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Lauren Powell Spiritual Journey: एक साल पहले ही सनातन के रास्ते चल पड़ी थीं स्टीव जॉब्स की पत्नी, दीक्षा देने वाले गुरू ने सुनाई कहानी

Lauren Powell Spiritual Journey: एक साल पहले ही सनातन के रास्ते चल पड़ी थीं स्टीव जॉब्स की पत्नी, दीक्षा देने वाले गुरू ने सुनाई कहानी

Lauren Powell Spiritual Journey: महाकुंभ 2025 (Mahakumbh 2025) एक ऐसा आयोजन है, जहां न केवल भारत बल्कि दुनिया भर से लोग अपनी धार्मिक और आध्यात्मिक यात्रा के लिए आते हैं। इस बार, महाकुंभ में स्टीव जॉब्स की पत्नी, लॉरेन पॉवेल (Lauren Powell) की उपस्थिति ने सबका ध्यान खींचा। लॉरेन, जो अपनी आध्यात्मिक जिज्ञासा और सनातन धर्म में गहरी रुचि के लिए जानी जाती हैं, ने यहां एक साधारण श्रद्धालु की तरह समय बिताया। उनकी इस यात्रा ने यह दिखाया कि आध्यात्मिकता के लिए न कोई सीमा है और न ही कोई भौतिक बंधन।


सनातन धर्म का मार्ग अपनाने का निर्णय

स्वामी कैलाशानंद गिरी (Swami Kailashanand Giri), जो निरंजनी अखाड़ा के प्रमुख हैं, ने बताया कि लॉरेन पॉवेल ने एक साल पहले ही सनातन धर्म का मार्ग अपनाने का निर्णय कर लिया था। फरवरी 2024 में, उन्हें “कमला” नाम दिया गया था और उनका गौत्र भी निर्धारित किया गया। मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर, 14 जनवरी की रात को, उन्हें विधिवत दीक्षा दी गई।

स्वामी जी के अनुसार, लॉरेन एक ऐसी व्यक्ति हैं, जिन्होंने भौतिकवाद के शिखर को छूने के बाद भी सादगी और आत्मिक शांति की तलाश को चुना। उनका यह कदम इस बात का प्रमाण है कि सनातन धर्म की गहराई और उसके मूल्य हर व्यक्ति को आकर्षित कर सकते हैं।


महाकुंभ में साधारण जीवनशैली

लॉरेन पॉवेल महाकुंभ के दौरान चार दिनों तक प्रयागराज में रहीं। हालांकि उनके साथ 50 लोगों का निजी स्टाफ और दो बड़े हवाई जहाज थे, लेकिन उन्होंने अपने व्यवहार से यह साबित किया कि वे एक साधारण श्रद्धालु की तरह यहां आई थीं। वह शिविर में रुकीं और पूरे समय शांत और सरल रहीं।

उनकी दिनचर्या में पूजा-अर्चना और गुरु से संवाद शामिल थे। लॉरेन के स्वभाव की सबसे खास बात यह है कि वह बेहद विनम्र और सादगी से भरपूर हैं। स्वामी कैलाशानंद ने बताया कि उनमें अहंकार का कोई नामोनिशान नहीं है और यह गुण हर किसी को उनसे जोड़ता है।


पूरी तरह शाकाहारी जीवनशैली

लॉरेन पॉवेल का जीवनशैली के प्रति समर्पण उनके भोजन की आदतों से भी झलकता है। उन्होंने महाकुंभ के दौरान न केवल शाकाहार अपनाया, बल्कि प्याज और लहसुन तक का सेवन नहीं किया। यह उनकी प्रतिबद्धता और सनातन धर्म की जीवनशैली के प्रति उनके सम्मान को दर्शाता है।


मंत्र दीक्षा और आध्यात्मिक अनुष्ठान

महाकुंभ के दौरान, लॉरेन को महाकाली के बीज मंत्र “ॐ क्रीं महाकालिका नमः” की दीक्षा दी गई। यह मंत्र अब उनकी आध्यात्मिक यात्रा का एक हिस्सा बन गया है। स्वामी कैलाशानंद ने बताया कि इस मंत्र के जप से उन्हें आत्मिक शक्ति और शांति मिलेगी।

हालांकि लॉरेन को 10 दिनों तक महाकुंभ में रहने की योजना थी, लेकिन अचानक तबीयत खराब होने के कारण उन्हें तीन दिनों बाद ही लौटना पड़ा। फिर भी, इस छोटे से समय में उन्होंने जो अनुभव और ज्ञान अर्जित किया, वह उनकी आगे की यात्रा के लिए प्रेरणादायक होगा।


आध्यात्मिकता की सीमाओं से परे

लॉरेन पॉवेल का यह कदम दिखाता है कि आध्यात्मिकता का कोई दायरा नहीं है। यह धर्म और संस्कृति से परे जाकर हर व्यक्ति को आकर्षित कर सकती है। लॉरेन का साधारण जीवन जीने और नई परंपराओं को अपनाने का यह प्रयास हर किसी के लिए प्रेरणा है।

उनकी यात्रा न केवल महाकुंभ के लिए खास रही, बल्कि यह दुनिया को यह संदेश भी देती है कि भौतिक सुख-सुविधाओं से ऊपर उठकर आत्मा की शांति की तलाश करना जीवन का असली उद्देश्य है।


Lauren Powell Spiritual Journey: समर्पण और प्रेरणा

लॉरेन पॉवेल का अनुभव यह साबित करता है कि अध्यात्म का मार्ग अपनाने के लिए केवल आस्था और समर्पण की जरूरत होती है। उन्होंने अपनी साधारण उपस्थिति और गहन जिज्ञासा से सबका दिल जीत लिया। महाकुंभ में उन्होंने जो समय बिताया, वह हर श्रद्धालु के लिए एक प्रेरणा बन गया।


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