राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान विपक्षी नेताओं के हंगामे के बीच सभापति जगदीप धनखड़ भावुक हो गए और कुर्सी छोड़कर चले गए। विनेश फोगाट के मुद्दे पर चर्चा की अनुमति न देने पर विपक्षी सांसदों ने हंगामा किया, जिसके बाद धनखड़ ने गुस्से में उन्हें चेतावनी दी। इस लेख में जानिए पूरे घटनाक्रम की विस्तृत जानकारी।
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ आज सदन में जितने भावुक दिखे, वैसा शायद ही पहले कभी देखा गया हो। राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान जब विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने महिला पहलवान विनेश फोगाट का मुद्दा उठाने की कोशिश की, तो सभापति ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी। इससे विपक्षी सांसद नाराज हो गए और सदन में शोर मचाने लगे।
धनखड़ ने पहले उन्हें शांत कराने की कोशिश की, लेकिन जब सांसदों का हंगामा जारी रहा, तो वह गुस्से में अपनी सीट से उठे। गुस्से में उन्होंने सभी सांसदों को संबोधित करते हुए कहा कि यह व्यवहार किसी भी तरह से शोभा नहीं देता। इस दौरान वह बहुत भावुक नजर आए और उनकी आंखों में नमी और गला रुंधा हुआ दिखा।
केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा का बयान:
हंगामे के बीच केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि सरकार ने विनेश फोगाट के समर्थन में हर संभव प्रयास किया है। उन्होंने विपक्षी दलों को आत्मचिंतन करने की सलाह दी और कहा कि विपक्ष का यह व्यवहार सभापति के प्रति असम्मानजनक है। नड्डा ने यह भी कहा कि पूरा देश विनेश फोगाट के साथ खड़ा है और सरकार ने उनके लिए हर संभव कदम उठाए हैं।
विपक्ष को चेतावनी:
राज्यसभा में विनेश फोगाट के मुद्दे पर टीएमसी सांसद ने भी बात करने की कोशिश की, लेकिन धनखड़ ने उन्हें चेतावनी दी कि अगर उन्होंने ऐसा फिर किया तो उन्हें सदन से बाहर निकाल दिया जाएगा। इसके बाद सदन में हंगामा और बढ़ गया और विपक्षी सांसद नारेबाजी करने लगे। इस दौरान धनखड़ बेहद भावुक हो गए और उन्होंने कहा कि यह व्यवहार भारतीय लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है।
सभापति की भावुक अपील:
धनखड़ ने सभी सांसदों को संबोधित करते हुए कहा कि सदन को अराजकता का केंद्र बनाना भारतीय लोकतंत्र के ऊपर कुठाराघात है। उन्होंने कहा कि सभापति की गरिमा को धूमिल करना और शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण माहौल बनाना अमर्यादित आचरण है। यह हर सीमा को लांघने जैसा है और इस तरह का व्यवहार किसी भी सदन के लिए उचित नहीं है।
सभापति की इस भावुक अपील के बाद भी विपक्षी सांसद शांत नहीं हुए और हंगामा जारी रहा। इस पूरे घटनाक्रम ने राज्यसभा की कार्यवाही को बाधित किया और सभापति धनखड़ को गहरी भावनाओं में घेर लिया।
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