महाराष्ट्र

इजरायल के हमले ने किया गाजा (Gaza) का बुरा हाल: एक-एक रोटी के लिए तरस रहे लोग, पानी की बाल्टी के लिए हो रही मारामारी

इजरायल के हमले ने किया गाजा (Gaza) का बुरा हाल: एक-एक रोटी के लिए तरस रहे लोग, पानी की बाल्टी के लिए हो रही मारामारी

इजरायल और हमास की लड़ाई से भले किसी को फायदा हो या न हो, लेकिन आम नागरिकों के लिए तो जिंदगी नर्क बन गई है. गाजा पट्टी (Gaza) में हालत बद से बदतर होते जा रहे हैं. खाने पीने को तरसते लोग एक-एक रोटी और पानी के लिए घंटों लंबी कतारों में इंतजार कर रहे हैं. पेट की भूख इस कदर हावी है कि लोग एक-दूसरे से मारा-मारी पर उतर जा रहे हैं. खचाखच भरे शिविरों में लोग दस्त, खुजली और सांस से जुड़ी बीमारियों से बुरी तरह से पीड़ित हो रहे हैं. उत्तरी गाजा (Gaza) में इजरायल के जमीनी हमले से जो फिलस्तीनी लोग अपनी जान बचाकर भागने में कामयाब रहे उन्हें दक्षिण क्षेत्र में अब भोजन और दवा की कमी से दो-चार पड़ रहा है.

इजरायल के हमले ने किया गाजा (Gaza) का बुरा हाल: एक-एक रोटी के लिए तरस रहे लोग, पानी की बाल्टी के लिए हो रही मारामारी

युद्ध के हालात को देखते हुए इतना तो कहा जा सकता है कि, फिलहाल इस समस्या का अंत होता दिख तो नहीं रहा है. 7 अक्टूबर को जब से हमास ने इजरायल पर हमला बोला, हर ओर दहशत का साया फैल गया. संयुक्त राष्ट्र के स्कूलों और अस्पतालों से  शिविरों में तब्दील हुए इमारतों में लोग खचाखच भरे हुए हैं. हालात ऐसे हैं कि हर ओर कूड़ों का ढेर लग गया है, जिसकी वजह से मच्छर मक्खियों की संख्या काफी ज्यादा बढ़ गई है. ऐसे में संक्रामक बीमारियां लोगों को अपना शिकार बना रही है.

इजरायल के हमले ने किया गाजा (Gaza) का बुरा हाल: एक-एक रोटी के लिए तरस रहे लोग, पानी की बाल्टी के लिए हो रही मारामारी

वैसे तो जब से युद्ध की शुरुआत हुई, तब से ही सैकड़ों की संख्या में ट्रकों ने दक्षिण रफा के जरिये गाजा (Gaza) में प्रवेश किया, लेकिन राहत संगठनों की मानें तो ये मदद ऊंट के ‘मुंह में जीरे के फोरन’ जैसा साबित हो रहा है. रोजाना घंटों-घंटों लाइन में खड़े होकर रोटी और पानी की तलाश करना लोगों के लिए आम हो चुका है.

इजरायल के हमले ने किया गाजा (Gaza) का बुरा हाल: एक-एक रोटी के लिए तरस रहे लोग, पानी की बाल्टी के लिए हो रही मारामारी

गाजा में (Gaza) मौजूद सुपर मार्केट जैसी जितनी भी दुकाने हैं, सभी के सभी खाली हो चुके हैं. सारे बेकरी बंद हैं. बाजारों में प्याज और संतरे के अलावा कुछ नजर नहीं आता. कई ऐसे परिवार हैं, जो सड़कों पर ही आग जलाकर जो मिलता है उसे पकाकर खाने को मजबूर हैं. मजबूरी का आलम इस बात से भी समझ सकते हैं कि धीरे-धीरे एक वक्त की रोटी मिलना भी लोगों के लिए मुश्किल सा होता जा रहा है.

इजरायल के हमले ने किया गाजा (Gaza) का बुरा हाल: एक-एक रोटी के लिए तरस रहे लोग, पानी की बाल्टी के लिए हो रही मारामारी

अगर कोई आपसे ये कहे कि गाजा (Gaza) के लोग अगर हमले में नहीं मरते हैं तो उन्हें भूख और प्यास की वजह से मरना पड़ सकता है, तो शायद यकीन करना मुश्किल नहीं होगा. ऐसे मजबूर और असहाय लोगों की संख्या लाख-दो लाख नहीं, बल्कि करीब 23 लाख है, जिसके बारे में सोचकर भी दिल दहल उठता है.

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