Maharashtra election: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने एक बड़ा और प्रभावशाली दांव खेला है, जिससे राज्य की राजनीति में हलचल मच गई है। बीजेपी ने 15 नई जातियों को ओबीसी वर्ग में शामिल कर विपक्षी पार्टियों को चौंका दिया है। यह फैसला चुनावी समीकरणों को बदलने वाला है, और इससे न केवल बीजेपी के लिए समर्थन की नई लहर बन सकती है, बल्कि विपक्ष के मंसूबों को भी धक्का लग सकता है।
बीजेपी का बड़ा दांव – 15 जातियों को ओबीसी में शामिल किया गया
महाराष्ट्र की राजनीति में हाल ही में एक बड़ा मोड़ आया है जब बीजेपी ने 15 जातियों को ओबीसी वर्ग में शामिल कर लिया है। इस फैसले से इन जातियों को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का लाभ मिलेगा। यह कदम चुनाव से पहले बीजेपी के वोट बैंक को मजबूत करने की दिशा में उठाया गया है।
बीजेपी का यह कदम खासतौर से महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि यह विधानसभा चुनावों से ठीक पहले लिया गया है। इसका मतलब है कि बीजेपी की नजर उन वोटर्स पर है, जिनकी संख्या काफी बड़ी है और जो चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं।
ओबीसी में शामिल की गई जातियां कौन सी हैं?
नए फैसले के तहत जिन जातियों को ओबीसी में शामिल किया गया है, उनमें प्रमुख नाम बडगूजर, सूर्यवंशी गूजर, और लेवे गूजर जैसे समुदायों का है। इसके अलावा रीवा गूजर, पोवार, कापेवार और लोढ़ा समुदाय भी इस सूची में शामिल हैं। यह जातियां पहले से ही सरकार से आरक्षण की मांग कर रही थीं, और अब यह फैसला उनके लिए एक बड़ा तोहफा साबित हो सकता है।
नॉन-क्रीमी लेयर सीमा में बदलाव की तैयारी
इसके साथ ही, राज्य सरकार क्रीमी लेयर की सीमा बढ़ाने पर भी विचार कर रही है। फिलहाल नॉन-क्रीमी लेयर की सीमा 8 लाख रुपये है, जिसे बढ़ाकर 15 लाख रुपये करने की योजना बनाई जा रही है। यह बदलाव न केवल ओबीसी वर्ग के लोगों को, बल्कि मराठा समुदाय और अन्य आरक्षित वर्गों के लोगों को भी फायदा पहुंचा सकता है।
अगर नॉन-क्रीमी लेयर की सीमा बढ़ाई जाती है, तो इसका सीधा फायदा सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण पाने वाले समुदायों को मिलेगा। इस फैसले से सरकारी कर्मचारियों और वरिष्ठ अधिकारियों के लिए भी बड़े अवसर खुल सकते हैं।
बीजेपी की इस रणनीति से महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ आ चुका है, जहां सभी पार्टियां अब आगामी चुनावों में अपने समीकरण सुधारने की कोशिश कर रही हैं।
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