ऑनटीवी स्पेशल

जेल में बंद लोग चुनाव लड़ सकते हैं पर वोट नहीं दे सकते! क्यों है ये अन्याय?

जेल में बंद लोग चुनाव लड़ सकते हैं पर वोट नहीं दे सकते! क्यों है ये अन्याय?

जेल में बंद लोग अपने खिलाफ केस चलने के दौरान भी चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन जब तक ज़मानत नहीं मिली, वे अपना वोट नहीं दे सकते। ये नियम कई लोगों को गलत लगता है। आइये समझते हैं क्यों?

भारत में वोट देना और चुनाव में उम्मीदवार बनना, दोनों ही ‘कानूनी अधिकार’ हैं। इसका मतलब ये अधिकार सरकार बनाती है और बदल भी सकती है। ये संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकार नहीं हैं।

चुनाव लड़ने के लिए सिर्फ आरोप लगना काफी नहीं है। अदालत का दोषी ठहराना ज़रूरी है। तब भी चुनाव लड़ने से रोक सिर्फ कुछ संगीन मामलों में होती है।

जेल में बंद लोग, भले ही सिर्फ आरोपी हों, वोट नहीं दे सकते। ज़मानत मिलने पर ही वो वोट कर पाते हैं। इस नियम की बहुत आलोचना भी होती है।

क्यों है जेल में बंद लोगों पर वोटिंग का बैन?

सुप्रीम कोर्ट ने इसके पीछे कई कारण दिए हैं:

संसाधन की कमी: जेलों में वोटिंग का इंतजाम करना मुश्किल है।

सुरक्षा: पुलिस की कमी की वजह से पर्याप्त सुरक्षा देना मुश्किल।

अपराधियों को चुनाव प्रक्रिया से दूर रखने का लक्ष्य: कोर्ट का मानना है कि आरोप लगने की वजह से ऐसे लोगों की सोच और व्यवहार समाज के लिए सही नहीं है।

क्या ये सही है?

कई लोग इस फ़ैसले को गलत मानते हैं, कहते हैं कि सज़ा मिलने से पहले किसी को भी दोषी नहीं माना जा सकता। उनका वोट करने का अधिकार छीनना नाइंसाफ़ी है।

ये एक जटिल मुद्दा है, जिस पर अलग-अलग लोगों की राय अलग हो सकती है। कानून व्यवस्था बनाए रखने की ज़रूरत और व्यक्तिगत अधिकारों के बीच संतुलन बिठाना चुनौतीपूर्ण है।

जेल से चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी को दोषी साबित होने के बाद कई सालों तक चुनाव लड़ने से रोका भी जा सकता है।

जेल में बंद लोगों को वोट डालने का अधिकार देने की मांग कई बार कोर्ट में उठ चुकी है।

ये भी पढ़ें: ITR फाइल करने का आसान तरीका! जान लीजिए फॉर्म 16 और 26AS के बारे में

You may also like