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Karan Johar Personality Rights: बॉम्बे हाई कोर्ट ने फिल्म ‘शादी के डायरेक्टर करण और जोहर’ पर रोक बरकरार रखी, कहा- टाइटल करण जोहर के व्यक्तित्व अधिकारों का उल्लंघन

Karan Johar Personality Rights: बॉम्बे हाई कोर्ट ने फिल्म 'शादी के डायरेक्टर करण और जोहर' पर रोक बरकरार रखी, कहा- टाइटल करण जोहर के व्यक्तित्व अधिकारों का उल्लंघन

Karan Johar Personality Rights: बॉम्बे हाई कोर्ट ने शुक्रवार को फिल्म ‘शादी के डायरेक्टर करण और जोहर’ के रिलीज पर लगी रोक को हटाने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि फिल्म का टाइटल प्राइमा फेसी (प्रारंभिक तौर पर) फिल्म निर्माता करण जोहर के व्यक्तित्व अधिकारों (Personality Rights) का उल्लंघन करता है। जस्टिस रियाज़ चागला ने फिल्म निर्माताओं की अंतरिम राहत हटाने की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि करण जोहर के व्यक्तित्व और प्रचार अधिकारों (Publicity Rights) के उल्लंघन का एक मजबूत मामला बनता है।

कोर्ट ने कहा, “याचिकाकर्ता (करण जोहर) ने यह साबित कर दिया है कि प्रतिवादी (फिल्म निर्माता) ने याचिकाकर्ता के व्यक्तित्व और प्रचार अधिकारों के साथ-साथ उनके ब्रांड नेम का गलत इस्तेमाल किया है। यदि अंतरिम राहत नहीं दी जाती है, तो याचिकाकर्ता को अपूरणीय क्षति हो सकती है।”

हाई कोर्ट ने पहले ही फिल्म निर्माताओं को टाइटल या प्रमोशन में ‘करण जोहर’ नाम का उपयोग करने से रोक दिया था। कोर्ट ने कहा था कि इस तरह के इस्तेमाल से जनता को यह गलत धारणा हो सकती है कि करण जोहर का इस प्रोजेक्ट से कोई संबंध है।

करण जोहर का तर्क
करण जोहर ने जून 2024 में फिल्म के निर्माताओं, इंडिया प्राइड एडवाइजरी, लेखक संजय सिंह और निर्देशक बबलू सिंह के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने तर्क दिया कि फिल्म का टाइटल उनके नाम का गलत इस्तेमाल करता है, जो उनके व्यक्तित्व और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि फिल्म निर्माता उनकी साख और प्रतिष्ठा का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं।

13 जून 2024 को हाई कोर्ट ने फिल्म पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा था कि ‘करण’ और ‘जोहर’ शब्द, खासकर जब ‘डायरेक्टर’ के साथ जोड़े जाते हैं, तो यह धारणा बनती है कि करण जोहर का फिल्म से कोई संबंध है।

फिल्म निर्माताओं का तर्क
फिल्म निर्माताओं ने हाल ही में रोक हटाने और फिल्म को रिलीज करने की अनुमति देने के लिए एक आवेदन दायर किया था। हालांकि, कोर्ट ने शुक्रवार को उनकी याचिका को खारिज कर दिया और करण जोहर की मुकदमे की अंतिम सुनवाई तक रोक को स्थायी बना दिया।

फिल्म निर्माताओं ने तर्क दिया कि टाइटल को ‘करण और जोहर’ में बदलने से समस्या हल हो जाएगी। हालांकि, कोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा, “मैं प्रतिवादी की यह दलील नहीं मानता कि ‘करण’ और ‘जोहर’ के बीच ‘और’ जोड़ने से कोई भ्रम दूर हो जाएगा। इस तरह के तर्क से बौद्धिक संपदा अधिकारों (Intellectual Property Rights) और ब्रांड नेम की अवधारणा को नुकसान पहुंचता है।”

जज ने कहा कि ‘करण और जोहर’ को गूगल पर सर्च करने पर अभी भी करण जोहर की विकिपीडिया पेज और उनसे जुड़ी खबरें सामने आती हैं, जो साबित करता है कि टाइटल में बदलाव से संबंध खत्म नहीं होता।

Karan Johar Personality Rights
कोर्ट ने कहा कि फिल्म के टाइटल में करण जोहर के नाम और व्यक्तित्व का अनधिकृत उपयोग उनके व्यक्तित्व अधिकारों, प्रचार अधिकारों और निजता के अधिकार (Right to Privacy) का उल्लंघन है। कोर्ट ने कहा, “याचिकाकर्ता ने यह साबित कर दिया है कि प्रतिवादी उनकी साख और प्रतिष्ठा का फायदा उठाकर अनुचित लाभ कमाने की कोशिश कर रहे हैं।” इसके साथ ही, कोर्ट ने रोक हटाने से इनकार कर दिया।


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