Maharashtra CM Post: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में सियासी पारा चरम पर है। सवाल लाख टके का है: “अबकी बार महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री कौन बनेगा?” यह सवाल सिर्फ नेताओं के बीच ही नहीं, बल्कि जनता और सट्टा बाजार में भी चर्चा का केंद्र बना हुआ है। जहां एक ओर महायुति (BJP-शिवसेना-एनसीपी) सत्ता में वापसी की उम्मीद कर रही है, वहीं दूसरी ओर महाविकास अघाड़ी (MVA) ने जोरदार टक्कर दी है।
चुनावी समीकरणों की गहराई
महाराष्ट्र की राजनीति में मुख्यमंत्री पद का फैसला हमेशा से ही उलझा हुआ रहा है। 2024 का चुनाव भी इससे अलग नहीं है। महाराष्ट्र मुख्यमंत्री पद (Maharashtra CM Post) पर मचे घमासान ने हर किसी को हैरत में डाल दिया है। महायुति (BJP-शिवसेना-एनसीपी) की ओर से सबसे बड़ी चुनौती यह है कि अगर सत्ता में वापसी होती है, तो मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा।
महायुति का समीकरण
महायुति गठबंधन के अंतर्गत बीजेपी ने 147 सीटों पर चुनाव लड़ा है, जबकि शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित पवार गुट) ने बाकी सीटें बांटी हैं। ऐसे में अगर महायुति को बहुमत मिलता है, तो सबसे बड़ा दल बीजेपी होगा। जाहिर है, मुख्यमंत्री पद पर बीजेपी का दावा स्वाभाविक होगा। देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) को लेकर अटकलें हैं कि वे बीजेपी आलाकमान की पहली पसंद हो सकते हैं।
हालांकि, यहां पेच फंसता है एकनाथ शिंदे पर। उनकी शिवसेना का तर्क है कि चुनाव में महायुति का चेहरा एकनाथ शिंदे थे। उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में सरकार चलाई, तो उनके पद पर बने रहने का दावा मजबूत है। सवाल उठता है कि क्या बीजेपी इस पर सहमत होगी या नहीं।
महाविकास अघाड़ी की चुनौतियां
महाविकास अघाड़ी (MVA) के समीकरण भी कम उलझे नहीं हैं। कांग्रेस ने 105 सीटों पर चुनाव लड़ा, जबकि शिवसेना (उद्धव गुट) और एनसीपी (शरद पवार गुट) ने शेष सीटों को साझा किया। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने दावा किया कि अगर महाविकास अघाड़ी सत्ता में आती है, तो मुख्यमंत्री पद कांग्रेस को मिलना चाहिए, क्योंकि उन्होंने सबसे अधिक सीटों पर चुनाव लड़ा है।
इस दावे पर उद्धव ठाकरे गुट के संजय राउत ने साफ इनकार कर दिया। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री का फैसला गठबंधन की बैठक में होगा। उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र की जनता में लोकप्रिय और स्वीकृत चेहरा माना जाता है। उनकी पार्टी का मानना है कि उद्धव ठाकरे ने कोरोना काल में अपने काम से एक मिसाल पेश की थी, और उनकी नेतृत्व क्षमता पर कोई सवाल नहीं उठ सकता।
सट्टा बाजार और एग्जिट पोल का नजरिया
महाराष्ट्र चुनाव सट्टा बाजार (Maharashtra Election Satta Market) और एग्जिट पोल ने चुनावी माहौल को और दिलचस्प बना दिया है। फलोदी के सट्टा बाजार के मुताबिक, महायुति की संभावनाएं ज्यादा हैं, लेकिन सीटों का आंकड़ा बहुमत से कम भी रह सकता है।
एग्जिट पोल के नतीजों में भी महायुति और महाविकास अघाड़ी के बीच कांटे की टक्कर दिख रही है। अगर कोई गठबंधन बहुमत के करीब नहीं पहुंचा, तो छोटे दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों की भूमिका अहम होगी। इस स्थिति में अजित पवार का रुख महत्त्वपूर्ण हो सकता है।
त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति
अगर महाराष्ट्र में त्रिशंकु विधानसभा बनती है, तो सियासी उलझनें और बढ़ेंगी। अजित पवार, शरद पवार, उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे जैसे नेताओं की रणनीतियां तय करेंगी कि सत्ता की चाबी किसके हाथ में जाएगी।
शिवसेना के दोनों गुटों का समीकरण
एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे की पार्टियां आमने-सामने हैं। अगर किसी गठबंधन को पूर्ण बहुमत नहीं मिलता, तो इन दोनों गुटों के बीच सुलह की संभावनाएं बन सकती हैं।
महाराष्ट्र की राजनीति में मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही यह खींचतान 23 नवंबर के नतीजों के बाद ही स्पष्ट होगी। हर दल अपनी दावेदारी मजबूत कर रहा है। लेकिन जनता की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि कौन मुख्यमंत्री बनेगा और कैसे महाराष्ट्र की राजनीति का भविष्य तय होगा।