दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिहाई की मांग की है। उन्होंने शराब नीति केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) के बर्ताव को क्रूर बताया है और सवाल उठाया है कि उन्हें फिजिकली मौजूद होने के लिए कहना क्या जरूरी था।
केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था और वे 7 मई तक न्यायिक हिरासत में हैं। उन्होंने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए याचिका दायर की है। इस याचिका में, उन्होंने कहा है कि उन्होंने हमेशा जांच में सहयोग किया है और ED की तरफ से जरूरी जानकारी मांगते हुए भेजे गए हर एक समन का सही तरीके से जवाब दिया गया था।
केजरीवाल ने आगे कहा कि ED ने कभी भी ये लिखित में नहीं दिया कि उन्होंने उनके साथ सहयोग नहीं किया। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी याचिका को अनुमति मिलनी चाहिए और वे रिहाई पाने के हकदार हैं। इसके विपरीत, ED ने दावा किया है कि केजरीवाल ने नौ बार समन मिलने के बावजूद जांच अधिकारी के सामने पेश नहीं हुए थे, जिससे जांच अधिकारी को गिरफ्तारी की वजह मिली है।
इस मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद ED से 10 दिन की रिमांड मांगी थी, लेकिन कोर्ट ने उन्हें 7 दिन के लिए ED की रिमांड पर भेज दिया है। इस मामले में भारी संख्या में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों को नष्ट करने का इतिहास है, जिसके बावजूद ED ने जांच की है।
केजरीवाल के वकीलों ने रिमांड प्रार्थना पत्र को खारिज करने के लिए आवेदन किया था, हालांकि कोर्ट ने उनकी दलीलें नहीं मानी। इस मामले में आगे की सुनवाई और फैसले का इंतजार है।