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Innocent Lives Lost Due to Nurse’s Error in Jhansi: क्या एक माचिस की तीली ने छीन ली दस मासूम जिंदगियां? झांसी NICU हादसे के पीछे की असली कहानी

Innocent Lives Lost Due to Nurse's Error in Jhansi: क्या एक माचिस की तीली ने छीन ली दस मासूम जिंदगियां? झांसी NICU हादसे के पीछे की असली कहानी
Innocent Lives Lost Due to Nurse’s Error in Jhansi:  झांसी NICU हादसे के पीछे की असली कहानी जो दिल को झकझोर देने वाली है। जीवन और मौत की त्रासदी झांसी (Life and Death Tragedy in Jhansi) में एक ऐसी घटना घटी, जिसने हम सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया। वैसे तो अस्पताल जिंदगी बचाने की जगह होती है, लेकिन कभी-कभी छोटी सी लापरवाही कितना बड़ा तूफान ला सकती है, ये इस घटना से समझ आ जाता है।

नई जिंदगियों का अंत

चलिए मैं आपको उस रात की कहानी बताता हूं। जीवन और मौत की त्रासदी झांसी (Life and Death Tragedy in Jhansi) में महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज की चौथी मंजिल पर स्थित NICU वार्ड में रात के साढ़े दस बजे का वक्त था। मां-बाप अपने नवजात बच्चों के लिए दुआएं मांग रहे थे, और नर्सें अपनी ड्यूटी में व्यस्त थीं। लेकिन किसी को क्या पता था कि कुछ ही पलों में सब कुछ बदल जाएगा।

अनजाने में हुई भूल

झांसी अस्पताल में नर्स की चूक से मासूम जिंदगियां (Innocent Lives Lost Due to Nurse’s Error in Jhansi) चली गईं, जब एक नर्स ने ऑक्सीजन सिलेंडर के पास माचिस जलाने की कोशिश की। भगवान दास, जो अपने पोते के साथ वहां मौजूद थे, उन्होंने बताया कि कैसे एक पल में पूरा माहौल बदल गया। “मैंने देखा कि नर्स ने माचिस जलाई और अगले ही पल पूरा कमरा आग की लपटों से भर गया,” भगवान दास ने आंखों में आंसू लिए हुए बताया।

वीरता की कहानी

लेकिन हर त्रासदी में कुछ ना कुछ उम्मीद की किरण होती है। भगवान दास ने अपनी चादर से तीन बच्चों को लपेटा और उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला। कई अन्य तीमारदारों ने भी बिना अपनी जान की परवाह किए बच्चों को बचाने की कोशिश की। ये वो पल थे जब इंसानियत की असली परीक्षा हो रही थी।

सिस्टम की विफलता

अब आप सोच रहे होंगे कि क्या सिर्फ एक नर्स की गलती थी? नहीं दोस्तों, कहानी इतनी सीधी नहीं है। अस्पताल में फायर अलार्म था, लेकिन वो काम नहीं कर रहा था। फायर एक्सटिंग्विशर थे, लेकिन एक्सपायर हो चुके थे। एक ही एग्जिट गेट था, जो आपातकालीन स्थिति में नाकाफी साबित हुआ। ये सिस्टम की विफलता की कहानी है।

जिम्मेदारी और जवाबदेही

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटना पर दुख जताया है। डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने मौके का जायजा लिया और कार्रवाई का आश्वासन दिया है। पीड़ित परिवारों को मुआवजे की घोषणा की गई है, लेकिन क्या मुआवजा उन मासूम जिंदगियों की कमी पूरी कर पाएगा?

इस घटना ने कई सवाल खड़े किए हैं। क्या हमारे अस्पतालों में सुरक्षा मानकों की अनदेखी होती है? क्या स्टाफ को पर्याप्त ट्रेनिंग दी जाती है? क्या आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए हमारे अस्पताल तैयार हैं?

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