Leopard Attack in Nashik: नाशिक के दिंदोरी में एक दुखद घटना ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया। शनिवार की रात, जब अंधेरा चारों ओर फैल चुका था, एक पांच साल के मासूम बच्चे, रुद्रक्ष अमोल जाधव, पर तेंदुए ने हमला कर दिया। यह घटना दिंदोरी के जाधव बस्ती में हुई, जहां रुद्रक्ष अपने दादाजी दत्तात्रय जाधव के साथ घर के बाहर था। रात करीब नौ बजे, जब सन्नाटा पसरा हुआ था, एक तेंदुआ छायाओं में छिपकर अचानक रुद्रक्ष पर झपटा और उसे खेत की ओर खींच ले गया। दादाजी की चीख सुनकर पड़ोसी दौड़े, लेकिन जब तक वे मौके पर पहुंचे, रुद्रक्ष की जान जा चुकी थी। इस घटना ने न केवल जाधव बस्ती, बल्कि पूरे नाशिक क्षेत्र में दहशत फैला दी।
यह कोई पहली घटना नहीं थी। कुछ ही हफ्ते पहले, वनारवाडी में एक युवती पर तेंदुए ने हमला किया था, जिसमें उसकी जान चली गई थी। इन लगातार होने वाली त्रासदियों ने स्थानीय लोगों के धैर्य की सीमा को तोड़ दिया। गुस्साए ग्रामीणों ने नाशिक-सापुतारा मार्ग को रात में अवरुद्ध कर दिया, जिससे यातायात पूरी तरह ठप हो गया। उनका गुस्सा जायज था, क्योंकि तेंदुए के हमलों ने अब बच्चों तक को नहीं बख्शा। लोग स्थायी समाधान और वन विभाग से ठोस कदमों की मांग कर रहे थे।
दिंदोरी पुलिस स्टेशन के कर्मियों ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को संभाला और ग्रामीणों को समझा-बुझाकर प्रदर्शन समाप्त करवाया। ग्रामीणों ने मांग की कि क्षेत्र में तुरंत पिंजरे लगाए जाएं, तेंदुओं को नियंत्रित करने के लिए स्थायी उपाय किए जाएं और मृतक बच्चे के परिवार को आर्थिक सहायता दी जाए। इस घटना ने यह सवाल उठाया कि आखिर वन्यजीव और इंसानों के बीच बढ़ते टकराव को कैसे रोका जाए।
वनारवाडी में पहले हुई घटना ने पहले ही क्षेत्र में डर का माहौल बना दिया था। उस समय, एक युवती खेत में घास काट रही थी, जब तेंदुए ने उस पर हमला किया था। उसके परिजनों ने उसे बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन भारी रक्तस्राव और गंभीर चोटों के कारण उसकी जान नहीं बच सकी। इस घटना के बाद वन विभाग ने तेंदुए को पकड़ने के लिए पांच पिंजरे और नौ ट्रैप कैमरे लगाए थे। ड्रोन कैमरों का भी इस्तेमाल किया गया, लेकिन उस समय तेंदुआ पकड़ा नहीं जा सका। आखिरकार, कुछ दिनों बाद एक पांच साल का नर तेंदुआ पिंजरे में फंस गया, जिसे मेडिकल जांच के लिए नाशिक के बाहरी इलाके में म्हासरूल के ट्रांजिट ट्रीटमेंट सेंटर भेजा गया।
हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो सका कि क्या यह वही तेंदुआ था जिसने युवती पर हमला किया था। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि वे कुछ और दिनों तक पिंजरे लगाए रखेंगे और ग्रामीणों को तेंदुए के हमलों से बचने के लिए सावधानियां बरतने की सलाह दे रहे हैं। क्षेत्रीय अधिकारी उमेश वावरे ने आश्वासन दिया कि क्षेत्र में तलाशी अभियान चलाया जाएगा और कई उपायों की सिफारिश उच्च कार्यालय को भेजी जाएगी। ग्रामीणों ने यह भी मांग की कि रात के समय गांवों और बस्तियों में बिजली की व्यवस्था को निर्बाध रखा जाए, ताकि अंधेरे में तेंदुओं के हमले का खतरा कम हो।
नाशिक के दिंदोरी और आसपास के तालुका जैसे निफाड, सिन्नर और त्र्यंबकेश्वर में तेंदुओं की मौजूदगी कोई नई बात नहीं है। गन्ने के खेत, जो घने और छिपने के लिए उपयुक्त हैं, तेंदुओं के लिए सुरक्षित ठिकाना बन जाते हैं। पिछले कुछ सालों में, नाशिक जिले में तेंदुओं के हमलों में कई लोगों की जान गई है और दर्जनों घायल हुए हैं। 2024 में ही, कम से कम तीन लोगों की मौत और 15 लोग घायल हुए। इन आंकड़ों ने यह सवाल उठाया कि क्या वन विभाग और स्थानीय प्रशासन इस समस्या से निपटने के लिए पर्याप्त कदम उठा रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि तेंदुओं की बढ़ती आबादी और उनके मानव बस्तियों में प्रवेश करने की घटनाएं चिंता का विषय हैं। कई बार तेंदुए कुत्तों और अन्य पालतू जानवरों पर भी हमला कर चुके हैं। कुछ साल पहले, नाशिक के जय भवानी रोड पर एक तेंदुए ने एक पैदल यात्री पर हमला किया था, जिसके बाद वन विभाग को उसे पकड़ने में कई घंटे लगे। इसी तरह, सावकारनगर और विहितगांव जैसे क्षेत्रों में भी तेंदुओं के हमले और उनकी मौजूदगी की खबरें सामने आ चुकी हैं।
इन घटनाओं ने नाशिक के लोगों में एक अनकहा डर पैदा कर दिया है। खासकर, बच्चे और बुजुर्ग, जो अक्सर घर के बाहर समय बिताते हैं, अब पहले से ज्यादा खतरे में हैं। ग्रामीणों का मानना है कि वन विभाग को और सक्रियता दिखानी होगी। पिंजरों में खाना न रखने की शिकायतें भी सामने आई हैं, जिसके कारण तेंदुओं को पकड़ना मुश्किल हो रहा है। कुछ लोग यह भी सुझाव दे रहे हैं कि जंगलों के आसपास बस्तियों में रात के समय रोशनी की बेहतर व्यवस्था होनी चाहिए।
रुद्रक्ष की मौत ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया कि इंसान और वन्यजीवों के बीच सामंजस्य कैसे स्थापित किया जाए। यह केवल नाशिक की समस्या नहीं है, बल्कि पूरे देश में उन क्षेत्रों की चुनौती है, जहां जंगल और मानव बस्तियां एक-दूसरे के करीब हैं।
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