महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर से तीखी बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने गुरुवार (7 अगस्त 2025) को शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे पर जमकर निशाना साधा। शिंदे ने उद्धव पर बालासाहेब ठाकरे के हिंदुत्व आदर्शों से समझौता करने और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर शिवसेना के मूल सिद्धांतों को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया।
कांग्रेस पर शिंदे का हमला
पीटीआई से बातचीत में एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे के कांग्रेस नेता राहुल गांधी के आवास पर डिनर में शामिल होने का जिक्र किया। शिंदे ने कहा, “ये आश्चर्यजनक है कि उद्धव उस पार्टी के नेता के घर जा रहे हैं, जिसने शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे का मताधिकार छीनने वाले पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एमएस गिल को संप्रग सरकार में मंत्री बनाकर पुरस्कृत किया था।”
शिंदे ने तंज कसते हुए कहा कि उद्धव ठाकरे उन लोगों के साथ खड़े हैं, जिन्होंने न केवल बालासाहेब का अपमान किया, बल्कि वीर सावरकर और सशस्त्र बलों की वीरता पर भी सवाल उठाए।
‘उद्धव ने जनादेश का किया अपमान’
शिंदे ने उद्धव के ‘गद्दार’ वाले बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि असली विश्वासघात तो उद्धव ने किया। उन्होंने 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का हवाला देते हुए कहा, “महाराष्ट्र की जनता ने शिवसेना-बीजेपी गठबंधन को सरकार बनाने का जनादेश दिया था, लेकिन उद्धव ने स्वार्थवश और मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन कर लिया। ‘गद्दार’ शब्द तो उन पर ही फिट बैठता है।”
‘विपक्ष के नेता बनने लायक भी नहीं’
शिंदे ने 2024 के विधानसभा चुनावों का जिक्र करते हुए कहा कि महाराष्ट्र की जनता ने उद्धव ठाकरे को सबक सिखाया है। उन्होंने कहा, “उद्धव को विपक्ष के नेता बनने के लिए भी जनादेश नहीं मिला। जनता ने चुनाव परिणामों के जरिए साफ कर दिया कि असली गद्दार कौन है।”
हिंदुत्व और बालासाहेब की विरासत का मुद्दा
शिंदे ने उद्धव पर बालासाहेब ठाकरे की हिंदुत्व विचारधारा से समझौता करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “उद्धव उन लोगों के साथ हैं, जिन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और हमारे सशस्त्र बलों की बहादुरी पर सवाल उठाए। यह बालासाहेब की विरासत का अपमान है।”
महाराष्ट्र की सियासत में गर्माहट
एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के बीच यह जुबानी जंग महाराष्ट्र की राजनीति में नया मोड़ ला सकती है। शिंदे की यह टिप्पणी न केवल उद्धव के कांग्रेस के साथ गठबंधन पर सवाल उठाती है, बल्कि शिवसेना की विचारधारा और बालासाहेब ठाकरे की विरासत को लेकर भी बहस छेड़ सकती है।
महाराष्ट्र की जनता अब इस सियासी घमासान पर नजर रखे हुए है। क्या ये बयानबाजी आगामी राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित करेगी? ये देखना दिलचस्प होगा।
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