दुनिया की जानी-मानी हस्तियों में से एक, लॉरेन पॉवेल जॉब्स, जिन्हें प्रौद्योगिकी की दुनिया के दिग्गज स्टीव जॉब्स की विधवा के रूप में जाना जाता है, इस समय प्रयागराज कुंभ मेले में कल्पवास कर रही हैं। “कल्पवास” हिंदू धर्म (Hindu Religion) की एक विशेष आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जिसमें एक महीने तक साधु और तपस्वी की तरह जीवन व्यतीत किया जाता है। लॉरेन के इस कदम ने उनके धार्मिक झुकाव और व्यक्तिगत आध्यात्मिकता को लेकर चर्चाओं का केंद्र बना दिया है।
हिंदू नाम “कमला” और उनका नया गोत्र
प्रयागराज में निरंजनी अखाड़े के प्रमुख आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि ने लॉरेन को “कमला” नाम दिया और उनका गोत्र भी तय किया है। हालांकि, ये महत्वपूर्ण है कि उन्होंने अभी हिंदू धर्म (Hindu Religion) औपचारिक रूप से स्वीकार नहीं किया है। कैलाशानंद गिरि ने ये स्पष्ट किया है कि हिंदू नाम और गोत्र दिया जाना गुरु-शिष्य परंपरा का हिस्सा है, जो किसी धर्मांतरण का प्रमाण नहीं है। फिलहाल, लॉरेन अपने गुरु की देखरेख में कुंभ मेले के दौरान एक शिष्या के रूप में नियमों का पालन करते हुए कल्पवास कर रही हैं।
क्या लॉरेन पॉवेल जॉब्स हिंदू धर्म स्वीकार करेंगी?
इस चर्चा का केंद्र ये है कि क्या लॉरेन पॉवेल जॉब्स हिंदू धर्म स्वीकार करने की दिशा में बढ़ रही हैं। उनकी हालिया गतिविधियां और आध्यात्मिक झुकाव ये संकेत देते हैं कि उनका ध्यान हिंदू धर्म और उसकी परंपराओं की ओर बढ़ रहा है। लॉरेन ने 13 जनवरी को भारत आने के बाद से गेरुए वस्त्र धारण किए हैं और प्रयागराज कुंभ में पवित्र संगम में स्नान करने की तैयारी कर रही हैं। ये प्रक्रिया उनकी गहरी आध्यात्मिक रुचि को दर्शाती है।
लॉरेन का अतीत और उनकी आध्यात्मिकता
लॉरेन पॉवेल जॉब्स का जन्म और पालन-पोषण एक ईसाई परिवार में हुआ है। उनके जीवन में आध्यात्मिकता का रुझान तब आया जब उन्होंने स्टीव जॉब्स से शादी की। स्टीव जॉब्स खुद बौद्ध धर्म के अनुयायी थे और भारतीय दर्शन तथा हिंदू आध्यात्मिकता से गहराई से प्रभावित थे। स्टीव ने 1970 के दशक में भारत की यात्रा की और बाबा नीम करौली से प्रेरणा ली।
स्टीव के निधन के बाद, लॉरेन ने लंबे समय तक धार्मिक गतिविधियों से दूरी बनाए रखी। हालांकि, हाल के वर्षों में उनकी आध्यात्मिक खोज उन्हें हिंदू और बौद्ध धर्म की ओर खींच लाई है। ये भी कहा जाता है कि वो लंबे समय से निरंजनी अखाड़े के संपर्क में थीं, और उनके कुंभ में भाग लेने का निर्णय इसी जुड़ाव का नतीजा है।
कल्पवास और उसकी कठोरताएं
कल्पवास, जिसमें लॉरेन हिस्सा ले रही हैं, हिंदू धर्म की एक पुरानी परंपरा है। ये साधना का एक तरीका है, जिसमें व्यक्ति को अपनी दिनचर्या से हटकर तपस्वी जीवन जीना होता है। इसमें सुबह जल्दी उठना, नदी में स्नान करना, मांसाहार और भौतिक सुखों का त्याग करना शामिल है। लॉरेन का इस परंपरा में भाग लेना उनके अंदर एक गहरे धार्मिक और आध्यात्मिक परिवर्तन का संकेत देता है।
स्टीव जॉब्स का प्रभाव और लॉरेन की धार्मिक यात्रा
स्टीव जॉब्स के जीवन में बौद्ध धर्म और भारतीय दर्शन का गहरा प्रभाव था। उनके धार्मिक विश्वासों के अनुसार उनका अंतिम संस्कार बौद्ध रीति-रिवाजों से किया गया। उनकी यह धार्मिक और आध्यात्मिक यात्रा कहीं न कहीं लॉरेन के जीवन पर भी प्रभाव डालती दिख रही है। स्टीव और लॉरेन की शादी बौद्ध रीति-रिवाजों से हुई थी, और अब लॉरेन का झुकाव हिंदू धर्म की ओर दिख रहा है।
लॉरेन पॉवेल जॉब्स की धार्मिक गतिविधियां और उनकी आध्यात्मिक खोज ये दर्शाती हैं कि वो अपने जीवन के एक नए चरण में प्रवेश कर रही हैं। हालांकि, ये अभी साफ नहीं है कि वो हिंदू धर्म को पूरी तरह स्वीकार करेंगी या नहीं, लेकिन उनकी भागीदारी ये बताती है कि वो भारतीय दर्शन और हिंदू धर्म (Hindu Religion) से गहराई से प्रभावित हैं। ये यात्रा उनकी व्यक्तिगत और आध्यात्मिक खोज का हिस्सा है, जो निश्चित रूप से बहुत प्रेरणादायक और दिलचस्प है।
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