसमें कोई भूमिका नहीं निभाएगा। उन्होंने साफ कहा कि बांग्लादेश को लेकर फैसला अब भारत के ऊपर है। ट्रंप का यह बयान कूटनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारत को इस मामले में खुलकर निर्णय लेने की छूट देता है।

ट्रंप के इस बयान का मतलब यह हो सकता है कि अमेरिका अब बांग्लादेश के मुद्दे में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करेगा और भारत पर भरोसा जताएगा कि वह इस समस्या को अपने तरीके से सुलझाए।

व्हाइट हाउस के बाहर बांग्लादेशी प्रदर्शन

जब ट्रंप और मोदी की यह बैठक चल रही थी, तब व्हाइट हाउस के बाहर बांग्लादेशी नागरिकों ने एक बड़ा प्रदर्शन किया। इन प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि बांग्लादेश में लोकतंत्र की बहाली हो और वहां हो रहे मानवाधिकार उल्लंघनों को रोका जाए।

इस प्रदर्शन का आयोजन अवामी लीग और उसके सहयोगी संगठनों ने किया था। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि बांग्लादेश के लोगों को एक स्वतंत्र और निष्पक्ष सरकार चाहिए। वे मुहम्मद यूनुस के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे और उनकी सरकार को असंवैधानिक बता रहे थे।

संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रिया और अंतरराष्ट्रीय चिंता

संयुक्त राष्ट्र ने इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया दी और इसे बांग्लादेश और भारत के बीच एक द्विपक्षीय मुद्दा बताया। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र ने यह भी कहा कि बांग्लादेश में हो रहे मानवाधिकार हनन पर कड़ी नजर रखी जाएगी।

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई और अगस्त 2024 में हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान 1,400 से अधिक लोग मारे गए थे। यह आंकड़ा बेहद चौंकाने वाला है और इससे पता चलता है कि बांग्लादेश में हालात कितने खराब हो चुके हैं।

संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी रोरी मुंगोवेन ने कहा कि इस संकट के लिए जिम्मेदार सभी लोगों को कटघरे में खड़ा किया जाना चाहिए। जब उनसे पूछा गया कि क्या संयुक्त राष्ट्र शेख हसीना को बांग्लादेश वापस भेजना चाहता है, तो उन्होंने कहा कि प्रत्यर्पण का मामला भारत और बांग्लादेश के बीच की एक द्विपक्षीय प्रक्रिया है।

भारत के लिए आगे की रणनीति

अब सवाल यह उठता है कि भारत को आगे क्या करना चाहिए? ट्रंप ने स्पष्ट कर दिया है कि अमेरिका इस मामले में कोई भूमिका नहीं निभाएगा। ऐसे में भारत के पास दो विकल्प हैं—पहला, वह शेख हसीना को बांग्लादेश को सौंप दे और दूसरे, वह इस मामले को अपने कूटनीतिक कौशल से हल करे।

भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि बांग्लादेश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया फिर से शुरू हो और वहां रह रहे अल्पसंख्यकों को सुरक्षा मिले। साथ ही, भारत को यह भी देखना होगा कि इस मुद्दे का कोई ऐसा हल निकले जिससे भारत-बांग्लादेश के रिश्ते मजबूत बने रहें और दक्षिण एशिया में स्थिरता बनी रहे।

India’s role in Bangladesh:

बांग्लादेश इस समय सबसे बड़े राजनीतिक संकट से गुजर रहा है। वहां की अस्थिरता सिर्फ बांग्लादेश तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका असर पूरे दक्षिण एशिया पर पड़ सकता है। प्रधानमंत्री मोदी के लिए यह एक बड़ा कूटनीतिक अवसर है, जिससे वे न केवल भारत की स्थिति को मजबूत कर सकते हैं, बल्कि बांग्लादेश में स्थिरता लाने में भी मदद कर सकते हैं।

डोनाल्ड ट्रंप के बयान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत को अब अपने तरीके से इस मुद्दे को हल करना होगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत आगे क्या कदम उठाता है और बांग्लादेश में शांति और लोकतंत्र बहाली के लिए कैसे काम करता है।


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