लोकतंत्र की नई शुरुआत में एक ऐतिहासिक कदम के रूप में जम्मू-कश्मीर में विधानसभा की कार्यवाही का आगाज हुआ है। जम्मू कश्मीर विधानसभा सत्र (Jammu Kashmir Assembly Session) की शुरुआत के साथ ही केंद्र शासित प्रदेश में एक नए युग की शुरुआत हो गई है। विधानसभा के पहले दिन की कार्यवाही में कई महत्वपूर्ण घटनाक्रम देखने को मिले।
नए अध्याय की शुरुआत
जम्मू कश्मीर विधानसभा सत्र (Jammu Kashmir Assembly Session) की शुरुआत के साथ ही राजनीतिक गलियारों में नई ऊर्जा का संचार हुआ है। विधानसभा में पहले दिन से ही सक्रिय राजनीति की झलक देखने को मिली। पीडीपी के विधायक वहीद-उर-रहमान ने अनुच्छेद 370 को लेकर जो प्रस्ताव रखा, उसने पूरे सदन में हलचल मचा दी। भाजपा के सदस्यों ने इस प्रस्ताव का जोरदार विरोध किया, जिससे सदन में गरमागरम बहस की स्थिति बन गई।
विधानसभा का नया नेतृत्व
कश्मीर में छह साल बाद विधानसभा (Kashmir Assembly Resumes After Six Years) के पहले दिन ही एक महत्वपूर्ण फैसला लिया गया। अब्दुल रहीम राठौर को सर्वसम्मति से विधानसभा का नया स्पीकर चुना गया। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस अवसर पर कहा कि राठौर का चयन सदन के लिए एक सकारात्मक कदम है। उन्होंने आगे कहा कि नए स्पीकर के नेतृत्व में विधानसभा की कार्यवाही निष्पक्ष और सुचारु रूप से चलेगी।
विपक्ष की भूमिका और प्रतिक्रियाएं
पीडीपी सुप्रीमो महबूबा मुफ्ती ने अपने विधायक के कदम का खुलकर समर्थन किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के माध्यम से कहा कि उनकी पार्टी जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे की बहाली के लिए संघर्ष करती रहेगी। इस बीच, अन्य विपक्षी दलों ने भी विभिन्न मुद्दों पर अपनी आवाज उठाई।
नई चुनौतियां और अवसर
सितंबर-अक्टूबर 2024 में हुए विधानसभा चुनावों के बाद बनी नई सरकार के सामने कई चुनौतियां हैं। विकास, सुरक्षा और स्थानीय मुद्दों को लेकर सरकार की प्राथमिकताएं स्पष्ट हैं। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उनकी सरकार जम्मू-कश्मीर के समग्र विकास के लिए प्रतिबद्ध है।
विधायी एजेंडा और भविष्य की योजनाएं
विधानसभा में आने वाले दिनों में कई महत्वपूर्ण विधेयकों और प्रस्तावों पर चर्चा होनी है। स्थानीय स्वायत्तता, रोजगार सृजन, और आर्थिक विकास से जुड़े मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। सदन में विभिन्न दलों के बीच सकारात्मक विचार-विमर्श की उम्मीद है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नई विधानसभा जम्मू-कश्मीर के लिए एक नए युग की शुरुआत है। यह क्षेत्र के लोकतांत्रिक मूल्यों और विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। पहले दिन की कार्यवाही से यह स्पष्ट हो गया है कि आने वाले दिनों में सदन में गंभीर और महत्वपूर्ण विचार-विमर्श होगा।
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