कोलकाता रेप-मर्डर केस: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए रेप और मर्डर का मामला सामने आने के बाद से ही पूरे देश में हड़कंप मच गया है। इस घटना ने न सिर्फ सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया और जांच के तरीके पर भी गंभीर चर्चा छेड़ दी है।
घटना का विवरण
9 अगस्त 2024 को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक महिला ट्रेनी डॉक्टर का शव सेमिनार हॉल में अर्धनग्न अवस्था में पाया गया। यह मामला तब और गंभीर हो गया जब जांच में पता चला कि इस महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार हुआ था, और बाद में उसकी हत्या कर दी गई थी। 10 अगस्त को आरोपी संजय रॉय को गिरफ्तार किया गया, लेकिन इस गिरफ्तारी के बाद भी सवाल उठते रहे कि आखिर 4447 CCTV कैमरे होने के बावजूद यह घटना कैसे हो गई?
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने बंगाल सरकार से कई तीखे सवाल पूछे। उन्होंने कहा, “जब अस्पताल में 4447 CCTV कैमरे लगे हुए थे, तो फिर यह घटना कैसे घट गई?” CJI ने यह भी कहा कि केवल फंड के इस्तेमाल की जानकारी देना पर्याप्त नहीं है, बल्कि यह बताना जरूरी है कि सुरक्षा के इंतजाम कैसे नाकाम हुए। इसके अलावा, उन्होंने पीड़िता की डेडबॉडी की तस्वीरें सोशल मीडिया से तुरंत हटाने का आदेश दिया, ताकि पीड़िता की गरिमा बनी रहे।
सीबीआई और पुलिस की जांच पर सवाल
इस मामले में पुलिस और सीबीआई की जांच प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े किए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिकाकर्ता ने कहा कि देश में सामान्य तौर पर रात में पोस्टमार्टम नहीं किया जाता, लेकिन इस केस में ऐसा हुआ। FIR दर्ज करने से पहले सर्च और सीज की प्रक्रिया भी पूरी नहीं की गई, जो एक गंभीर चूक मानी जा रही है। CJI ने सीबीआई से यह भी पूछा कि क्या पोस्टमार्टम से पहले चालान तैयार किया गया था, क्योंकि बिना चालान के पोस्टमार्टम संभव नहीं होता।
बंगाल सरकार पर बढ़ता दबाव
पश्चिम बंगाल सरकार के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट को जानकारी दी कि वे जल्द ही इस मामले की प्रगति के बारे में सूचित करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार पूरी कोशिश कर रही है कि पीड़िता और उसके परिवार को न्याय मिल सके। हालांकि, कोर्ट में राज्य सरकार की तरफ से अब तक पेश किए गए तर्क सवालों के घेरे में हैं।
न्याय की लड़ाई
यह मामला सिर्फ एक ट्रेनी डॉक्टर के रेप और मर्डर तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे सिस्टम पर एक बड़ा सवालिया निशान है। जब इतनी बड़ी संख्या में CCTV कैमरे होते हुए भी सुरक्षा का यह हाल है, तो आम जनता की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जा सकती है? सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर को करेगा, और देशभर की निगाहें इस पर टिकी हैं कि पीड़िता को न्याय कब मिलेगा।
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