Land Record Reforms: महाराष्ट्र की धरती पर किसानों की जिंदगी को आसान बनाने के लिए एक नया कदम उठाया गया है। 03 मई 2025 को, महाराष्ट्र सरकार ने जिवंत 7/12 (Jivant 7/12) योजना के दूसरे चरण की शुरुआत की, जिसका मकसद पुराने और गलत जमीन रिकॉर्ड को सुधारना है। यह योजना न केवल किसानों को उनकी जमीन का सही मालिकाना हक दिलाएगी, बल्कि सरकारी योजनाओं, बैंक ऋण, और जमीन की खरीद-बिक्री में आने वाली परेशानियों को भी कम करेगी। महाराष्ट्र जमीन रिकॉर्ड (Maharashtra Land Records) को पारदर्शी और आधुनिक बनाने की इस पहल ने पूरे राज्य में चर्चा बटोरी है। आइए, इस योजना को करीब से समझते हैं और जानते हैं कि यह कैसे लाखों लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाएगी।
महाराष्ट्र में जमीन के रिकॉर्ड को 7/12 उतारा (7/12 Extract) के नाम से जाना जाता है। यह दस्तावेज किसी जमीन के मालिकाना हक, उस पर होने वाली खेती, और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी को दर्ज करता है। लेकिन कई बार, इन रिकॉर्ड में पुरानी और गलत जानकारी, जैसे कि पहले के ऋण, बंधक, या मृत मालिकों के नाम, दर्ज रहते हैं। इससे किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ लेने, जमीन बेचने, या बैंक से ऋण लेने में मुश्किल होती है। जिवंत 7/12 योजना का लक्ष्य इन सभी समस्याओं को जड़ से खत्म करना है।
इस योजना का पहला चरण पहले ही पूरा हो चुका है, जिसमें तलाठियों और अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया। अब दूसरे चरण में, सरकार ने पूरे राज्य में पुराने रिकॉर्ड को हटाने और सही जानकारी दर्ज करने का काम शुरू किया है। इस बार, रिकॉर्ड में वारिसों के नाम, मालिकाना हक, किरायेदारी की श्रेणियां, और सार्वजनिक जमीनों जैसे श्मशान घाट की जानकारी को शामिल किया जाएगा। यह कदम न केवल रिकॉर्ड को पारदर्शी बनाएगा, बल्कि जमीन से जुड़े विवादों को भी कम करेगा।
कल्पना करें, एक किसान अपनी जमीन पर मेहनत कर रहा है, लेकिन जब वह बैंक से ऋण लेने जाता है, तो उसे पता चलता है कि 7/12 रिकॉर्ड में उसके दादा का नाम दर्ज है, जो सालों पहले गुजर चुके हैं। या फिर, रिकॉर्ड में पुराना ऋण या बंधक दर्ज है, जो पहले ही चुकता हो चुका है। ऐसी स्थिति में किसान न तो ऋण ले सकता है और न ही अपनी जमीन बेच सकता है। महाराष्ट्र के लाखों किसान ऐसी ही समस्याओं से जूझ रहे हैं।
उदाहरण के लिए, बुलढाणा जिले के चिखली गांव में रहने वाले रमेश के पिता की मृत्यु कई साल पहले हो गई थी। लेकिन 7/12 रिकॉर्ड में उनके पिता का ही नाम दर्ज था। जब रमेश ने सरकारी योजना के तहत सब्सिडी के लिए आवेदन किया, तो उनका आवेदन खारिज हो गया, क्योंकि रिकॉर्ड में उनका नाम नहीं था। जिवंत 7/12 योजना ऐसी ही कहानियों को बदलने का वादा करती है। अब रमेश जैसे किसान अपने हक को आसानी से दर्ज करा सकते हैं।
जिवंत 7/12 योजना के तहत कई पुरानी और अप्रासंगिक जानकारी को हटाया जाएगा। इसमें शामिल हैं पुराने ऋणों की टिप्पणियां, राहत ऋण, बंधक, साहूकारों के कर्ज, जमीन अधिग्रहण के फैसले, गैर-कृषि आदेश, और महिलाओं के वारिसों से जुड़े पुराने रिकॉर्ड। इनकी जगह सही और ताजा जानकारी दर्ज की जाएगी। मिसाल के तौर पर, अगर किसी जमीन का मालिक बदल गया है, या जमीन का उपयोग अब खेती की बजाय कुछ और हो रहा है, तो यह सब रिकॉर्ड में अपडेट होगा।
इसके अलावा, यह योजना उन जमीनों पर भी ध्यान देगी, जो सार्वजनिक उपयोग के लिए हैं, जैसे कि श्मशान घाट या सामुदायिक जमीन। इन जमीनों का सही रिकॉर्ड होने से सरकारी योजनाओं को लागू करना आसान होगा। यह कदम खासकर ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए फायदेमंद है, जहां जमीन से जुड़े विवाद आम हैं।
इस योजना को लागू करने के लिए सरकार ने तलाठियों को विशेष जिम्मेदारी दी है। ये तलाठी गांव स्तर पर रिकॉर्ड की जांच करेंगे और जरूरी बदलाव दर्ज करेंगे। इसके लिए तालुका और मंडल स्तर पर विशेष शिविर आयोजित किए जाएंगे, जहां लोग अपने रिकॉर्ड सुधारने के लिए आवेदन कर सकते हैं। जिला कलेक्टर और उप-विभागीय अधिकारी इस प्रक्रिया की निगरानी करेंगे और नियमित रिपोर्ट भेजेंगे।
महाराष्ट्र सरकार ने इस काम को आसान बनाने के लिए डिजिटल तकनीक का भी सहारा लिया है। लोग अब महाभूलेख (Mahabhulekh) पोर्टल पर जाकर अपने 7/12 रिकॉर्ड ऑनलाइन देख सकते हैं। इस पोर्टल के जरिए लोग अपने रिकॉर्ड की स्थिति जांच सकते हैं और जरूरी बदलाव के लिए आवेदन भी कर सकते हैं। यह डिजिटल सुविधा खासकर युवा पीढ़ी के लिए उपयोगी है, जो तकनीक का इस्तेमाल करना पसंद करती है।
महाराष्ट्र में जमीन न केवल आजीविका का साधन है, बल्कि यह कई परिवारों की पहचान और गर्व का प्रतीक भी है। लेकिन पुराने रिकॉर्ड की वजह से कई परिवार अपनी जमीन का पूरा फायदा नहीं उठा पाते। जिवंत 7/12 योजना इस स्थिति को बदलने का वादा करती है। अब किसान आसानी से बैंक से ऋण ले सकेंगे, अपनी जमीन बेच सकेंगे, या सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे।
उदाहरण के लिए, अगर किसी किसान की जमीन पर पुराना ऋण दर्ज है, जो वह पहले ही चुका चुका है, तो वह अब इस रिकॉर्ड को हटवा सकता है। इससे उसकी जमीन का मूल्य बढ़ेगा और वह इसे बेचने या उस पर निवेश करने के लिए स्वतंत्र होगा। इसके अलावा, महिलाओं के वारिसों के लिए भी यह योजना फायदेमंद है, क्योंकि अब उनके हक को रिकॉर्ड में सही तरीके से दर्ज किया जाएगा।
महाराष्ट्र सरकार ने जमीन रिकॉर्ड को डिजिटल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। महाभूलेख (Mahabhulekh) पोर्टल के जरिए लोग अपने 7/12 उतारा, 8A उतारा, और मालमत्ता पत्रक को ऑनलाइन डाउनलोड कर सकते हैं। इस पोर्टल पर जाकर लोग अपने जिले और तालुका का चयन कर सकते हैं और सर्वे नंबर या मालिक के नाम से रिकॉर्ड खोज सकते हैं। यह सुविधा न केवल समय बचाती है, बल्कि रिकॉर्ड में पारदर्शिता भी लाती है।
इसके अलावा, सरकार ने आधार कार्ड और मोबाइल नंबर के जरिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को भी आसान बनाया है। लोग आपले सरकार पोर्टल पर जाकर अपने रिकॉर्ड के लिए आवेदन कर सकते हैं और उसकी स्थिति को ट्रैक भी कर सकते हैं। यह डिजिटल पहल खासकर उन युवाओं के लिए उपयोगी है, जो अपने परिवार की जमीन के रिकॉर्ड को सुधारना चाहते हैं।
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