Jagannath Temple Land Dispute in Odisha: पुरी के श्रीजगन्नाथ मंदिर, जिसे चार धामों में से एक माना जाता है, की जमीन पर अवैध कब्जे और खरीद-फरोख्त का विवाद तेजी से बढ़ता जा रहा है। भगवान जगन्नाथ की 60,426 एकड़ जमीन का एक बड़ा हिस्सा कब्जाधारियों और माफियाओं के नियंत्रण में है। अब ओडिशा सरकार ने इस जमीन को बेचकर 8 से 10 हजार करोड़ रुपये जुटाने की योजना बनाई है।
यह फैसला राज्य के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने घोषित किया। हालांकि, मंदिर के मुख्य पुजारी और स्थानीय लोग इस निर्णय का विरोध कर रहे हैं। आइए विस्तार से समझते हैं कि यह मामला कितना गंभीर है और इसके क्या प्रभाव हो सकते हैं।
भगवान की जमीन पर कब्जा: कैसे बढ़ा विवाद?
पुरी के माटीतोटा इलाके में श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रशासन (SJTA) ने 64 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जे और बिक्री का मामला उठाया। आरोप है कि महावीर जन सेवा संघ नामक संगठन ने भगवान की इस जमीन के 109 प्लॉट्स को गैरकानूनी तरीके से बेच दिया।
पुलिस ने इस मामले में संगठन से जुड़े 6 लोगों को गिरफ्तार किया है। रिपोर्ट के अनुसार, इन लोगों ने 28 लाख रुपये में जमीन बेचने की कोशिश की और इस दौरान 4.5 लाख रुपये कैश भी जब्त हुए। लेकिन यह समस्या सिर्फ 64 एकड़ की नहीं है, बल्कि पूरे ओडिशा में फैली हुई है।
सरकार की योजना: कब्जाधारियों को जमीन बेचना
ओडिशा सरकार ने घोषणा की है कि भगवान जगन्नाथ की जमीन को कब्जाधारियों को किफायती दरों पर बेचा जाएगा। इसके पीछे तर्क है कि इस कदम से 8 से 10 हजार करोड़ रुपये का फंड जुटाया जा सकता है, जिसका उपयोग मंदिर की देखरेख और अन्य परियोजनाओं में किया जाएगा।
लेकिन मुख्य पुजारी और स्थानीय लोगों का मानना है कि यह योजना भगवान की जमीन को कानूनी रूप से माफियाओं को सौंपने जैसा है। उनका कहना है कि भगवान की जमीन पर जो कब्जा है, उसे हटाकर वहां धर्मशाला या गौशाला बनाई जानी चाहिए।
पुजारी और स्थानीय लोगों का विरोध
मंदिर के मुख्य पुजारी जगुनी स्वाईं महापात्र ने सरकार के इस फैसले की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा, “भगवान की जमीन को बेचने की क्या जरूरत है? यह जमीन भगवान की है और इसे उनके उपयोग के लिए संरक्षित करना चाहिए।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जमीन माफियाओं को मंदिर के कुछ कर्मचारियों का समर्थन मिल रहा है। उनका सुझाव है कि अवैध कब्जे हटाकर भगवान की जमीन पर धर्मशाला और गौशाला जैसी संरचनाएं बनाई जाएं।
जमीन माफियाओं का खेल: बड़े नाम शामिल
पूर्व चीफ सेक्रेटरी बिजय कुमार पटनायक का कहना है कि इस अवैध खरीद-फरोख्त के पीछे बड़े और प्रभावशाली लोग शामिल हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासन पर दबाव होने के कारण कार्रवाई में देरी हो रही है।
भास्कर की रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि जमीन की खरीद-फरोख्त को वैध दिखाने के लिए “अतिक्रमण हस्तांतरण प्रक्रिया” (Encroachment Transfer Process) का उपयोग किया जा रहा है।
Jagannath Temple Land: गरीब परिवारों की दुविधा
भगवान की जमीन पर कुछ गरीब परिवार ऐसे भी हैं, जो पीढ़ियों से वहां रह रहे हैं। उदाहरण के लिए, बिजय बेहरा जैसे दिहाड़ी मजदूरों का कहना है कि उनके पास रहने के लिए कोई और जगह नहीं है। बिजय के परिवार की चार पीढ़ियां पुरी के एमार मठ के पास एक प्लॉट पर रह रही हैं।
बिजय का कहना है कि उनके पास जमीन के कागज नहीं हैं क्योंकि कई बार आए तूफानों और चक्रवातों में उनके घर के साथ ये कागज भी गुम हो गए। ऐसे में, सरकार द्वारा जमीन खाली करने का नोटिस उनके लिए बड़ी परेशानी खड़ी कर रहा है।
सरकार के फैसले का भविष्य
यह मामला केवल जमीन के विवाद का नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक भावनाओं से भी जुड़ा है। भगवान जगन्नाथ की जमीन पर कब्जा और इसकी बिक्री न केवल स्थानीय समुदायों बल्कि पूरे राज्य के लिए चिंता का विषय बन गई है।
सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि जमीन की सुरक्षा और उपयोग सही तरीके से हो। यदि अवैध कब्जों को हटाया जाता है और जमीन का सही उपयोग होता है, तो यह मंदिर और समाज दोनों के लिए लाभकारी होगा।