लो जी, अभी तो खुशी के पूरे आंसू बहे भी नहीं थे कि महामंडलेश्वर का पद छीन लिया गया। मैं बात कर रही हूं एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी की, जिन्हें हाल ही में किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाया गया था। न्यूज चैनलों से लेकर अखबारों और सोशल मीडिया पर से ये सुर्खियां अभी पुरानी भी नहीं हुई थी, कि ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर पद से हटा दिया गया। यही नहीं, ममता कुलकर्णी को इस पद पर आसीन करने वाली लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को भी इसका भुगतान करना पड़ा और उन्हें भी उनके आचार्य महामंडलेश्वर पद से हाथ धुलवा दिया गया। बता दें कि ये बड़ा एक्शन लिया है किन्नर अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजय दास ने।
क्यों बढ़ा ये विवाद?
दरअसल 24 जनवरी 2025 की ही बात है जब ममता कुलकर्णी का महाकुंभ के दौरान पट्टाभिषेक कराया गया था। इसके साथ ही उनका नाम रखा गया श्री यामाई ममता नंदिनी गिरी। इसके बाद से ही ये विवाद बढ़ता चला गया। कई साधु-संतों सहित अखाड़ों ने भी ममता को महामंडलेश्वर बनाने से नाराज चल रहे थे। उन्ही में किन्नर अखाड़े के अजय दास भी थे, जो इसका विरोध कर रहे थे। उनका मानना था कि किसी स्त्री को किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाना सिद्धांतों के खिलाफ है।
क्या बोले ऋषि अजय दास?
ऋषि अजय दास की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में लिखा गया है कि,”आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने बिना किसी नियम और परंपरा का पालन किए ममता कुलकर्णी को सीधे महामंडलेश्वर बना दिया। ममता कुलकर्णी, जो फिल्मी दुनिया से जुड़ी रही हैं और देशद्रोह के मामले में नाम आ चुका है, उन्हें सनातन धर्म और अखाड़े की परंपराओं को नजरअंदाज कर यह उपाधि दी गई। यह सिर्फ असंवैधानिक ही नहीं, बल्कि सनातन धर्म और देश के हित के खिलाफ भी है। इसलिए, मैं समाज और धर्म के हित में मजबूरी में उन्हें इस पद से हटाने का फैसला कर रहा हूं।”
लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने किया पलटवार
अखाड़े की तरफ से बयान आने के बाद लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि अजय दास को पहले ही अखाड़े से बाहर किया जा चुका है और अब उनकी वहां कोई जगह नहीं है। वहीं, किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर मां पवित्रा नंद गिरी ने लक्ष्मी नारायण को पद से हटाने पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि, “हम किसी को अहमियत नहीं देना चाहते। दूसरों पर कीचड़ उछालने से कोई बड़ा नहीं बनता। जो जैसा है, वैसा ही रहेगा। दुनिया के कहने से कुछ नहीं बदलता। अजय दास खुद साफ करेंगे कि सच क्या है।”
ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाए जाने के बाद कई संतों ने आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि इस पद के लिए वर्षों की साधना और समर्पण जरूरी होता है, तो फिर ममता को एक ही दिन में कैसे महामंडलेश्वर बना दिया गया? हालांकि, ममता कुलकर्णी का कहना है कि वो लंबे समय से आध्यात्मिक जीवन जी रही हैं।
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