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PDP’s Political Decline: 25 साल बाद टूटा मुफ्ती परिवार का जादू, पीडीपी का वर्चस्व हुआ खत्म! विश्लेषकों ने बताई चौंकाने वाली वजह

PDP's Political Decline: 25 साल बाद टूटा मुफ्ती परिवार का जादू, पीडीपी का वर्चस्व हुआ खत्म! विश्लेषकों ने बताई चौंकाने वाली वजह
PDP’s Political Decline: जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव में एक ऐतिहासिक बदलाव देखने को मिला है। पीडीपी के लिए यह चुनाव बेहद निराशाजनक रहा, जिसमें महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा की हार सबसे चर्चित रही। यह नतीजा कश्मीर की राजनीति में एक नए दौर की शुरुआत का संकेत दे रहा है।

कश्मीर की राजनीति में बड़ा उलटफेर

कश्मीर चुनाव (Kashmir Elections) के नतीजों ने राज्य की राजनीति में एक नई करवट ली है। इस बार के कश्मीर चुनाव (Kashmir Elections) में सबसे बड़ा झटका पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) को लगा है। 90 सीटों वाली विधानसभा में पार्टी महज तीन सीटें जीत पाई है, जो पार्टी के लिए अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन है।

सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती अपनी परिवार की पारंपरिक सीट भी नहीं बचा पाईं। यह हार न सिर्फ एक चुनावी पराजय है, बल्कि कश्मीर की राजनीति में एक युग का अंत भी है।

मुफ्ती परिवार के गढ़ में लगी सेंध

श्रीगुफवारा-बिजबेहरा सीट पर पिछले 25 सालों से मुफ्ती परिवार का दबदबा रहा है। यह वह सीट है जहां से 1996 में महबूबा मुफ्ती ने अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी। यहां से दिवंगत मुफ्ती मोहम्मद सईद भी कई बार जीते थे। इस चुनाव में पार्टी ने इल्तिजा मुफ्ती को मैदान में उतारा, लेकिन उन्हें नेशनल कॉन्फ्रेंस के उम्मीदवार बशीर अहमद के हाथों हार का सामना करना पड़ा।

इल्तिजा को 23,529 वोट मिले, जो जीत के लिए पर्याप्त नहीं थे। इस हार के बाद इल्तिजा ने सोशल मीडिया पर एक संदेश जारी किया जिसमें उन्होंने कहा कि वह जनता का फैसला स्वीकार करती हैं और बिजबेहरा के लोगों से मिले प्यार के लिए आभारी हैं। साथ ही उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं का भी धन्यवाद किया जिन्होंने चुनाव प्रचार में कड़ी मेहनत की।

बदलते राजनीतिक समीकरण

पीडीपी का राजनीतिक पतन (PDP’s Political Decline) अब स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। पहले लोकसभा चुनाव में महबूबा मुफ्ती की हार, और अब विधानसभा में इल्तिजा की हार से पार्टी की स्थिति कमजोर हुई है।

अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट, जिसमें श्रीगुफवारा-बिजबेहरा विधानसभा क्षेत्र आता है, वहां भी महबूबा मुफ्ती को नेशनल कॉन्फ्रेंस के मियां अल्ताफ ने पांच लाख से अधिक वोटों के अंतर से हराया था। इस बार के विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस का गठबंधन बहुमत की ओर बढ़ रहा है, जबकि भारतीय जनता पार्टी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

कश्मीर की राजनीति में नया दौर

कश्मीर की राजनीति में यह एक नए युग की शुरुआत हो सकती है। पुराने राजनीतिक समीकरण बदल रहे हैं और नई राजनीतिक शक्तियां उभर रही हैं। पीडीपी के पास अब खुद को पुनर्जीवित करने का बड़ा काम है। विश्लेषकों का मानना है कि पार्टी को जमीनी स्तर पर फिर से काम करने की जरूरत है। कश्मीर में अब वह पुरानी राजनीति नहीं रही जिसमें परिवारवाद और क्षेत्रीय प्रभाव चुनाव जिताने के लिए काफी होता था। नए मतदाता विकास और सुशासन को प्राथमिकता दे रहे हैं। इस चुनाव ने साबित कर दिया है कि कश्मीर के लोग अब बदलाव चाहते हैं।

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