मुंबई

Maharashtra CM Mocks Thackeray Rally: महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने ठाकरे भाइयों की रैली को बताया ‘रुदाली’ का तमाशा, मराठी गौरव पर उठाए सवाल

Maharashtra CM Mocks Thackeray Rally: महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने ठाकरे भाइयों की रैली को बताया 'रुदाली' का तमाशा, मराठी गौरव पर उठाए सवाल

Maharashtra CM Mocks Thackeray Rally: महाराष्ट्र की सियासत में इन दिनों कुछ नया-नया सा हो रहा है। मुंबई की सड़कों पर मराठी भाषा और गौरव की बातें गूँज रही हैं, लेकिन इसके पीछे की कहानी कुछ और ही बयान कर रही है। हाल ही में शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नेता राज ठाकरे ने एक मंच साझा किया। ये रैली मराठी भाषा के सम्मान में थी, जिसे ‘आवाज मराठिचा’ नाम दिया गया। लेकिन इस रैली को लेकर महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने तंज कसते हुए इसे ‘रुदाली’ का तमाशा बता दिया।

ये सब तब शुरू हुआ जब महाराष्ट्र सरकार ने स्कूलों में पहली से पांचवीं कक्षा तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में लागू करने का प्रस्ताव रखा। इस फैसले के खिलाफ उद्धव और राज ठाकरे एक साथ आए। दोनों ने मिलकर मुंबई में एक विशाल रैली निकाली, जिसमें मराठी भाषा और मराठी मानुष की बात जोर-शोर से उठाई गई। राज ठाकरे ने इस मौके पर मजाकिया अंदाज में कहा कि 20 साल बाद उनकी और उद्धव की एकजुटता का श्रेय महाराष्ट्र सीएम देवेंद्र फडणवीस को जाता है। उनके मुताबिक, सरकार के इस फैसले ने ही उन्हें एक मंच पर ला खड़ा किया।

लेकिन फडणवीस ने इस रैली को गंभीरता से लेने के बजाय इसे मजाक का विषय बना दिया। उन्होंने कहा कि ये कोई जीत की रैली नहीं थी, बल्कि उद्धव ठाकरे ने इसमें ‘रुदाली’ जैसा भाषण दिया। रुदाली, यानी वो औरतें जो उत्तर-पश्चिम भारत में अंतिम संस्कार के दौरान किराए पर रोने का काम करती हैं। फडणवीस का ये तंज सीधे तौर पर उद्धव की रैली को भावनात्मक नाटक बताने की कोशिश थी। उन्होंने ये भी कहा कि शिवसेना ने बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) में 25 साल तक राज किया, लेकिन शहर में कोई खास विकास नहीं हुआ। दूसरी तरफ, उनकी सरकार ने मराठी लोगों के लिए बीडीडी और पात्रा चॉल में घर दिए, जो मराठी मानुष के लिए उनकी प्रतिबद्धता को दिखाता है।

फडणवीस ने गर्व से कहा कि वो खुद मराठी और हिंदू हैं, और उनकी सरकार मराठी और गैर-मराठी सभी के साथ है। उनके इस बयान ने रैली को सिर्फ एक सियासी ड्रामे के तौर पर पेश करने की कोशिश की। बीजेपी के शहर इकाई के प्रमुख और मंत्री आशीष शेलार ने भी इस मौके पर ठाकरे भाइयों पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि ये रैली मराठी भाषा के प्यार के लिए नहीं, बल्कि परिवार के पुनर्मिलन का जश्न थी। शेलार के मुताबिक, उद्धव और राज की एकजुटता बीजेपी की ताकत से डर के कारण है, खासकर आगामी बीएमसी चुनावों को देखते हुए।

दूसरी तरफ, कांग्रेस ने इस पूरे मामले पर अलग रुख अपनाया। महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख हर्षवर्धन सपकाल ने कहा कि अगर ठाकरे भाई-बहन हिंदी भाषा के प्रस्ताव को वापस लेने का जश्न मना रहे हैं, तो ये ठीक है। लेकिन उन्होंने साफ किया कि मराठी भाषा के लिए लड़ाई और ठाकरे भाइयों की सियासी दोस्ती दो अलग-अलग मुद्दे हैं। सपकाल ने बताया कि उन्होंने 600 लोगों को पत्र लिखकर और शिक्षाविदों व मराठी भाषा विशेषज्ञों के साथ बैठकें करके इस प्रस्ताव का विरोध किया था।

इस रैली ने न सिर्फ मराठी भाषा के मुद्दे को गरमाया, बल्कि महाराष्ट्र की सियासत में एक नया मोड़ भी ला दिया। उद्धव और राज ठाकरे की 20 साल बाद हुई इस एकजुटता ने बीएमसी चुनावों से पहले सियासी हलकों में हलचल मचा दी है। राज ने अपने भाषण में साफ कहा कि अगर सरकार फिर से हिंदी भाषा को लागू करने की कोशिश करेगी, तो वो इसका पुरजोर विरोध करेंगे। उद्धव ने भी इस मंच से ऐलान किया कि वो और राज अब साथ रहेंगे और मुंबई के साथ-साथ पूरे महाराष्ट्र में सत्ता हासिल करेंगे।

लेकिन फडणवीस और बीजेपी ने इस रैली को गंभीरता से लेने के बजाय इसे एक सियासी नाटक करार दिया। फडणवीस ने कहा कि उनकी सरकार ने मुंबई में विकास के कई काम किए, जिनसे ठाकरे भाइयों को जलन हो रही है। उन्होंने ये भी दावा किया कि मराठी भाषा और मराठी मानुष के लिए उनकी सरकार ने हमेशा काम किया है, और आगे भी करती रहेगी।

महाराष्ट्र की सियासत में ये नया ड्रामा बीएमसी चुनावों से पहले और दिलचस्प हो गया है। ठाकरे भाई-बहन की एकजुटता और फडणवीस का तंज, दोनों ने ही मराठी गौरव और भाषा के मुद्दे को सुर्खियों में ला दिया है। अब देखना ये है कि ये सियासी दोस्ती और तंजबाजी का असर आगामी चुनावों में कैसा रहता है।

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