Kundmala Bridge Collapse: महाराष्ट्र के पुणे जिले के मावल तालुका में इंद्रायणी नदी पर स्थित कुंडमला पुल के ढहने की दुखद घटना ने पूरे राज्य को झकझोर दिया। यह हादसा रविवार दोपहर को हुआ, जब सैकड़ों पर्यटक इस खूबसूरत स्थल पर मॉनसून का आनंद लेने पहुंचे थे। इस पुराने लोहे के पुल को पहले ही असुरक्षित घोषित (unsafe bridge, असुरक्षित पुल) किया जा चुका था, और इसके प्रवेश द्वार पर चेतावनी बोर्ड भी लगाए गए थे। फिर भी, भारी भीड़ के कारण यह पुल टूट गया, जिसके परिणामस्वरूप चार लोगों की जान चली गई और कई अन्य घायल हो गए।
इस घटना ने स्थानीय लोगों और प्रशासन को गहरे सदमे में डाल दिया। कुंडमला, जो मॉनसून के दौरान अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, हर सप्ताहांत हजारों पर्यटकों को आकर्षित करता है। इंद्रायणी नदी का तेज बहाव और आसपास की हरी-भरी वादियां इसे एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बनाती हैं। लेकिन इस बार, इस खूबसूरती ने एक भयावह त्रासदी को जन्म दिया। स्थानीय लोगों के अनुसार, यह पुल कई साल पुराना था और इसकी स्थिति पहले से ही खराब थी। इसके बावजूद, पर्यटकों की भीड़ और कुछ दोपहिया वाहनों के कारण इसकी संरचना पर अत्यधिक दबाव पड़ा, जिससे यह हादसा हुआ।
महाराष्ट्र सरकार ने इस घटना को गंभीरता से लिया है। सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) के मंत्री शिवेंद्र सिंहराजे भोसले ने विधानसभा में बताया कि इस मामले की जांच के लिए एक त्रिसदस्यीय समिति गठित की गई है। यह समिति इस हादसे के कारणों की गहराई से जांच करेगी और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है। मंत्री ने यह भी बताया कि कुंडमला पूल हादसे (Kundmala bridge tragedy, कुंडमला पूल हादसा) की जांच पूरी होने के बाद दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
मंत्री भोसले ने यह भी स्पष्ट किया कि सार्वजनिक निर्माण विभाग पूरे राज्य में 16,345 पुलों का नियमित रूप से संरचनात्मक ऑडिट, मरम्मत और सुरक्षा मूल्यांकन करता है। वर्तमान में, राज्य में चार अन्य पुलों को अत्यंत खतरनाक घोषित किया गया है, और उनकी मरम्मत का काम तेजी से चल रहा है। इसके अलावा, आठ अन्य पुलों के संरचनात्मक ऑडिट की रिपोर्ट जल्द ही प्राप्त होने वाली है, जिसके आधार पर उनकी मरम्मत या पुनर्निर्माण का कार्य शुरू किया जाएगा।
इस हादसे ने न केवल कुंडमला की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं, बल्कि पूरे राज्य में पर्यटन स्थलों पर भीड़ प्रबंधन और बुनियादी ढांचे की स्थिति पर ध्यान देने की जरूरत को उजागर किया है। सरकार ने पीड़ित परिवारों के लिए पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता की घोषणा की है और घायलों के इलाज का खर्च भी वहन करने का वादा किया है। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और स्थानीय प्रशासन ने तुरंत बचाव कार्य शुरू किया, जिसके तहत 39 लोगों को सुरक्षित निकाला गया।
यह घटना एक चेतावनी है कि प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेने के साथ-साथ सुरक्षा नियमों का पालन करना कितना जरूरी है। कुंडमला जैसे लोकप्रिय स्थलों पर पर्यटकों की भारी भीड़ को नियंत्रित करने और पुराने ढांचों की समय पर मरम्मत करने की आवश्यकता अब पहले से कहीं अधिक महसूस हो रही है।
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