मुंबई

Kalina Drug Planting Scandal: कलीना में पुलिस का ड्रग प्लांटिंग कांड, सीसीटीवी सबूत के बावजूद 9 महीने से कोई कार्रवाई नहीं

Kalina Drug Planting Scandal: कलीना में पुलिस का ड्रग प्लांटिंग कांड, सीसीटीवी सबूत के बावजूद 9 महीने से कोई कार्रवाई नहीं

Kalina Drug Planting Scandal: मुंबई का कलीना इलाका, जो आमतौर पर अपनी शांत गलियों और सामान्य जीवनशैली के लिए जाना जाता है, पिछले साल एक चौंकाने वाले कांड के कारण सुर्खियों में आया। 30 अगस्त 2024 को, चार पुलिसकर्मियों पर एक 31 वर्षीय व्यक्ति, डायलन एस्टेबेरो, के जेब में नशीला पदार्थ (ड्रग्स) रखने का आरोप लगा। इस घटना का सीसीटीवी फुटेज सामने आने के बाद पुलिसकर्मियों को निलंबित तो कर दिया गया, लेकिन नौ महीने बाद भी इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। यह घटना न केवल पुलिस की जवाबदेही पर सवाल उठाती है, बल्कि आम लोगों के बीच विश्वास को भी कमजोर करती है। इस लेख में हम कलीना ड्रग प्लांटिंग कांड (Kalina Drug Planting Scandal) और पुलिस की जांच में देरी (Police Investigation Delay) के कारणों को समझेंगे।

डायलन एस्टेबेरो, जो एक पशु फार्म में काम करता था, उस दिन अपने दोस्त शहबाज़ खान के साथ कलीना में था। खार पुलिस स्टेशन के चार पुलिसकर्मी—सब-इंस्पेक्टर विश्वनाथ ओमबले और कॉन्स्टेबल इमरान शेख, सागर कांबले, और शिंदे (उर्फ दबंग शिंदे)—सादे कपड़ों में वहां पहुंचे। सीसीटीवी फुटेज में साफ दिखा कि इन पुलिसकर्मियों ने डायलन की तलाशी ली और कथित तौर पर उसके जेब में 20 ग्राम मेफेड्रोन (एक नशीला पदार्थ) रख दिया। यह पूरी घटना एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा लगती थी। फुटेज सामने आने के बाद जनता में भारी रोष फैल गया। अगले ही दिन चारों पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया, लेकिन यह कार्रवाई इस मामले की शुरुआत थी, न कि इसका अंत।

वाकोला पुलिस ने इस मामले में 19 दिसंबर 2024 को एक FIR दर्ज की, जिसमें भारतीय न्याय संहिता की कई धाराएं लगाई गईं। इनमें धारा 198 (कानून की अवहेलना करने वाला सार्वजनिक सेवक), 199 (कानून के निर्देशों की अवहेलना), 137(2) (अपहरण), 127(1) (गलत बंधन), और 115(2) व 118(1) (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) शामिल थीं। लेकिन इतने गंभीर आरोपों के बावजूद, नौ महीने बाद भी कोई चार्जशीट दाखिल नहीं हुई। डायलन के वकील, अक्षय भोले, ने बताया कि जांच में कोई खास प्रगति नहीं हुई है। पुलिस का कहना है कि आरोपी जांच में सहयोग कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने अग्रिम जमानत के लिए भी आवेदन नहीं किया। यह स्थिति कई सवाल उठाती है कि क्या पुलिस इस मामले को गंभीरता से ले रही है।

इस मामले की गंभीरता तब और बढ़ गई, जब डायलन और शहबाज़ ने आरोप लगाया कि पुलिस उन पर केस बंद करने के लिए दबाव डाल रही है। पिछले महीने, उन्हें पुलिस स्टेशन बुलाया गया और कुछ कागजात पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया, जिसे वे मामले को बंद करने की कोशिश मानते हैं। हालांकि, पुलिस ने इन आरोपों से इनकार किया है। कार्यकर्ता और वकील अभा सिंह ने इस मामले पर सख्त टिप्पणी की। उनका कहना है कि अगर नशीले पदार्थ रखने का आरोप है, तो NDPS (नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट) की धाराएं लागू होनी चाहिए। अगर बाद में आरोपी निर्दोष पाए जाते हैं, तो केस बंद किया जा सकता है, लेकिन FIR में ड्रग्स प्लांटिंग का उल्लेख होने के बावजूद NDPS की धाराएं न लगाना गलत है। उन्होंने कहा कि अंतिम फैसला मजिस्ट्रेट को करना चाहिए, जो जांच के तथ्यों और समरी रिपोर्ट के आधार पर होगा।

वकील प्रकाश सालसिंगिकर ने भी इस मामले में पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठाए। उनका कहना है कि पुलिस को बिना किसी बाहरी दबाव के जांच करनी चाहिए और ड्रग्स के स्रोत का पता लगाना चाहिए। NDPS की धाराएं लागू करना अनिवार्य है, क्योंकि यह एक गंभीर अपराध है। लेकिन वाकोला पुलिस का कहना है कि शिकायतकर्ता ने उनके पास संपर्क नहीं किया, जबकि डायलन और शहबाज़ का दावा है कि उन्हें गवाहों की पूछताछ के लिए केवल एक दिन पहले बुलाया गया, जिससे तुरंत पहुंचना मुश्किल था।

कलीना ड्रग प्लांटिंग कांड (Kalina Drug Planting Scandal) ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े किए हैं। सीसीटीवी फुटेज जैसे ठोस सबूत होने के बावजूद, जांच में देरी (Police Investigation Delay) ने पीड़ितों और स्थानीय लोगों में नाराजगी पैदा की है। यह घटना केवल एक व्यक्ति की कहानी नहीं है, बल्कि यह उन कई मामलों को उजागर करती है, जहां सिस्टम की खामियां आम लोगों को परेशान करती हैं। मुंबई जैसे शहर में, जहां कानून और व्यवस्था का महत्व सबसे ज्यादा है, ऐसे मामले विश्वास को तोड़ते हैं।

शहबाज़ खान ने सीसीटीवी फुटेज को सोशल मीडिया पर साझा कर इस मामले को जनता के सामने लाया। इस फुटेज ने न केवल पुलिस की कार्रवाई को उजागर किया, बल्कि लोगों में इस मुद्दे पर चर्चा को भी बढ़ावा दिया। लेकिन नौ महीने बाद भी न्याय की राह धीमी है। यह स्थिति नई पीढ़ी के लिए एक सबक है कि तकनीक और जागरूकता कितनी महत्वपूर्ण हो सकती है, लेकिन सिस्टम की गति पर निर्भरता कई बार निराश करती है।

#KalinaDrugScandal, #PoliceMisconduct, #MumbaiCrime, #DrugPlanting, #MumbaiNews

ये भी पढ़ें: Mumbai Monsoon 2025 Railway Prep: पश्चिम रेलवे ने ट्रैक और ड्रेनेज का निरीक्षण कर बढ़ाई मानसून तैयारियां, 104 हाई-कैपेसिटी पंप और नई ड्रेनेज लाइनों की तैनाती

You may also like