महाकुंभ भगदड़ मामला: सोमवार, 24 फरवरी को हुई सुनवाई में यूपी सरकार ने बताया कि न्यायिक आयोग की जांच का दायरा बढ़ा दिया गया है। अब जांच में वे सभी बिंदु शामिल किए गए हैं, जिनकी मांग जनहित याचिका में की गई थी। साथ ही, जांच पूरी करने के लिए आयोग को एक महीने का अतिरिक्त समय भी दिया गया है।
चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस क्षितिज शैलेंद्र की डिवीजन बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता अगर चाहता है, तो अपनी बात न्यायिक आयोग के सामने रख सकता है। अगर न्यायिक आयोग की रिपोर्ट से संतुष्टि नहीं होती, तो दोबारा कोर्ट आ सकता है।
क्या थी जनहित याचिका की मांग?
जनहित याचिका में मांग की गई थी कि –
लापता लोगों का सही ब्यौरा दिया जाए।
भगदड़ में पीड़ितों की सही संख्या बताई जाए।
घटना की जांच न्यायिक निगरानी में हो।
एक निगरानी समिति गठित की जाए।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा था कि क्या न्यायिक आयोग की जांच का दायरा बढ़ाया जा सकता है। इसके बाद सरकार ने सभी जरूरी बिंदु जांच में शामिल कर लिए।
महाकुंभ भगदड़ में 30 लोगों की मौत
गौरतलब है कि भगदड़ 29 जनवरी की रात संगम नोज के पास हुई थी, जिसमें 30 लोगों की जान चली गई। इस घटना की जांच के लिए यूपी सरकार ने सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति हर्ष कुमार की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग बनाया है। पहले आयोग को एक महीने में रिपोर्ट देनी थी, लेकिन अब इसका कार्यकाल एक महीने और बढ़ा दिया गया है।
क्या होगा आगे?
अब न्यायिक आयोग इस घटना की पूरी जांच करेगा और रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंपेगा। अगर याचिकाकर्ता को रिपोर्ट से संतुष्टि नहीं होती, तो वो दोबारा कोर्ट जा सकता है।
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