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Maharashtra Chief Secretary Race Heats Up: महाराष्ट्र में नया मुख्य सचिव कौन? राजेश कुमार, चहल या अग्रवाल? पांच दिन में होगा फैसला

Maharashtra Chief Secretary Race Heats Up: महाराष्ट्र में नया मुख्य सचिव कौन? राजेश कुमार, चहल या अग्रवाल? पांच दिन में होगा फैसला

Maharashtra Chief Secretary Race Heats Up: महाराष्ट्र की नौकरशाही में इन दिनों एक अलग ही हलचल मची हुई है। राज्य के मुख्य सचिव (मुख्य सचिव/chief secretary) का पद जल्द ही खाली होने वाला है, और इस महत्वपूर्ण पद के लिए दौड़ शुरू हो चुकी है। मौजूदा मुख्य सचिव सुजाता सौनिक की सेवानिवृत्ति में अब केवल पांच दिन बचे हैं, और इस बीच मंत्रालय के गलियारों में नए मुख्य सचिव की नियुक्ति (chief secretary appointment/मुख्य सचिव नियुक्ति) को लेकर चर्चाएं तेज हैं। कई वरिष्ठ अधिकारियों के नाम सामने आ रहे हैं, और यह मुद्दा न केवल प्रशासनिक हलकों में, बल्कि आम लोगों के बीच भी उत्सुकता का विषय बन गया है।

महाराष्ट्र का मुख्य सचिव का पद राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था का सबसे ऊंचा और प्रभावशाली पद होता है। यह अधिकारी न केवल सरकार की नीतियों को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, बल्कि मुख्यमंत्री के साथ मिलकर राज्य के विकास और प्रशासन को दिशा देता है। सुजाता सौनिक की सेवानिवृत्ति के बाद, इस पद के लिए कई बड़े नाम चर्चा में हैं। इनमें राजेश कुमार, जो राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव हैं, राजेश अग्रवाल, जो केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय मंत्रालय में सचिव हैं, और आईएस चहल, जो गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव हैं, शामिल हैं। इसके अलावा, मनीषा पाटणकर म्हैसकर, जो लोक निर्माण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव हैं, भी इस दौड़ में एक मजबूत दावेदार के रूप में उभर रही हैं।

मंत्रालय के गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि आईएस चहल का नाम सबसे आगे चल रहा है। हालांकि, उनकी नियुक्ति में एक पेंच है। चहल जनवरी 2026 में सेवानिवृत्त होने वाले हैं, जिसका मतलब है कि अगर उन्हें मुख्य सचिव बनाया गया, तो उनका कार्यकाल केवल सात महीने का होगा। दूसरी ओर, राजेश कुमार, जो सुजाता सौनिक के बाद सबसे वरिष्ठ हैं, अगस्त में रिटायर होने वाले हैं। इस स्थिति में उनका कार्यकाल केवल दो महीने का होगा। इस वजह से सरकार लंबे कार्यकाल की संभावना को देख रही है, और यही कारण है कि राजेश अग्रवाल और मनीषा पाटणकर म्हैसकर के नाम भी चर्चा में हैं। अगर अग्रवाल को यह पद मिलता है, तो वह आठ अन्य सचिवों को इस दौड़ से बाहर कर सकते हैं, क्योंकि वह केंद्र से अपने मूल राज्य में वापस आएंगे।

मनीषा पाटणकर म्हैसकर इस दौड़ में एक खास स्थान रखती हैं। अगर उन्हें मुख्य सचिव बनाया जाता है, तो वह महाराष्ट्र की दूसरी महिला मुख्य सचिव होंगी। उनका कार्यकाल मार्च 2029 तक होगा, जो हाल के समय में सबसे लंबा कार्यकाल होगा। इतना लंबा कार्यकाल प्रशासनिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। हालांकि, अगर लोकसभा चुनाव तय समय पर होते हैं, तो उन्हें विस्तार मिलने की संभावना भी है। आम तौर पर, केंद्र सरकार सामान्य चुनावों या किसी आपदा के दौरान ही विस्तार देती है, लेकिन इसके लिए राज्य को ठोस कारणों के साथ आवेदन करना होगा।

इस दौड़ में अन्य नाम भी शामिल हैं। अनिल दिग्गीकर, जो दिव्यांग कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव हैं, मई 2026 में सेवानिवृत्त होंगे। वहीं, बीएमसी आयुक्त भूषण गग्रानी का रिटायरमेंट मार्च 2026 में है। अगर राजेश अग्रवाल दिल्ली में ही रहने का फैसला करते हैं, तो चहल और गग्रानी के बीच इस पद के लिए कड़ा मुकाबला हो सकता है। गग्रानी ने बीएमसी आयुक्त के रूप में मुंबई के प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और उनकी अनुभवी छवि उन्हें इस दौड़ में मजबूत बनाती है। लेकिन चहल का गृह विभाग में अनुभव और उनकी वरिष्ठता भी कम नहीं है।

यह दौड़ केवल व्यक्तिगत उपलब्धियों की नहीं है, बल्कि यह महाराष्ट्र के प्रशासनिक भविष्य को भी प्रभावित करेगी। मुख्य सचिव का पद न केवल नीतियों के कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह राज्य और केंद्र सरकार के बीच समन्वय का भी एक महत्वपूर्ण पुल है। उदाहरण के लिए, हाल ही में मुंबई के बुनियादी ढांचे और बाढ़ नियंत्रण जैसे मुद्दों पर मुख्य सचिव की भूमिका अहम रही है। इस पद का महत्व तब और बढ़ जाता है, जब राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव और अन्य बड़े विकास कार्य नजदीक हैं।

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