कोलकाता में हाल ही में हुए एक भयानक रेप और मर्डर केस ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में डॉक्टर का मर्डर और रेप के आरोप में गिरफ्तार संजय रॉय ने पहले नार्को टेस्ट के लिए हामी भरी थी, लेकिन कोर्ट में जाकर उसने इनकार कर दिया। CBI अब इस मामले की गहराई से जांच कर रही है, लेकिन आरोपी का नार्को टेस्ट न होने से मुश्किलें बढ़ गई हैं।
नार्को टेस्ट क्या है और यह क्यों जरूरी था?
नार्को टेस्ट (Narco Test) अपराधियों से सच उगलवाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक साइंटिफिक तरीका है। इसमें आरोपी को सोडियम पेंटोथल नामक दवा दी जाती है, जिससे उसकी सोचने की क्षमता कम हो जाती है और वह सम्मोहित अवस्था में पहुंच जाता है। इस हालत में वह सच बोलने लगता है। नार्को टेस्ट से अक्सर ऐसे मामलों में सच्चाई बाहर आ सकती है, जब आरोपी सामान्य पूछताछ में गलत बयान देता है।
CBI इस मामले में नार्को टेस्ट इसलिए करना चाहती थी ताकि आरोपी के बयानों को क्रॉस-चेक किया जा सके। पहले संजय रॉय ने CBI के सामने नार्को टेस्ट के लिए राज़ी हो गया था, लेकिन कोर्ट में उसने इससे इनकार कर दिया। कोर्ट ने आरोपी की मर्जी का सम्मान करते हुए नार्को टेस्ट को खारिज कर दिया, क्योंकि कानून के अनुसार नार्को टेस्ट तभी किया जा सकता है जब आरोपी सहमत हो।
कोर्ट में क्या हुआ?
कोर्ट में CBI ने नार्को टेस्ट की मंजूरी के लिए याचिका दायर की थी। अदालत ने कर्नाटक हाई कोर्ट के 2010 के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि नार्को टेस्ट तभी किया जा सकता है जब आरोपी की सहमति हो।
जब जज ने संजय रॉय से पूछा कि क्या वह नार्को टेस्ट के लिए सहमत है, तो उसने इनकार कर दिया। यह उसके पिछले बयान के उलट था, जिसमें उसने पहले CBI के सामने नार्को टेस्ट के लिए सहमति दी थी। यह अचानक फैसला CBI के लिए बड़ा झटका साबित हुआ क्योंकि अब उसके पास सीमित विकल्प बचे हैं।
CBI की जांच में बाधाएँ
CBI पहले ही पॉलीग्राफ टेस्ट कर चुकी है, जो एक और साइंटिफिक तरीका है जिसमें व्यक्ति के झूठ बोलने पर उसकी शारीरिक प्रतिक्रियाओं को मापा जाता है। लेकिन नार्को टेस्ट की तुलना में पॉलीग्राफ कम प्रभावी माना जाता है। ऐसे में नार्को टेस्ट न होने से CBI की जांच में रुकावटें आ रही हैं।
CBI अब इस मामले को सुलझाने के लिए अन्य साक्ष्यों पर निर्भर है, जैसे कि घटनास्थल से मिले सबूत, CCTV फुटेज और गवाहों के बयान।
आरोपी की गिरफ्तारी और मामला
संजय रॉय को 11 अगस्त को कोलकाता पुलिस ने गिरफ्तार किया था, जब डॉक्टर का शव हॉस्पिटल में मिला था। CBI को यह केस 23 अगस्त को हाई कोर्ट के आदेश के बाद सौंपा गया था। CBI अब इस हाई-प्रोफाइल केस की जांच पूरी करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, लेकिन नार्को टेस्ट का इनकार उसके लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है।
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